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SPECIAL: किसानों के पानी की समस्या पर खुद किसान नेता मौन, आखिर क्यों? - किसानों के पानी की समस्या

गंगनहर श्रीगंगानगर की जीवनदायिनी कही जाने वाली नहर है. इस नहर से किसानों का काफी भला होता है. लेकिन बीते अरसों से किसानों को इस नहर के पानी से महरूम होना पड़ रहा है. क्योंकि सूबे में सरकार भले ही किसी की रहे, लेकिन किसान की यह समस्या हमेशा जस की तस बनी रहती है.

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किसान नेता मौन...
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Published : Aug 21, 2020, 9:26 PM IST

श्रीगंगानगर. जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली गंग नहर में पंजाब के फिरोजपुर हेड से लेकर जिले में अंतिम छोर तक पानी चोरी होना कोई नई बात नहीं है. सूबे में सरकार भले ही किसी की रहे, लेकिन किसान की यह समस्या हमेशा जस की तस बनी रहती है. जिससे जिले के किसानों को निर्धारित मात्रा में उनके हिस्से का पानी नहीं मिल पाता है. नतीजा किसान आक्रोशित होकर सिंचाई विभाग में सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा देते हैं.

राजनीतिक पार्टियां भी किसानों से जुड़े ऐसे मुद्दों को उठाकर अपनी राजनीति का बिगुल फूंकती है. लेकिन जब सरकार बन जाती है, तो नेता किसानों के इन मुद्दों पर चुप्पी साध लेते है. दरअसल, पानी चोरी यहां भी बड़े पैमाने पर हो रही है. दबंग और प्रभावशाली किसान सरेआम पानी चोरी कर रहे हैं. इसका सबूत आए दिन नहरों से पानी चोरी होने की शिकायत सिंचाई अधिकारियों को मिल रही हैं. लेकिन विभाग के अधिकारी इस पर मौन है. गंगनहर की लाइनिंग में उगे झाड़ और झंखाड़ पर भी किसान नेता और राजनीतिक पार्टियां चुप्पी साधे हुए हैं. जबकि पेड़ों की शक्ल ले रहे झाड़ कभी भी गंग नहर को ध्वस्त कर बड़ी तबाही का कारण बन सकते हैं.

किसान नेता मौन...

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पंजाब में पानी चोरी पकड़ने के बाद किसान नेताओं को यह बात समझ में आ गई कि उनके हिस्से के पानी में से 500 से 600 क्यूसेक पानी चोरी हो रहा है. गंग नहर के खखां हेड से डाबला हेड तक 150 से 200 पाइपें लगी हुई है. लेकिन किसान नेताओं ने आज तक इन पाइपों की मंजूरी और झाड़ झंखाड़ को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बात नहीं की.

समेजा और करणी जी नहर से पानी चोरी के बड़े मामले सामने आने के बाद भी किसान नेताओं ने पानी चोरी करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए आज तक प्रभावी कदम नहीं उठाए. जिससे प्रभावशाली और दबंग किसान पानी की चोरी लगातार कर रहे हैं. वहीं दूसरे किसान पानी को तरस रहे हैं. उधर गंग नहर के रखरखाव और पानी चोरी रोकने के लिए राजस्थान सरकार पंजाब को हर साल बजट जारी करती है. लेकिन पंजाब में इसकी लाइनिंग में उगे झाड़ को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब सरकार बजट का कितना उपयोग कर रही है.

पढ़ेंः Special: ऑनलाइन एजुकेशन के पॉजिटिव रिजल्ट के बीच महिला शिक्षकों की निजता पर मंडराने लगा ये खतरा

श्रीगंगानगर जिले में आईजीएनपी, भाखड़ा और गंगनहर परियोजना से जुड़ी कृषि भूमि की सिंचाई होती है. सिंचाई पानी के समान वितरण को लेकर प्रतिदिन सवाल उठते रहे हैं. वहीं किसान धरना प्रदर्शन और आंदोलन करने पर क्यों मजबूर है. रेगुलेशन कमेटी की बैठक में किसानों का आक्रोश दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. यह बहुत गंभीर मुद्दा है. 45 आरडी फिरोजपुर से गंग कैनाल परियोजना में 2600 क्यूसेक से अधिक सिंचाई पानी छोड़ा जाता है, जबकि खखा हेड पर मुश्किल से 2 हजार सिंचाई पानी ही मिलता है. इस पानी में ही पेयजल और अन्य लॉसेज 550 क्यूसेक तक हो रहा है.

इसके बाद मुश्किल से 1500 क्यूसेक सिंचाई पानी किसानों को मिलता है. इतने पानी में सिंचाई पानी प्रवाहित करने पर कई नहरों की टेल यानी अंतिम छोर प्रभावित होती है. किसानों से जुड़े इन मुद्दोंं को फिलहाल विपक्ष में बैठी भाजपा सरकार एक माहौल बनाना चाहती है. हालांकी राज्य मे कांग्रेस की गहलोत सरकार पंजाब की कांग्रेस सरकार से बात करके पानी चोरी के इस मुद्दे का समाधान कर सकती है. लेकिन किसानों की समस्या को समाधान करने की इच्छा शक्ति ना होने के कारण किसानों को लगातार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

श्रीगंगानगर. जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली गंग नहर में पंजाब के फिरोजपुर हेड से लेकर जिले में अंतिम छोर तक पानी चोरी होना कोई नई बात नहीं है. सूबे में सरकार भले ही किसी की रहे, लेकिन किसान की यह समस्या हमेशा जस की तस बनी रहती है. जिससे जिले के किसानों को निर्धारित मात्रा में उनके हिस्से का पानी नहीं मिल पाता है. नतीजा किसान आक्रोशित होकर सिंचाई विभाग में सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा देते हैं.

राजनीतिक पार्टियां भी किसानों से जुड़े ऐसे मुद्दों को उठाकर अपनी राजनीति का बिगुल फूंकती है. लेकिन जब सरकार बन जाती है, तो नेता किसानों के इन मुद्दों पर चुप्पी साध लेते है. दरअसल, पानी चोरी यहां भी बड़े पैमाने पर हो रही है. दबंग और प्रभावशाली किसान सरेआम पानी चोरी कर रहे हैं. इसका सबूत आए दिन नहरों से पानी चोरी होने की शिकायत सिंचाई अधिकारियों को मिल रही हैं. लेकिन विभाग के अधिकारी इस पर मौन है. गंगनहर की लाइनिंग में उगे झाड़ और झंखाड़ पर भी किसान नेता और राजनीतिक पार्टियां चुप्पी साधे हुए हैं. जबकि पेड़ों की शक्ल ले रहे झाड़ कभी भी गंग नहर को ध्वस्त कर बड़ी तबाही का कारण बन सकते हैं.

किसान नेता मौन...

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पंजाब में पानी चोरी पकड़ने के बाद किसान नेताओं को यह बात समझ में आ गई कि उनके हिस्से के पानी में से 500 से 600 क्यूसेक पानी चोरी हो रहा है. गंग नहर के खखां हेड से डाबला हेड तक 150 से 200 पाइपें लगी हुई है. लेकिन किसान नेताओं ने आज तक इन पाइपों की मंजूरी और झाड़ झंखाड़ को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बात नहीं की.

समेजा और करणी जी नहर से पानी चोरी के बड़े मामले सामने आने के बाद भी किसान नेताओं ने पानी चोरी करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए आज तक प्रभावी कदम नहीं उठाए. जिससे प्रभावशाली और दबंग किसान पानी की चोरी लगातार कर रहे हैं. वहीं दूसरे किसान पानी को तरस रहे हैं. उधर गंग नहर के रखरखाव और पानी चोरी रोकने के लिए राजस्थान सरकार पंजाब को हर साल बजट जारी करती है. लेकिन पंजाब में इसकी लाइनिंग में उगे झाड़ को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब सरकार बजट का कितना उपयोग कर रही है.

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श्रीगंगानगर जिले में आईजीएनपी, भाखड़ा और गंगनहर परियोजना से जुड़ी कृषि भूमि की सिंचाई होती है. सिंचाई पानी के समान वितरण को लेकर प्रतिदिन सवाल उठते रहे हैं. वहीं किसान धरना प्रदर्शन और आंदोलन करने पर क्यों मजबूर है. रेगुलेशन कमेटी की बैठक में किसानों का आक्रोश दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. यह बहुत गंभीर मुद्दा है. 45 आरडी फिरोजपुर से गंग कैनाल परियोजना में 2600 क्यूसेक से अधिक सिंचाई पानी छोड़ा जाता है, जबकि खखा हेड पर मुश्किल से 2 हजार सिंचाई पानी ही मिलता है. इस पानी में ही पेयजल और अन्य लॉसेज 550 क्यूसेक तक हो रहा है.

इसके बाद मुश्किल से 1500 क्यूसेक सिंचाई पानी किसानों को मिलता है. इतने पानी में सिंचाई पानी प्रवाहित करने पर कई नहरों की टेल यानी अंतिम छोर प्रभावित होती है. किसानों से जुड़े इन मुद्दोंं को फिलहाल विपक्ष में बैठी भाजपा सरकार एक माहौल बनाना चाहती है. हालांकी राज्य मे कांग्रेस की गहलोत सरकार पंजाब की कांग्रेस सरकार से बात करके पानी चोरी के इस मुद्दे का समाधान कर सकती है. लेकिन किसानों की समस्या को समाधान करने की इच्छा शक्ति ना होने के कारण किसानों को लगातार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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