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Special: पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मुहिम, अंबालाल ने कुछ ऐसे बदल दी इस पहाड़ी की तस्वीर

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Published : Aug 1, 2022, 9:30 PM IST

Updated : Aug 1, 2022, 10:33 PM IST

उदयपुर के रहने वाले अंबालाल मेनारिया ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अनूठी मिसाल पेश की है. विषम परिस्थितियों में भी पर्यावरण प्रेमी अंबालाल ने गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की सख्त और ऊंची पहाड़ियों पर भी हरियाली ला दी है. ग्रामीणों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के साथ ही उन्होंने हजारों पौधे लगाकर इस हरा भरा कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

ambalal changed the picture of hill area in udaipur
ambalal changed the picture of hill area in udaipur

उदयपुर. पर्यावरण संरक्षण के साथ ही उसका संवर्धन भी हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है, लेकिन आज की तारीख में कितने लोग इस दायित्व को पूरी तरह निभाते हैं यह गौर करने लायक बात है. फिर भी पर्यावरण को लेकर अब लोग जागरूक हो रहे हैं और इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. उदयपुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वाहन चालक अंबालाल मेनारिया ने कुछ ऐसा ही किया. उदयपुर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की पथरीली पहाड़ी जो कभी वीरान दिखती थी आज वहां हरियाली रहती है. उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति और मजबूत इरादों के बल पर अनोखी मुहिम छेड़ी जो अब रंग लाती नजर आ रही है. आज गुप्तेश्वर महादेव की उस पहाड़ी पर करीब एक हजार से अधिक पेड़ लहलहा रहे हैं.

अंबालाल ने ग्रामीणों के साथ मिलकर बदली पहाड़ी की तस्वीर...
उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है जो होड़ा पर्वत की वादियों में ग्राम पंचायत तितरड़ी के बिलिया गांव में स्थित है. यहां की पहाड़ियों और मंदिर के आसपास की सख्त भूमि पर भी अंबालाल ने पर्यावरण संवर्धन को लेकर मुहिम शुरू की. इस मुहिम में धीरे-धीरे गांव और पंचायत के लोगों का भी सहयोग मिलने लगा. अंबालाल ने अपनी सरकारी नौकरी करने के दौरान कुछ समय निकालकर पेड़ लगाने और इनकी देखरेख करने का काम शुरू किया. अब तक अंबालाल इस पहाड़ी क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ लगा चुके हैं.जो अब धीरे-धीरे वृक्ष का रूप पेड़ लेने लगे हैं. अब उनके साथ इस काम में गांव और पंचायत के अधिकारियों का सहयोग मिलने से पेड़ों की संख्या और अधिक बढ़ने लगी है.

पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मुहिम...

पढ़ें. घर-घर औषधि योजना से पर्यावरण को भी स्वस्थ बनाने का प्रयास, जिले में 16 लाख से अधिक पौधे वितरित करने का लक्ष्य

पहाड़ी पर पौधरोपण करना रहा कठिन...
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर होड़ा पर्वत पर स्थित है. यहां पर पौधे लगाना इतना आसान नहीं था. पथरीली जमीन और पहाड़ी क्षेत्र पर मिट्टी नहीं होने से काफी मुश्किल कार्य था. अंबालाल ने गधों से पहाड़ी पर मिट्टी की ढुलाई कराई और पेड़-पौधे लगाने शुरू किए. इसके साथ ही पेड़ों के लिए खाद और राख मिक्स कर पौधों में डाली गईं. अब तक यहां करीब 350 पेड़ अंबालाल लगा चुके हैं. उनके साथ में गांव वालों ने भी सहयोग करते हुए पहाड़ी के नीचे जमीन पर एक हजार पौधे और लगाए जो अब धीरे-धीरे पेड़ का रूप ले रहे हैं.

अंबालाल ने अपने बेटे के लिए सीख...
अंबालाल उदयपुर जिला परिषद में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वाहन चालक हैं. उनका एक बेटा ऑस्ट्रेलिया में शेफ है. 2019 में अंबालाल अपने बेटे के यहां ऑस्ट्रेलिया गए थे. इस दौरान वहां आसपास हरियाली और हराभरा वातावरण देखकर अंबालाल ने भी अपने जिले में कुछ ऐसा ही करने की ठानी. उनके बेटे गजेंद्र ने उदयपुर में पौधरोपण को लेकर पिता से बात कही. अंबालाल ने भी उसी दिन गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की वीरान पहाड़ियों पर पेड़-पौधे लगाकर उसे प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही हराभरा करने का प्रयास शुरू कर दिया. अंबालाल ने भारत आकर उदयपुर की गुप्तेश्वर की पहाड़ियों और आसपास के इलाकों में नीम, सीताफल, कंजरी, बेलपत्र, पीपल और छायादार सैकड़ों पेड़ लगाए. इस कारण अब गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के आसपास का क्षेत्र भी पूरी तरह से हरा भरा नजर आने लगा है.

पहाड़ी क्षेत्र और पानी नहीं होने के कारण ड्रिप सिस्टम से पानी...
ऊपरी पहाड़ी क्षेत्र पर पेड़ लगाने और उन्हें पानी देने के लिए अंबालाल ने भी विशेष व्यवस्था कर रखी थी. अंबालाल ने ड्रिप लगाकर पौधों तक पानी पहुंचाना का काम किया. अंबालाल ने बताया कि ड्रिप के माध्यम से हर पेड़-पौधे तक बूंद-बूंद पानी पहुंचता है जिससे उसका दुरुपयोग भी नहीं होता और पेड़ों को पर्याप्त पानी भी मिल जाता है.

पढ़ें. Bikaner Green Drive: परंपरागत जल स्रोत को बचाने की 'हरी भरी' मुहिम, युवाओं का भी मिल रहा साथ

अंबालाल जिला परिषद में वाहन चालक हैं लेकिन सुबह नौकरी पर जाने से पहले सुबह 6 बजे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर जाकर इन पेड़-पौधों को पानी देना और देखरेख का काम करते हैं और उसके बाद अपने काम पर जाते हैं. अंबालाल ने इसे अपनी रोज की दिनचर्या में शामिल कर रखा है. उनके सहयोग में अब गांव के 76 वर्षीय भगतराम भी हाथ बंटा रहे हैं. उम्र को पीछे छोड़ते हुए भगतराम अपनी इच्छाशक्ति और जज्बे से इन पेड़ों की अपने बेटों की तरह ही देखभाल करते हैं. इस काम में गांव वालों ने भी अंबालाल और उनके साथियों का बड़ा सहयोग किया. अब गांव के अधिकांश पशु भी यहां नहीं आते जिससे पेड़-पौधों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंच रहा है.

लक्ष्मण सिंह तितरड़ी पंचायत के बाबू ने भी पेड़ लगाने के लिए हर संभव मदद की. उन्होंने गांव वालों के सहयोग से 1000 पेड़ भी लगवाए. इस कार्य में अब अंबालाल और उनके साथियों का कुनबा भी बढ़ने लगा है. फिलहाल 15 लोग पेड़ लगाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

अब तक 3 लाख 50 हजारों रुपए अपनी जेब से खर्च किए...
पर्यावरण संरक्षण और पेड़ लगाने की इस मुहिम में अंबालाल ने अब तक 3 लाख 50 हजार रुपए अपनी जेब से खर्च कर दिए हैं. इसमें आईएएस अधिकारी कमर चौधरी ने ने उनकी सहायता की. अब उनके साथ उनके बेटे और अन्य लोग भी इस कार्य में उनकी आर्थिक रूप से सहायता कर रहे हैं.

अगले महीने रिटायरमेंट होने अंबालाल...
अंबालाल अगले महीने जिला परिषद से रिटायर होंगे. उन्होंने बताया कि रिटायरमेंट के बाद अधिकांश समय पर्यावरण संवर्धन और इन पेड़ों की देखभाल के लिए लगाएंगे जिससे जलवायु परिवर्तन का खतरा भी खत्म हो. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को पेड़ लगाने चाहिए जिससे शुद्ध हवा और ऑक्सीजन मिल सके.

उदयपुर. पर्यावरण संरक्षण के साथ ही उसका संवर्धन भी हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है, लेकिन आज की तारीख में कितने लोग इस दायित्व को पूरी तरह निभाते हैं यह गौर करने लायक बात है. फिर भी पर्यावरण को लेकर अब लोग जागरूक हो रहे हैं और इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. उदयपुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वाहन चालक अंबालाल मेनारिया ने कुछ ऐसा ही किया. उदयपुर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की पथरीली पहाड़ी जो कभी वीरान दिखती थी आज वहां हरियाली रहती है. उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति और मजबूत इरादों के बल पर अनोखी मुहिम छेड़ी जो अब रंग लाती नजर आ रही है. आज गुप्तेश्वर महादेव की उस पहाड़ी पर करीब एक हजार से अधिक पेड़ लहलहा रहे हैं.

अंबालाल ने ग्रामीणों के साथ मिलकर बदली पहाड़ी की तस्वीर...
उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है जो होड़ा पर्वत की वादियों में ग्राम पंचायत तितरड़ी के बिलिया गांव में स्थित है. यहां की पहाड़ियों और मंदिर के आसपास की सख्त भूमि पर भी अंबालाल ने पर्यावरण संवर्धन को लेकर मुहिम शुरू की. इस मुहिम में धीरे-धीरे गांव और पंचायत के लोगों का भी सहयोग मिलने लगा. अंबालाल ने अपनी सरकारी नौकरी करने के दौरान कुछ समय निकालकर पेड़ लगाने और इनकी देखरेख करने का काम शुरू किया. अब तक अंबालाल इस पहाड़ी क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ लगा चुके हैं.जो अब धीरे-धीरे वृक्ष का रूप पेड़ लेने लगे हैं. अब उनके साथ इस काम में गांव और पंचायत के अधिकारियों का सहयोग मिलने से पेड़ों की संख्या और अधिक बढ़ने लगी है.

पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मुहिम...

पढ़ें. घर-घर औषधि योजना से पर्यावरण को भी स्वस्थ बनाने का प्रयास, जिले में 16 लाख से अधिक पौधे वितरित करने का लक्ष्य

पहाड़ी पर पौधरोपण करना रहा कठिन...
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर होड़ा पर्वत पर स्थित है. यहां पर पौधे लगाना इतना आसान नहीं था. पथरीली जमीन और पहाड़ी क्षेत्र पर मिट्टी नहीं होने से काफी मुश्किल कार्य था. अंबालाल ने गधों से पहाड़ी पर मिट्टी की ढुलाई कराई और पेड़-पौधे लगाने शुरू किए. इसके साथ ही पेड़ों के लिए खाद और राख मिक्स कर पौधों में डाली गईं. अब तक यहां करीब 350 पेड़ अंबालाल लगा चुके हैं. उनके साथ में गांव वालों ने भी सहयोग करते हुए पहाड़ी के नीचे जमीन पर एक हजार पौधे और लगाए जो अब धीरे-धीरे पेड़ का रूप ले रहे हैं.

अंबालाल ने अपने बेटे के लिए सीख...
अंबालाल उदयपुर जिला परिषद में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वाहन चालक हैं. उनका एक बेटा ऑस्ट्रेलिया में शेफ है. 2019 में अंबालाल अपने बेटे के यहां ऑस्ट्रेलिया गए थे. इस दौरान वहां आसपास हरियाली और हराभरा वातावरण देखकर अंबालाल ने भी अपने जिले में कुछ ऐसा ही करने की ठानी. उनके बेटे गजेंद्र ने उदयपुर में पौधरोपण को लेकर पिता से बात कही. अंबालाल ने भी उसी दिन गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की वीरान पहाड़ियों पर पेड़-पौधे लगाकर उसे प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही हराभरा करने का प्रयास शुरू कर दिया. अंबालाल ने भारत आकर उदयपुर की गुप्तेश्वर की पहाड़ियों और आसपास के इलाकों में नीम, सीताफल, कंजरी, बेलपत्र, पीपल और छायादार सैकड़ों पेड़ लगाए. इस कारण अब गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के आसपास का क्षेत्र भी पूरी तरह से हरा भरा नजर आने लगा है.

पहाड़ी क्षेत्र और पानी नहीं होने के कारण ड्रिप सिस्टम से पानी...
ऊपरी पहाड़ी क्षेत्र पर पेड़ लगाने और उन्हें पानी देने के लिए अंबालाल ने भी विशेष व्यवस्था कर रखी थी. अंबालाल ने ड्रिप लगाकर पौधों तक पानी पहुंचाना का काम किया. अंबालाल ने बताया कि ड्रिप के माध्यम से हर पेड़-पौधे तक बूंद-बूंद पानी पहुंचता है जिससे उसका दुरुपयोग भी नहीं होता और पेड़ों को पर्याप्त पानी भी मिल जाता है.

पढ़ें. Bikaner Green Drive: परंपरागत जल स्रोत को बचाने की 'हरी भरी' मुहिम, युवाओं का भी मिल रहा साथ

अंबालाल जिला परिषद में वाहन चालक हैं लेकिन सुबह नौकरी पर जाने से पहले सुबह 6 बजे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर जाकर इन पेड़-पौधों को पानी देना और देखरेख का काम करते हैं और उसके बाद अपने काम पर जाते हैं. अंबालाल ने इसे अपनी रोज की दिनचर्या में शामिल कर रखा है. उनके सहयोग में अब गांव के 76 वर्षीय भगतराम भी हाथ बंटा रहे हैं. उम्र को पीछे छोड़ते हुए भगतराम अपनी इच्छाशक्ति और जज्बे से इन पेड़ों की अपने बेटों की तरह ही देखभाल करते हैं. इस काम में गांव वालों ने भी अंबालाल और उनके साथियों का बड़ा सहयोग किया. अब गांव के अधिकांश पशु भी यहां नहीं आते जिससे पेड़-पौधों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंच रहा है.

लक्ष्मण सिंह तितरड़ी पंचायत के बाबू ने भी पेड़ लगाने के लिए हर संभव मदद की. उन्होंने गांव वालों के सहयोग से 1000 पेड़ भी लगवाए. इस कार्य में अब अंबालाल और उनके साथियों का कुनबा भी बढ़ने लगा है. फिलहाल 15 लोग पेड़ लगाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

अब तक 3 लाख 50 हजारों रुपए अपनी जेब से खर्च किए...
पर्यावरण संरक्षण और पेड़ लगाने की इस मुहिम में अंबालाल ने अब तक 3 लाख 50 हजार रुपए अपनी जेब से खर्च कर दिए हैं. इसमें आईएएस अधिकारी कमर चौधरी ने ने उनकी सहायता की. अब उनके साथ उनके बेटे और अन्य लोग भी इस कार्य में उनकी आर्थिक रूप से सहायता कर रहे हैं.

अगले महीने रिटायरमेंट होने अंबालाल...
अंबालाल अगले महीने जिला परिषद से रिटायर होंगे. उन्होंने बताया कि रिटायरमेंट के बाद अधिकांश समय पर्यावरण संवर्धन और इन पेड़ों की देखभाल के लिए लगाएंगे जिससे जलवायु परिवर्तन का खतरा भी खत्म हो. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को पेड़ लगाने चाहिए जिससे शुद्ध हवा और ऑक्सीजन मिल सके.

Last Updated : Aug 1, 2022, 10:33 PM IST
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