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नागौर : सिलिकोसिस प्रमाण पत्र फर्जीवाड़ा मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर हुआ शुरू

नागौर में सिलिकोसिस पीड़ितों को जारी किए गए प्रमाण पत्रों में भारी फर्जीवाड़े के आरोप लगने के बाद हड़कंप मच गया है. श्रम विभाग के सलाहकार बोर्ड के चिकित्सक द्वारा गड़बड़ी के आरोप लगाने के बाद आरोपों से घिरे मेडिकल बोर्ड के डॉ. श्रवन राव ने उनकी जांच पर सवाल खड़े किए हैं.

Silicosis certificate forgery, नागौर न्यूज
आरोप-प्रत्यारोप का दौर
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Published : Mar 8, 2020, 11:03 PM IST

नागौर. जिले में सिलिकोसिस पीड़ितों को जारी किए गए प्रमाण पत्रों में भारी फर्जीवाड़े के आरोप लगने के बाद हड़कंप मच गया है. वहीं दूसरी ओर जारी हुए 55 स्वास्थ्य प्रमाण पत्र में श्रम विभाग के सलाहकार बोर्ड के चिकित्सक द्वारा गड़बड़ी के आरोपों के बाद अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. इस मामले में नागौर टीबी अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की गठित बोर्ड के सदस्य ने श्रम विभाग के चिकित्सक की जाच पर सवाल उठा दिये हैं.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर

स्वास्थ्य विभाग की तीन चिकित्सकों की टीम द्वारा 155 सिलिकोसिस पीड़ितों में से 55 लोगों के पास फर्जी प्रमाणपत्र पाए गए. आरोपों से घिरे मेडिकल बोर्ड के सदस्य डॉ. श्रवन राव ने कहा कि पूरे मामले में JLN अस्पताल के रेडियोलिस्ट डॉ. पुरुषोत्तम टेलर और फिजीशियन डॉ. सुरेंद्र भाकल के बने बोर्ड द्वारा पीड़ितों को प्रमाण पत्र जारी किए गए थे. जबकि सवाल खड़े करने वाले डॉ. पीके सिसोदिया द्वारा ही 4 लोगों को सिलिकोसिस पीड़ित को प्रमाण पत्र जारी करने की बात उन्होंने कही है.

उन्होंने कहा कि 3 चिकित्सकों की बोर्ड द्वारा पीड़ितों को प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं. ऐसे में एक श्रम विभाग के चिकित्सक द्वारा लगाए गए आरोप प्रत्यारोप कहीं भी स्वीकार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सभी सिलिकोसिस पीड़ितों की एक बार फिर जांच कराई जाएगी. साथ ही जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में कुछ मरीजों को भेजकर उनके एक्स-रे और सीटी स्क्रीन की दोबारा जांच के बाद ही पूरे मामले में रिपोर्ट का इंतजार करने को कहा है.

पढ़ें- हिंदुस्तान जिंक के 1 कर्मचारी ने पीया जहर, प्रबंधन पर दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप

श्रम विभाग के सलाहकार सिलिकोसिस बोर्ड के डॉक्टर पीके सिसोदिया की टीम ने सिलिकोसिस से पीड़ितो की दोबारा से जांच की तो भारी फर्जीवाड़ा सामने आया था. सिलिकोसिस रोग से पीड़ित नहीं होने के बावजूद तीन चिकित्सकों की बोर्ड ने 50 से ज्यादा लोगों को प्रमाण पत्र जारी कर दिए थे. जांच टीम ने नागौर में तीन बार अलग-अलग कैंप आयोजित करके 50 से ज्यादा फर्जी प्रमाण पत्र को दोबारा जांच में पकड़ा था.

सिलिकोसिस पीड़ितों के फर्जी प्रमाण पत्र को लेकर श्रम विभाग के डॉक्टर और टीबी अस्पताल के चिकित्सक आमने-सामने हो गए हैं. लेकिन सवाल बडा है कि फर्जी प्रमाण पत्र देने के मामले में फजीहत चिकित्सा महकमें की ही हुई है.

नागौर. जिले में सिलिकोसिस पीड़ितों को जारी किए गए प्रमाण पत्रों में भारी फर्जीवाड़े के आरोप लगने के बाद हड़कंप मच गया है. वहीं दूसरी ओर जारी हुए 55 स्वास्थ्य प्रमाण पत्र में श्रम विभाग के सलाहकार बोर्ड के चिकित्सक द्वारा गड़बड़ी के आरोपों के बाद अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. इस मामले में नागौर टीबी अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की गठित बोर्ड के सदस्य ने श्रम विभाग के चिकित्सक की जाच पर सवाल उठा दिये हैं.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर

स्वास्थ्य विभाग की तीन चिकित्सकों की टीम द्वारा 155 सिलिकोसिस पीड़ितों में से 55 लोगों के पास फर्जी प्रमाणपत्र पाए गए. आरोपों से घिरे मेडिकल बोर्ड के सदस्य डॉ. श्रवन राव ने कहा कि पूरे मामले में JLN अस्पताल के रेडियोलिस्ट डॉ. पुरुषोत्तम टेलर और फिजीशियन डॉ. सुरेंद्र भाकल के बने बोर्ड द्वारा पीड़ितों को प्रमाण पत्र जारी किए गए थे. जबकि सवाल खड़े करने वाले डॉ. पीके सिसोदिया द्वारा ही 4 लोगों को सिलिकोसिस पीड़ित को प्रमाण पत्र जारी करने की बात उन्होंने कही है.

उन्होंने कहा कि 3 चिकित्सकों की बोर्ड द्वारा पीड़ितों को प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं. ऐसे में एक श्रम विभाग के चिकित्सक द्वारा लगाए गए आरोप प्रत्यारोप कहीं भी स्वीकार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सभी सिलिकोसिस पीड़ितों की एक बार फिर जांच कराई जाएगी. साथ ही जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में कुछ मरीजों को भेजकर उनके एक्स-रे और सीटी स्क्रीन की दोबारा जांच के बाद ही पूरे मामले में रिपोर्ट का इंतजार करने को कहा है.

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श्रम विभाग के सलाहकार सिलिकोसिस बोर्ड के डॉक्टर पीके सिसोदिया की टीम ने सिलिकोसिस से पीड़ितो की दोबारा से जांच की तो भारी फर्जीवाड़ा सामने आया था. सिलिकोसिस रोग से पीड़ित नहीं होने के बावजूद तीन चिकित्सकों की बोर्ड ने 50 से ज्यादा लोगों को प्रमाण पत्र जारी कर दिए थे. जांच टीम ने नागौर में तीन बार अलग-अलग कैंप आयोजित करके 50 से ज्यादा फर्जी प्रमाण पत्र को दोबारा जांच में पकड़ा था.

सिलिकोसिस पीड़ितों के फर्जी प्रमाण पत्र को लेकर श्रम विभाग के डॉक्टर और टीबी अस्पताल के चिकित्सक आमने-सामने हो गए हैं. लेकिन सवाल बडा है कि फर्जी प्रमाण पत्र देने के मामले में फजीहत चिकित्सा महकमें की ही हुई है.

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