नागौर. पंचायती राज विभाग की ओर से लागू की गई ई-टेंडर व्यवस्था का नागौर सरपंच संघ की ओर से विरोध जताया जा रहा है. सरपंच संघ ने जिला कलेक्ट्रेट पर मौन प्रदर्शन करते हुए जिला कलेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी को ज्ञापन दिया. सरपंच संघ की ओर दिए ज्ञापन देकर पंचायत समिति स्तर पर हो रहे टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग की हैं. साथ ही आने वाले वक्त में नागौर जिला सरपंच संघ सरकार की विभिन्न योजनाओं को ग्राम पंचायत स्तर पर कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गई है. वहीं संघ की ओर से जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी को भी ज्ञापन दिया गया.
सरपंच महिपाल सिंह ने बताया कि, पहले विभिन्न योजनाओं में सामग्री सप्लाई ग्राम पंचायत स्तर पर टेंडर प्रक्रिया के तहत टेंडर लेने वाली फॉर्म के जरिए की जाती थी. लेकिन नई व्यवस्था के अनुरूप अब उपखंड मुख्यालय स्थित पंचायत समिति स्तर पर विकास कार्यों को लेकर ई-टेंडर निकालने की व्यवस्था शुरू की गई है. पंचायती राज विभाग की ओर से सामग्री आपूर्ति के लिए अलग-अलग सामग्री के लिए ई-टेंडर निकालने से ग्राम पंचायतों में सही समय पर विकास कार्य नहीं हो पाएंगे. जिसका सरपंच संघ ने विरोध किया है.साथ ही पहले भी ग्राम पंचायत स्तर पर ई टेंडर होते थे. अब सरपंच संघ ने सरकार के आदेश का विरोध कर रहा है.
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सरपंच संघ की ओर से दिए गए ज्ञापन के जरिए बताया गया कि, पहले विकास कार्य योजना के लिए कार्यों का चयन, प्रशासनिक स्वीकृति, वित्तीय स्वीकृति या अन्य कार्य का भुगतान ग्राम पंचायत स्तर पर होता था. जो कि पंचायत स्तर पर मनरेगा सहित अन्य योजनाओं के लिए सामग्री सप्लाई के ऑफलाइन टेंडर ग्राम स्तर पर जारी होते थे. अब पंचायती राज विभाग ने नई व्यवस्था के अनुरूप ई-टेंडर प्रणाली को उपखंड मुख्यालय स्थित पंचायत समिति पर प्रक्रिया शुरू की गई है. पंचायत समिति स्तर पर होने वाली ई- टेंडर प्रणाली से समय अधिक लगेगा और ग्राम पंचायत स्तर पर विकास कार्य भी बाधित होंगे.
वहीं नागौर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी के मुताबिक पंचायती राज विभाग ने मनरेगा समेत अन्य सभी योजनाओं में सामग्री सप्लाई के लिए पहले ग्राम पंचायत स्तर पर होती थी. पिछले साल से ई-टेंडर प्रणाली में बदलाव करते हुए ग्राम पंचायत स्तर से हटाकर उपखंड मुख्यालय स्थित पंचायत समिति में ई-टेंडर प्रणाली व्यवस्था लागू की है.
साथ ही पंचायत सॉफ्टवेयर का प्रभावी क्रियावयन करने के लिए अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए हैं. इस नई व्यवस्था में ग्राम पंचायत निर्माण कार्यों से संबंधित सभी योजनाओं जैसे वार्षिक विकास कार्य योजनाओं के अनुसार कार्यों का चयन प्रशासनिक स्वीकृति वित्तीय स्वीकृति, समायोजन, यूसी, सीसी जारी करना अथवा अन्य का भुगतान सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाएगा. पंचायती राज विभाग की ई-टेंडर प्रणाली के दायरे में सभी ग्राम पंचायतें आएंगी.