उदयपुर. मौसम में आए परिवर्तन के बाद सूर्य की तपिश लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में हर एक शख्स अपनी प्यास बुझाने के लिए ठंडे पानी की तलाश करता है. हालांकि इसके लिए फ्रिज और वॉटर कूलर जैसी सुविधा उपलब्ध है, लेकिन धीरे-धीरे लोग पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों की ओर खास आकर्षित हो रहे हैं.
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मार्केट में बढ़ती मांग को देखकर धीरे-धीरे मिट्टी के बर्तन भी नित नए लुक में पहुंच रहे हैं. खास करके गुजरात में मिट्टी के हर प्रकार के बर्तन बनाए जा रहे हैं. यह बर्तन इन दिनों उदयपुर में भी जगह -जगह आपको देखने को मिल जाएंगे. इनकी बनावट इतनी आकर्षक है कि लोग घर में ही नहीं बल्कि ऑफिस में भी रखने लगे हैं और बकायदा इस्तेमाल करते है.
मिट्टी के बर्तनों में ठंडा तो रहता ही है साथ ही साथ यह सेहत के लिए भी लाभदायक है. वर्तमान में बाजार में सुराही के साथ-साथ मिट्टी के जग भी मिलने लगे हैं. मटका विक्रेता इन्हें रंग-बिरंगे रंगों से सजाने लगे है जिससे यह और भी ज्यादा सुंदर लगने लगे हैं.
इसकी खूबसूरती देखते हुए शहर के कई व्यापारी गुजरात से भी इन बर्तनों को मंगवा रहे हैं. जैसे-जैसे गर्मी पड़ रही है वैसे-वैसे इनकी मांग में भी उछाल आता जा रहा है. प्रदेश में अचानक बदले मौसम के मिजाज के बाद अब मटका और सुराही की बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई है.
लेक सिटी उदयपुर में भी ईटीवी भारत की टीम ने देखा कि बदलते मौसम के साथ मिट्टी से बने पीने के बर्तनों के बाजार पूरी तरह सच चुके हैं. शहर में सड़कों पर देसी फ्रिज की दुकानें सज गई है. जिन पर लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है. वहीं, मटका विक्रेताओं ने बताया कि एकाएक गर्मी बढ़ने के साथ मटको की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है.
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इस बार खास आकार के मटके मंगवाए गए हैं. जिनमें कुछ मिट्टी के जग है और सुराही भी है. मिट्टी के बर्तनों को अहमदाबाद से भी मंगवाया जा रहा है. जिसका भी खासा आकर्षण है. वहीं, सुराही और मटकों पर विविध प्रकार की रंगोली और डिजाइन भी बनाई गई है. साथ ही नल लगे मटकों की बिक्री ज्यादा हो रही है.
इस बार 100 रुपए से लेकर साढ़े 4 सौ रुपए तक के विभिन्न तरह के मटके और सुराही उपलब्ध हैं. विक्रेताओं का कहना है कि पिछले साल कोरोना की वजह से व्यापार कमजोर रहा था. दिवाली के अवसर पर भी दीयों की बिक्री भी कम रही थी, लेकिन इस बार गर्मी शुरू होने के साथ ही मटकों की और अन्य बिक्री होने से व्यापारियों के चेहरे पर खुशी की लहर हैं.