उदयपुर. अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव कुलदीप सूत्रकार ने बताया कि औचक निरीक्षण के दौरान उदयपुर महिला एवं बाल विकास समिति के नाम से संचालित एक बाल गृह गैर पंजीकृत था. बालकों को गृह में रखने हेतु किसी भी विभाग से कोई अनुमति प्रदान नहीं कर रखी थी. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि गेट पर कोई चौकीदार पिछले लंबे समय से मनोनीत नहीं है. निरीक्षण दल ने 20 मिनट तक पूरे गृह का निरीक्षण कर किया एवं बच्चों से भी बातचीत कर ली, तब तक कोई भी निरीक्षण दल को यह पूछने वाला नहीं था कि आप कौन हैं.
बालक गृह में बच्चे नंगे फर्श पर सोए हुए पाए गए. कोविड19 गाइडलाइन की पालना नहीं की जा रही थी. बालक गृह में सैनिटाइजर, मास्क इत्यादि की कोई व्यवस्था नहीं थी. निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों के उपस्थिति रजिस्टर के संधारण की जानकारी लेने पर जानकारी मिली कि कर्मचारी उपस्थिति रजिस्टर संधारित नहीं है. बालकों के उपस्थिति रजिस्टर को देखने पर पाया गया कि उसमें 4 अप्रैल, 5 अप्रैल एवं 6 अप्रैल की कोई उपस्थिति बालकों की दर्ज नहीं कर रखी थी, लेकिन बालक गृह में 12 बच्चे पाए गए.
बालकों के नाश्ते, अल्पाहार एवं रात्री भोजन का कोई निश्चित समय नहीं है. प्रत्येक बच्चे से सुविधा शुल्क के नाम से प्रतिमाह 1000 रुपये लिये जा रहे हैं. गर्मी में बालकों हेतु कुलर की व्यवस्था नहीं पाई गई. इस अवसर पर बाल कल्याण समिति के सदस्य जिग्नेश दवे भी साथ में रहे.
हेल्पलाइन पर सूचना देने का आह्वान...
एडीजे सूत्रकार ने यह भी बताया कि अपंजीकृत गृह, शेल्टर होम, हॉस्टल में बालकों को रखा जाता है तो यह गैर कानूनी है. यदि उदयपुर जिले में कहीं भी अनाधिकृत हॉस्टल, शेल्टर होम, गृह, वृद्धाश्रम संचालित किया जा रहा हो तो इसकी शिकायत फ्रंट ऑफिस हेल्पलाइन नम्बर 08306002022 पर की जा सकती है. औचक निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितताओं की रिपोर्ट आयुक्त एवं विशिष्ट शासन सचिव, बाल अधिकारिता विभाग जयपुर, जिला कलेक्टर उदयपुर को प्रेषित कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.