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स्पेशल: खाटू धाम में श्याम प्रभु के नाम से पूजे जाते हैं वीर बर्बरीक

सीकर के विश्व विख्यात धार्मिक नगरी खाटू श्यामजी में पांडव महाबली भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र वीर बर्बरीक (बाबा श्याम) का शीश विग्रह रूप में विराजमान है. खाटू श्यामजी में हर साल 10 दिवसीय वार्षिक फाल्गुन शुक्ल एकादशी का विशाल वार्षिक लक्खी मेले का आयोजन होता है.

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श्याम प्रभु के नाम से पूजे जाते हैं वीर बर्बरीक
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Published : Feb 18, 2020, 11:59 PM IST

दातारामगढ़ (सीकर). खाटू श्यामजी के मेले में देश के कोने-कोने से करीब 35 से 40 लाख श्याम श्रद्धालु मेले के दौरान श्याम के दीदार के लिए यहां पहुंचते हैं. श्री कृष्ण भगवान ने वीर बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में श्री कृष्ण के नाम और स्वरूप श्याम नाम से पूजे जाएंगे. आज के भक्त वीर बर्बरीक को खाटू श्याम बाबा, शीश के दानी, खाटू नरेश, कलयुग के अवतार, श्याम सरकार और तीन बाणधारी आदि नामों से जयकारे लगाते बाबा को सम्बोधित किया जाता है.

श्याम प्रभु के नाम से पूजे जाते हैं वीर बर्बरीक

गौरतलब है कि जब वीर बर्बरीक ने अपनी माता से महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने की इच्छा प्रकट की. तब मां मोर्वी ने वीर बर्बरीक (बाबा श्याम) से वचन लिया कि तुम हारने वाले पक्ष का साथ दोगे. वीर बर्बरीक को तीन बाणों के साथ महाभारत युद्ध स्थल पर पहुंचने पर भगवान श्री कृष्ण ने रोका और वीर बर्बरीक की परीक्षा ली. उसमें सफल रहने पर श्री कृष्ण ने सोचा यह जिसकी ओर से युद्ध में भाग लेगा. सामने वाली सेना हारेगी और महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना हार रही थी.

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ऐसे में वीर बर्बरीक पांडव के विपक्ष में युद्ध करेंगे तो पांडवों की हार निश्चित है. श्री कृष्ण नहीं चाहते थे कि पांडवों की हार हो. ऐसे में कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उनका सर धड़ से अलग कर दिया. महाभारत युद्ध के समापन पर जब फैसला कराने वीर बर्बरीक के पास पहुंचे तो उनके सही फैसले के उतर से सन्तुष्ट होकर भगवान श्री कृष्ण ने वरदान दिया. कालान्तर (कलयुग) में मेरे श्याम बाबा के नाम से पूजे जाओगे. आज वही वीर बर्बरीक का शीश खाटूधाम में बाबा श्याम के नाम से पूजे जाते हैं.

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बाबा श्याम का शीश प्रकट...

कालान्तर में बाबा श्याम का शीश खाटू श्यामजी में प्रकट हुआ. जहां से शीश प्रगट हुआ, वह स्थान अब श्याम कुण्ड के नाम से जग जाहिर है. इस श्याम कुण्ड के पवित्र जल में श्रद्धालु स्नान कर बाबा श्याम के दर पर पहुंच भक्तगण जो भी मन्नत मांगता है. बाबा लखदातार उन श्याम भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. ऐसी श्याम कुण्ड की मान्यता है.

यहां से होकर पहुंचे खाटूधाम...

श्रद्धालु बाबा श्याम के दर तक इन मार्गों से होकर खाटू श्यामजी पहुंचा जा सकता है. जयपुर से 95, सीकर से 45, रेनवाल से 30, दातारामगढ़ से 36 किलोमीटर की दूरी तय कर और एक मात्र निकटतम रेलवे स्टेशन रींगस से सड़क मार्ग से 17 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है. आगामी 27 फरवरी से 7 मार्च तक आयोजित होने वाले बाबा श्याम के वार्षिक फाल्गुन लक्खी मेलेाकी तैयारियों में जिला प्रशासन और श्री श्याम मंदिर कमेटी अंतिम रूप देने में जुटी हुई है.

दातारामगढ़ (सीकर). खाटू श्यामजी के मेले में देश के कोने-कोने से करीब 35 से 40 लाख श्याम श्रद्धालु मेले के दौरान श्याम के दीदार के लिए यहां पहुंचते हैं. श्री कृष्ण भगवान ने वीर बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में श्री कृष्ण के नाम और स्वरूप श्याम नाम से पूजे जाएंगे. आज के भक्त वीर बर्बरीक को खाटू श्याम बाबा, शीश के दानी, खाटू नरेश, कलयुग के अवतार, श्याम सरकार और तीन बाणधारी आदि नामों से जयकारे लगाते बाबा को सम्बोधित किया जाता है.

श्याम प्रभु के नाम से पूजे जाते हैं वीर बर्बरीक

गौरतलब है कि जब वीर बर्बरीक ने अपनी माता से महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने की इच्छा प्रकट की. तब मां मोर्वी ने वीर बर्बरीक (बाबा श्याम) से वचन लिया कि तुम हारने वाले पक्ष का साथ दोगे. वीर बर्बरीक को तीन बाणों के साथ महाभारत युद्ध स्थल पर पहुंचने पर भगवान श्री कृष्ण ने रोका और वीर बर्बरीक की परीक्षा ली. उसमें सफल रहने पर श्री कृष्ण ने सोचा यह जिसकी ओर से युद्ध में भाग लेगा. सामने वाली सेना हारेगी और महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना हार रही थी.

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ऐसे में वीर बर्बरीक पांडव के विपक्ष में युद्ध करेंगे तो पांडवों की हार निश्चित है. श्री कृष्ण नहीं चाहते थे कि पांडवों की हार हो. ऐसे में कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उनका सर धड़ से अलग कर दिया. महाभारत युद्ध के समापन पर जब फैसला कराने वीर बर्बरीक के पास पहुंचे तो उनके सही फैसले के उतर से सन्तुष्ट होकर भगवान श्री कृष्ण ने वरदान दिया. कालान्तर (कलयुग) में मेरे श्याम बाबा के नाम से पूजे जाओगे. आज वही वीर बर्बरीक का शीश खाटूधाम में बाबा श्याम के नाम से पूजे जाते हैं.

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बाबा श्याम का शीश प्रकट...

कालान्तर में बाबा श्याम का शीश खाटू श्यामजी में प्रकट हुआ. जहां से शीश प्रगट हुआ, वह स्थान अब श्याम कुण्ड के नाम से जग जाहिर है. इस श्याम कुण्ड के पवित्र जल में श्रद्धालु स्नान कर बाबा श्याम के दर पर पहुंच भक्तगण जो भी मन्नत मांगता है. बाबा लखदातार उन श्याम भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. ऐसी श्याम कुण्ड की मान्यता है.

यहां से होकर पहुंचे खाटूधाम...

श्रद्धालु बाबा श्याम के दर तक इन मार्गों से होकर खाटू श्यामजी पहुंचा जा सकता है. जयपुर से 95, सीकर से 45, रेनवाल से 30, दातारामगढ़ से 36 किलोमीटर की दूरी तय कर और एक मात्र निकटतम रेलवे स्टेशन रींगस से सड़क मार्ग से 17 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है. आगामी 27 फरवरी से 7 मार्च तक आयोजित होने वाले बाबा श्याम के वार्षिक फाल्गुन लक्खी मेलेाकी तैयारियों में जिला प्रशासन और श्री श्याम मंदिर कमेटी अंतिम रूप देने में जुटी हुई है.

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