सीकर. पंचायत चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं और अब कांग्रेस और भाजपा में जिला प्रमुख और प्रधान के लिए दौड़ धूप शुरू हो गई है. इन चुनाव में कई बड़े नेताओं के मंसूबों को करारा झटका लगा है और खास तौर पर जनता ने वंशवाद को करारा जवाब दिया है. सीकर जिले में भाजपा नेताओं के वंशवाद को करारा झटका लगा है, हालांकि कांग्रेस के नेता अपने परिवार के सदस्यों को चुनाव जिताने में कामयाब हुए. लेकिन, भाजपा के दिग्गजों के परिवार जन चुनाव नहीं जीत पाए. हालांकि, एक प्रत्याशी के चुनाव जीतने की वजह से सीकर जिला प्रमुख के पद पर बाजोर परिवार का कब्जा हो सकता है. लेकिन, इन दिग्गजों के कई परिजन चुनाव हार गए.
पढ़ें: राजस्थान पंचायत चुनाव : कांग्रेस के परंपरागत वोट पर BJP की सेंधमारी, सत्ताधारी कांग्रेस को बुरी तरह पछाड़ा
बंशीधर बाजिया की पत्नी और पुत्र हारे
पूर्व मंत्री बंशीधर बाजिया ने पंचायत समिति सदस्य के लिए अपनी पत्नी विनोद बाजिया और बेटे राहुल को चुनाव मैदान में उतारा था. लेकिन, चुनाव में दोनों ही हार गए. खंडेला से विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री महादेव सिंह के बेटे गिरिराज सिंह और पुत्र वधू मीनाक्षी सिंह को चुनाव में जीत मिली है.
खर्रा भी नहीं दिला पाए बेटे को जीत
सीकर के श्रीमाधोपुर में भाजपा में हमेशा झाबर सिंह खर्रा और उनके परिवार का दबदबा रहा है. उनके पिता हरलाल सिंह खर्रा लंबे समय तक विधायक रहे और मंत्री रहे. इसके साथ-साथ यहां की पंचायत समिति पर भी किसी परिवार का कब्जा रहा है. झाबर सिंह खर्रा खुद भी यहां के प्रधान रहे हैं और इस बार उन्होंने अपने बेटे दुर्गा सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन उसे जीत नहीं दिलवा पाए. हालांकि, झाबर सिंह खर्रा की पत्नी को चुनाव में जीत हासिल हुई है.
बाजोर एक जगह जीत दिलाने में कामयाब रहे
पूर्व विधायक और दिग्गज नेता प्रेम सिंह बाजोर ने जिला प्रमुख पद पर कब्जा जमाने के लिए अपने परिवार से दो महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था. इन्होंने अपनी पुत्रवधू गायत्री कवर और भतीजे की पत्नी सोनू कंवर को चुनाव मैदान में उतारा था. इनमें से सोनू कंवर चुनाव हार गई, लेकिन एक जगह जीत दिलाने में बाजोर कामयाब रहे.