खण्डेला/सीकर: कारगिल युद्ध की जब भी चर्चा की जाती है सीकर जिले के गुढ़ा गांव के शहीद लांस हवलदार महावीर सिंह का नाम बड़े गर्व के साथ लिया जाता है. कारगिल युद्ध के समय पाक घुसपैठियों के विरुद्ध कार्रवाई के दौरान ऑपरेशन रक्षक में जम्मू कश्मीर के पूछ राजूरी सेक्टर में शहीद हो गए थे.
शहीद महावीर सिंह के छोटे बेटे सतपाल सिंह ने बताया कि जब पापा शहीद हुए थे उस समय हम बहुत छोटे थे हमे पता भी नहीं चला कि वो अब हमारे बीच नही रहे उस समय परिवार के व गांव के लोग यही बोल रहे थे कि पापा शहीद हो गए पिताजी बताया करते थे कि वो उसके दादा जी और दादा जी के भाई जो फ़ौज में थे उनसे प्रेरित होकर देश की सेवा के लिए सेना में जाने का विचार मन मे आया था.
शहीद हवलदार महावीर सिंह की 1980 में राम कंवर के साथ शादी हुई थी. शादी के 1 माह पश्चात ही शहीद महावीर सिंह सेना में भर्ती हो गए थे. महावीर सिंह के 2 पुत्र और एक पुत्री है. महावीर सिंह देश की रक्षा करते हुए जब शहीद हुए थे उनके बड़े पुत्र महिपाल सिंह की उम्र 12 वर्ष छोटे पुत्र सतपाल सिंह की उम्र 7 वर्ष व पुत्री नीरज कंवर की उम्र 5 वर्ष की थी.
आठ दिन पहले पत्नी से हुई थी बात:
वीरांगना राम कंवर ने बताया कि 25 दिसंबर 1999 को छुट्टी पूरी करने के पश्चात वो ड्यूटी के लिए गांव से रवाना हो गए थे. जम्मू पहुंचकर फोन करके बताया कि मैं यहां पहुंच गया हूं अपना और बच्चों का ध्यान रखना. 8 दिन बाद सुबह पता चला कि वह शहीद हो गए. मुझे और मेरे परिवार को गर्व है मेरे पति देश की सेवा करते हुए शहीद हुए हैं.
सरकार ने शहीद हवलदार महावीर सिंह के बड़े पुत्र महिपाल सिंह को तहसील में नौकरी दी थी जो वर्तमान समय मे तहसील श्रीमाधोपुर में कार्यरत है. शहीद के नाम गुढ़ा की राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय का नामकरण किया गया जो वर्तमान समय में जर्जर अवस्था में है. विद्यालय भवन को मरम्मत की सख्त आवश्यकता है.
परिजनों को शहीद स्मारक का इंतजार:
शहीद महावीर सिंह के परिजनों को शहीद स्मारक का इंतजार है वीरांगना राम कंवर ने बताया सरकार यदि शहीद स्मारक बनाना चाहे तो वह अपनी जमीन देने के लिए तैयार है. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है परिजनों को शहीद स्मारक का काफी लंबे समय से इंतजार है.