श्रीगंगानगर. जिले में किसानों की आमदनी बढ़ाने और पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत अब मशरूम की खेती करवाई जाएगी. श्रीगंगानगर के कृषि अनुसंधान केंद्र में मशरूम के उत्पादन तैयार करने के लिए शुरू किया गया रिसर्च अब सफलता की कड़ी में है. सकारात्मक परिणामों को के मद्देनजर अब युवाओं के लिए मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर दिए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट के लिए साल 2020-21 के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 12 लाख 36 हजार रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है. मशरूम प्रोजेक्ट के तहत 30x20 फीट के मशरूम घर में लगाए जा सकेंगे.
कृषि अनुसंधान केंद्र की ओर से युवाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए बढ़ावा दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि मटका मशरूम की खेती से किसान और बेरोजगार युवा अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. मटकों मे तैयार की जाने वाली ढिंगरि मशरूम ना केवल प्लास्टिक थैलियों में उत्पादन होने वाली मसरूम से बेहतर क्वालिटी की निकलती है, बल्कि उत्पादन भी अच्छा रहता है. घर में पुराने पड़े मटको में ड्रिल मशीन से छेद कर उनमें भूसा भरकर मशरूम की बीज लगाए जाते हैं, जिसमें निर्धारित रुप में नमी होने के बाद करीब 12 दिनों में मसरूम मटकों से बाहर निकलकर तैयार हो जाती है.
प्रोजेक्ट से जुड़े कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने बताया कि क्षेत्र की जलवायु मशरूम की खेती के लिए अनुकूल है और बेरोजगार कम लागत में मशरूम की खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. मशरूम की मांग अधिक और उत्पादन कम है. कोई भी व्यक्ति जो सामान्य खेती की समझ रखता है, वो मशरूम की खेती कर सकता है. केवल 10 से 15 हजार रुपए की लागत से कम जगह में मशरूम की खेती की जा सकती है. किचन गार्डन के तहत महिलाएं भी घरों पर मशरूम का उत्पादन कर घर बैठे मुनाफा कमा सकती है.
मशरूम पाउडर, मशरूम पापड़, मशरूम अचार, मशरूम चावल, मशरूम सैंडविच, मशरूम सूप और मशरूम करी आदि प्रोडक्ट तैयार करने पर भी काम किया जाएगा. इन प्रोडक्ट कि बड़े शहरों में मांग भी अत्यधिक है. कई कंपनियां अभी ये प्रोडक्ट तैयार कर बाजार में भी बेच रही है. देश में खाने योग्य मशरूम की 280 किस्में है. घरेलू उपयोग के अलावा विदेशों में भी इसका निर्यात किया जाता है. आमतौर पर मशरूम 15 दिनों से 2 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. सामान्य तौर पर साल में मशरूम की 2-3 पैदावार हो सकती है.
मशरूम की मांग बढ़ने का एक मुख्य कारण ये भी है कि मशरूम एक पौष्टिक आहार है. मशरूम डायबिटीज और हार्ट पेशेंट के लिए भी फायदेमंद है. डॉक्टर और डाइटिशियन मोटापा, हार्ट पेशेंट और डायबिटीज के रोगियों को इसके सेवन की सलाह देते हैं. इसमें एमिनो एसिड, खनिज लवण और विटामिन जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं. मशरूम हार्ट और डायबिटीज मरीजों के लिए एक दवा की तरह काम करता है. मशरूम में फोलिक एसिड तत्व पाए जाते हैं, जो खून में रेड सेल्स बनाते हैं. कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने बताया कि हमारे यहां वातावरण के अनुसार मशरूम की खेती के लिए बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम और मिल्की मशरूम तैयार की जा सकती है. इन किस्मों की बुवाई कर मशरूम का उत्पादन लिया जा सकता है.
पढ़ें: Special: अलवर में धड़ल्ले से हो रहा 'अरावली' का दोहन, SC के निर्देश के बाद भी प्रशासन लापरवाह
कृषि अनुसंधान केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ उमेद सिंह शेखावत, डॉक्टर किशन बेरवा के प्रयासों से मशरूम प्रोजेक्ट का काम चल रहा है. अब यहां किसान भी मशरूम की खेती करने के लिए जानकारी लेने आ रहे हैं. मशरूम की खेती पर काम कर रहे डॉक्टर किशन बेरवा बताते हैं कि मशरूम प्रोजेक्ट में नवाचार करने की कोशिश करते हुए नई तकनीक से मटके में मशरूम तेयार करने का प्रयास किया गया है. मटका मशरूम तैयार करने का बड़ा ही आसान तरीका है. घर में रखे पुराने मटके जो किसी काम के नहीं हैं, उनको तैयार करके मटके में ढींगरी मशरूम तैयार की जा सकती है. ढींगरी मशरूम में प्लास्टिक की थैली काम में ले ली जाती है, लेकिन मटके में ढींगरी मशरूम प्लास्टिक की थैली की बजाय मटके में मशरूम निकाली जा सकती है. इसी के मद्देनजर मटके में मशरूम उगाने का नवाचार किया गया है. कृषि अनुसंधान केंद्र में मशरूम उत्पादन तकनीक की जल्दी ही युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा भी मशरूम की खेती से रोजगार हासिल कर सकेंगे. पढ़े-लिखे युवा मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. मशरूम की पैकिंग कर के बाजार में या होटल में सप्लाई देनी होगी, तभी उसकी डिमांड बढ़ेगी.
मशरूम आयुर्वेदिक दृष्टि से भी बहुत अच्छी मानी जाती है, इसमें पोषक तत्व शामिल हैं. इसके भाव 200 रुपये किलो तक भी चले जाते हैं. मांग के आधार पर मशरूम की खेती का लाभ मिलता है. वहीं, कृषि अनुसंधान केंद्र में आने वाले किसान ने बताया कि मशरूम की खेती युवाओं के लिए अच्छा रोजगार साबित हो सकती है. कम लागत में कम जगह पर मशरूम की खेती की जा सकती है. उन्होंने कहा कि वो खुद मशरूम की खेती के बारे में जानकारी लेने आए हैं. नई तकनीकों को अपनाकर जल्दी ही अच्छा फायदा लिया जा सकता है. मशरूम की खेती आमदनी बढ़ाने का सही तरीका है.