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बॉर्डर पर 55 साल से देश की सुरक्षा में मुस्तैद है BSF...

बॉर्डर पर पिछले 55 साल से देश की सुरक्षा में बीएसएफ के जवान मुस्तैद हैं. बीएसएफ के जवान दुश्मन की हर नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बॉर्डर पर डटे होते हैं, ताकि हर भारतीय अपने घरों में चैन की नींद सोते रहे. 1965 में जिस पैरा मिलिट्री फोर्स का गठन हुआ था, आज वो देश की नंबर वन फोर्स है.

Retired Deputy Commandant Sukhwant Singh, 56th Anniversary of BSF
रिटायर्ड डिप्टी कमांडेंट सुखवंत सिंह
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Published : Dec 1, 2020, 8:43 PM IST

Updated : Dec 2, 2020, 3:10 PM IST

श्रीगंगानगर. जब माइनस डिग्री तापमान में हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं, तब वो दुश्मन की हर नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बॉर्डर पर डटे होते हैं, ताकि हर भारतीय अपने घरों में चैन की नींद सोते रहे. जब ये हमारी सुरक्षा में सीमा पर तैनात होते हैं तो परिंदा भी पांव नहीं मार सकता है. हम बात कर रहे है बॉर्डर सिक्योरटी फोर्स की. 1965 में जिस पैरा मिलिट्री फोर्स का गठन हुआ था, आज वो देश की नंबर वन फोर्स है. पिछले 55 साल में उसने सीमा पर जिस तरह से अपनी बहादुरी दिखाई है उससे हर भारतीय इन पर गर्व करता है.

रिटायर्ड डिप्टी कमांडेंट सुखवंत सिंह से बातचीत-1

राजस्थान में पाकिस्तान से लगी सीमा पर सर्द रातों में रेत जब बर्फ से भी ठंडी हो जाती है तो हमारे जाबांज सीमा पर दुश्मन की हर नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं. वहीं, गर्मियों में यही रेत आग की तरह उबलती है तब भी हमारे जांबाज सरहद पर नजरे गड़ाए रहते हैं, ताकि आप और हम चैन से सो पाए.

पढ़ें- रेगिस्तान में BSF के जांबाज हमेशा रहते हैं मुस्तैद...1971 में पाक को दिया था मुंहतोड़ जवाब

ईटीवी भारत उन जांबाजों को सलाम करता है जो बुलंद हौसलों के साथ हमारी सीमा पर डटे हुए हैं. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी सीमा सुरक्षा बल के प्रहरी, इन विषम परिस्तिथियों में भी मुस्तैद हैं, चौकस हैं, चौक्न्ने हैं. राजस्थान के थार रेगिस्तान का ये वो इलाका है जो पाकिस्तान से सटा है, जिसकी लंबाई करीब एक हजार किलोमीटर है.

इस संवेदनशील सीमा की पहरेदारी में बीएसएफ के ये जवान कोताही नहीं करते हैं. ये वो इलाका है जहां जिंदगी बेहद मुश्किल है. गर्मियों में लू के थपेड़ों के साथ दोपहर का तापमान यहां 50 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच जाता है तो सर्दी की ठिठुरती ठंड में पारा माइनस में चला जाता है. इसके बाद भी ये जवान सीमा पर डटे रहते हैं.

रिटायर्ड डिप्टी कमांडेंट सुखवंत सिंह से बातचीत-2

श्रीगंगानगर की 210 किलोमीटर लंबी सरहदी सीमा

श्रीगंगानगर जिले की 210 किलोमीटर लंबी सरहदी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी बीएसएफ को वर्ष 1970 में सौंपी गई थी. तब से बीएसएफ बिना थके और बिना हारे यह जिम्मेदारी बखूबी निभाती आ रही है. बीएसएफ का यहां सेक्टर श्रीगंगानगर, रायसिंहनगर, श्रीकरणपुर और अनूपगढ़ में बटालियन मुख्यालय है.

बता दें कि चारों क्षेत्रों में अलग-अलग परिस्थितियां हैं. कोई चौकी जंगलों से घिरी है तो कोई रेतीले धोरों से. कई चौकियां ऐसी भी है, जो बारिश के सीजन में पानी से भर जाती है. बावजूद इनके बीएसएफ पल-पल चौकन्ना रहकर सरहद की सुरक्षा में जुटी है. बारिश के दिनों में जब चौकियां पानी से घिर जाती है तो हमारे जवान मोटरबोट से सीमा की निगरानी करते हैं. सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी की बढ़ती घटनाओं और पाकिस्तान के नापाक इरादों के बीच राजस्थान के सीमांत जिलों में बीएसएफ का पहरा अब और सख्त हो चुका है.

सीमा सुरक्षा बल अपना 56वां स्थापना दिवस की वर्षगांठ मना रही है. बीएसएफ की स्थापना 1965 में हुई थी तब से लेकर आज तक बीएसएफ बिना थके और बिना हारे देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा में लगातार बुलंद हौसलों के साथ सीमा पर मुस्तैद है. उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं पर तैनात होकर दुश्मन की हर हरकत को हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है. रिटायर्ड बीएसएफ अधिकारी बताते हैं कि बीएसएफ में भर्ती होकर देश की सेवा करने का जो मौका मिला है, उससे वह खुद पर गर्व महसूस करते हैं.

श्रीगंगानगर. जब माइनस डिग्री तापमान में हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं, तब वो दुश्मन की हर नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बॉर्डर पर डटे होते हैं, ताकि हर भारतीय अपने घरों में चैन की नींद सोते रहे. जब ये हमारी सुरक्षा में सीमा पर तैनात होते हैं तो परिंदा भी पांव नहीं मार सकता है. हम बात कर रहे है बॉर्डर सिक्योरटी फोर्स की. 1965 में जिस पैरा मिलिट्री फोर्स का गठन हुआ था, आज वो देश की नंबर वन फोर्स है. पिछले 55 साल में उसने सीमा पर जिस तरह से अपनी बहादुरी दिखाई है उससे हर भारतीय इन पर गर्व करता है.

रिटायर्ड डिप्टी कमांडेंट सुखवंत सिंह से बातचीत-1

राजस्थान में पाकिस्तान से लगी सीमा पर सर्द रातों में रेत जब बर्फ से भी ठंडी हो जाती है तो हमारे जाबांज सीमा पर दुश्मन की हर नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं. वहीं, गर्मियों में यही रेत आग की तरह उबलती है तब भी हमारे जांबाज सरहद पर नजरे गड़ाए रहते हैं, ताकि आप और हम चैन से सो पाए.

पढ़ें- रेगिस्तान में BSF के जांबाज हमेशा रहते हैं मुस्तैद...1971 में पाक को दिया था मुंहतोड़ जवाब

ईटीवी भारत उन जांबाजों को सलाम करता है जो बुलंद हौसलों के साथ हमारी सीमा पर डटे हुए हैं. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी सीमा सुरक्षा बल के प्रहरी, इन विषम परिस्तिथियों में भी मुस्तैद हैं, चौकस हैं, चौक्न्ने हैं. राजस्थान के थार रेगिस्तान का ये वो इलाका है जो पाकिस्तान से सटा है, जिसकी लंबाई करीब एक हजार किलोमीटर है.

इस संवेदनशील सीमा की पहरेदारी में बीएसएफ के ये जवान कोताही नहीं करते हैं. ये वो इलाका है जहां जिंदगी बेहद मुश्किल है. गर्मियों में लू के थपेड़ों के साथ दोपहर का तापमान यहां 50 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच जाता है तो सर्दी की ठिठुरती ठंड में पारा माइनस में चला जाता है. इसके बाद भी ये जवान सीमा पर डटे रहते हैं.

रिटायर्ड डिप्टी कमांडेंट सुखवंत सिंह से बातचीत-2

श्रीगंगानगर की 210 किलोमीटर लंबी सरहदी सीमा

श्रीगंगानगर जिले की 210 किलोमीटर लंबी सरहदी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी बीएसएफ को वर्ष 1970 में सौंपी गई थी. तब से बीएसएफ बिना थके और बिना हारे यह जिम्मेदारी बखूबी निभाती आ रही है. बीएसएफ का यहां सेक्टर श्रीगंगानगर, रायसिंहनगर, श्रीकरणपुर और अनूपगढ़ में बटालियन मुख्यालय है.

बता दें कि चारों क्षेत्रों में अलग-अलग परिस्थितियां हैं. कोई चौकी जंगलों से घिरी है तो कोई रेतीले धोरों से. कई चौकियां ऐसी भी है, जो बारिश के सीजन में पानी से भर जाती है. बावजूद इनके बीएसएफ पल-पल चौकन्ना रहकर सरहद की सुरक्षा में जुटी है. बारिश के दिनों में जब चौकियां पानी से घिर जाती है तो हमारे जवान मोटरबोट से सीमा की निगरानी करते हैं. सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी की बढ़ती घटनाओं और पाकिस्तान के नापाक इरादों के बीच राजस्थान के सीमांत जिलों में बीएसएफ का पहरा अब और सख्त हो चुका है.

सीमा सुरक्षा बल अपना 56वां स्थापना दिवस की वर्षगांठ मना रही है. बीएसएफ की स्थापना 1965 में हुई थी तब से लेकर आज तक बीएसएफ बिना थके और बिना हारे देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा में लगातार बुलंद हौसलों के साथ सीमा पर मुस्तैद है. उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं पर तैनात होकर दुश्मन की हर हरकत को हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है. रिटायर्ड बीएसएफ अधिकारी बताते हैं कि बीएसएफ में भर्ती होकर देश की सेवा करने का जो मौका मिला है, उससे वह खुद पर गर्व महसूस करते हैं.

Last Updated : Dec 2, 2020, 3:10 PM IST
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