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...तो क्या हर्ड इम्युनिटी बढ़ने से ही रुकेगा कोरोना? देखें रिपोर्ट - मास हिस्टीरिया

कोटा मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार शर्मा का कहना है कि हमारे देश के साथ-साथ विदेशों और कोटा का भी डाटा है, जिसमें साबित होता है कि 50 साल से ज्यादा लोगों की ही कोरोना वायरस से मौत हुई है. ऐसे में लोगों में कहीं ना कहीं जो खौफ कोरोना को लेकर बन गया है. इस मास हिस्टीरिया को लोगों के दिमाग से निकालना होगा.

कोटा न्यूज, kota news,  हर्ड इम्युनिटी सिस्टम, Heard Immunity System
तो क्या हर्ड इम्युनिटी बढ़ने से ही रुकेगा कोरोना
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Published : May 29, 2020, 1:55 PM IST

Updated : May 30, 2020, 4:28 PM IST

कोटा. जिले में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा युवा संक्रमित हो रहे हैं. इनमें अधिकांश में लक्षण नहीं है. यहां तक कि कोटा की बात की जाए, तो अबतक 269 केस 40 साल के लोगों के सामने आए हैं. इनमें से एक ही मौत सामने आई है.

तो क्या हर्ड इम्युनिटी बढ़ने से ही रुकेगा कोरोना

बता दें, कि चिकित्सकों का मानना है कि वायरस अपने देश से पूरी तरह से नहीं गया है. अर्थव्यवस्था संभालने के लिए लॉकडाउन में भी छूट दी गई है. इसके चलते लोग सड़कों पर निकल रहे हैं. पहले के लॉकडाउन से वायरस का ट्रांसमिशन कम हुआ है जो अब बढ़ गया है, लेकिन चिंता की बात इसलिए नहीं है कि कोरोना से मौत की दर किसी भी महामारी से कम है.

कोटा न्यूज, kota news,  हर्ड इम्युनिटी सिस्टम, Heard Immunity System
ये हैं आकड़े....पार्ट-1

कोटा मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार शर्मा का कहना है कि हमारे देश के साथ-साथ विदेशों और कोटा का भी डाटा है. जिसमें साबित होता है कि 50 साल से ज्यादा और अन्य बीमारियों से जुड़े हुए लोगों की ही कोरोना वायरस से मौत हुई है. ऐसे में लोगों में कहीं ना कहीं जो खौफ कोरोना को लेकर बन गया है. इस मास हिस्टीरिया को लोगों के दिमाग से निकालना होगा. ऐसे लोग जिनकी उम्र 45 साल से कम है और अन्य बीमारियां उन्हें नहीं है. ऐसे लोगों को तो घबराने की जरूरत भी नहीं है.

कोटा न्यूज, kota news,  हर्ड इम्युनिटी सिस्टम, Heard Immunity System
ये हैं आकड़े....पार्ट-2

वायरल को हर्ड इनयुनिटी या ट्रांसमिशन खत्म करके रोका जा सकता है

मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार शर्मा कहते हैं कि कोरोना एक वायरल पेंडेमिक है, इसे दो तरह से ही रोका जा सकता है. एक वायरस के ट्रांसमिशन को कम कर या हर्ड इम्युनिटी के जरिए. भारत में लोगों का सामाजिक आर्थिक स्तर कमजोर है. ऐसे में मकान सटे हुए हैं, तो वायरल ट्रांसमिशन को मुश्किल से ही कंट्रोल किया जा सकता है. ऐसे में हर्ड इम्यूनिटी के जरिए ही लोगों की बॉडी इम्यूनिटी बढ़ाई जाए. जिसमें काम-काज करते समय थोड़ा बहुत वायरस से एक्सपोज हो जाए. यदि सबक्लिनिकली एक्सपोज होंगे, तो उनमें इम्यूनिटी पूरी आएगी और हर्ड इम्युनिटी बढ़ेगी. हालांकि, इसमें यह कहने का कतई मतलब नहीं है कि लोग जानबूझकर ही वायरस से एक्सपोज हो, सावधानी तो रखनी ही होगी.

कोटा न्यूज, kota news,  हर्ड इम्युनिटी सिस्टम, Heard Immunity System
तो क्या हर्ड इम्युनिटी बढ़ने से ही रुकेगा कोरोना
प्रवासी मजदूरों में कोरोना हुआ, लेकिन मौत नहीं

निर्मल कुमार शर्मा ने बताया कि प्रवासी मजदूर भी लाखों की तादाद में अपने गृह राज्यों को लौटे हैं. इनमें से कई मरीज कोरोना संक्रमित सामने आए हैं, जबकि 2 महीने तक पैदल चले हैं. इनमें काफी संख्या में भूखे, प्यासे और थकान में भी थे, लेकिन शायद ही किसी शख्स की कोरोना से मौत हुई है. सबसे ज्यादा मौत भूख और प्यास से हुई होगी, लेकिन अधिकांश मजदूर जो 50 साल से कम और इनमें कोमोरबिडिटीज नहीं होने से कोरोना के चलते मौत नहीं हुई.

पढ़ेंः मजदूरों को लेकर संवेदनहीन है केंद्र...राजनीतिक द्वेष भुलाकर विपक्ष की बात सुने मोदी सरकारः गहलोत


50 साल से कम के लोगों में 0.01% डेथ रेशो

डॉ. निर्मल कुमार शर्मा का कहना है कि सामान्य उम्र 45-50 से कम है और अन्य बीमारियां नहीं है. उनमें केस फर्टिलिटी रेट 0.01% से कम है. इसीलिए बहुत ज्यादा घबराने की बात नहीं है. इसके अलावा जो भी लोग संक्रमित हुए है, उनमें से अधिकांश 5 से 7 दिन के भीतर ठीक भी हो रहे हैं.

वैक्सीन में लगेगा समय

अभी वैक्सीन आने की बात बहुत दूर है, अब तक जितनी बीमारियों में पहले वैक्सीन आई है उसमें साढ़े तीन साल लग गए थे. इसकी उम्मीद कम है कि इस साल को कोरोना की वैक्सीन आ जाए.

पढ़ेंः COVID अस्पताल में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया मरीज, पास खड़ा व्यक्ति बनाता रहा Video


बुजुर्गों की ज्यादा हो रही है मौत

कोटा जिले के सैंपल कलेक्शन प्रभारी डॉ. सौरभ शर्मा का कहना है कि 6 अप्रैल से अब तक 422 संक्रमित हुए हैं. उनमें से 269 पुरुष और 153 महिलाएं संक्रमित हुई है. नीचे से लेकर 10-10 साल की उम्र में जब हम बढ़ते हैं, तो संक्रमितो की संख्या बढ़ती जा रही है. 40 साल के बाद इसी क्रम में कम हो रही है. इससे साफ हैं कि जिनका एक्सपोर्ट ज्यादा हो रहा है. वह संक्रमित ज्यादा हो रहे हैं, लेकिन मौत की बात की जाए तो उल्टा हो रहा है.

कोटा. जिले में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा युवा संक्रमित हो रहे हैं. इनमें अधिकांश में लक्षण नहीं है. यहां तक कि कोटा की बात की जाए, तो अबतक 269 केस 40 साल के लोगों के सामने आए हैं. इनमें से एक ही मौत सामने आई है.

तो क्या हर्ड इम्युनिटी बढ़ने से ही रुकेगा कोरोना

बता दें, कि चिकित्सकों का मानना है कि वायरस अपने देश से पूरी तरह से नहीं गया है. अर्थव्यवस्था संभालने के लिए लॉकडाउन में भी छूट दी गई है. इसके चलते लोग सड़कों पर निकल रहे हैं. पहले के लॉकडाउन से वायरस का ट्रांसमिशन कम हुआ है जो अब बढ़ गया है, लेकिन चिंता की बात इसलिए नहीं है कि कोरोना से मौत की दर किसी भी महामारी से कम है.

कोटा न्यूज, kota news,  हर्ड इम्युनिटी सिस्टम, Heard Immunity System
ये हैं आकड़े....पार्ट-1

कोटा मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार शर्मा का कहना है कि हमारे देश के साथ-साथ विदेशों और कोटा का भी डाटा है. जिसमें साबित होता है कि 50 साल से ज्यादा और अन्य बीमारियों से जुड़े हुए लोगों की ही कोरोना वायरस से मौत हुई है. ऐसे में लोगों में कहीं ना कहीं जो खौफ कोरोना को लेकर बन गया है. इस मास हिस्टीरिया को लोगों के दिमाग से निकालना होगा. ऐसे लोग जिनकी उम्र 45 साल से कम है और अन्य बीमारियां उन्हें नहीं है. ऐसे लोगों को तो घबराने की जरूरत भी नहीं है.

कोटा न्यूज, kota news,  हर्ड इम्युनिटी सिस्टम, Heard Immunity System
ये हैं आकड़े....पार्ट-2

वायरल को हर्ड इनयुनिटी या ट्रांसमिशन खत्म करके रोका जा सकता है

मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार शर्मा कहते हैं कि कोरोना एक वायरल पेंडेमिक है, इसे दो तरह से ही रोका जा सकता है. एक वायरस के ट्रांसमिशन को कम कर या हर्ड इम्युनिटी के जरिए. भारत में लोगों का सामाजिक आर्थिक स्तर कमजोर है. ऐसे में मकान सटे हुए हैं, तो वायरल ट्रांसमिशन को मुश्किल से ही कंट्रोल किया जा सकता है. ऐसे में हर्ड इम्यूनिटी के जरिए ही लोगों की बॉडी इम्यूनिटी बढ़ाई जाए. जिसमें काम-काज करते समय थोड़ा बहुत वायरस से एक्सपोज हो जाए. यदि सबक्लिनिकली एक्सपोज होंगे, तो उनमें इम्यूनिटी पूरी आएगी और हर्ड इम्युनिटी बढ़ेगी. हालांकि, इसमें यह कहने का कतई मतलब नहीं है कि लोग जानबूझकर ही वायरस से एक्सपोज हो, सावधानी तो रखनी ही होगी.

कोटा न्यूज, kota news,  हर्ड इम्युनिटी सिस्टम, Heard Immunity System
तो क्या हर्ड इम्युनिटी बढ़ने से ही रुकेगा कोरोना
प्रवासी मजदूरों में कोरोना हुआ, लेकिन मौत नहीं

निर्मल कुमार शर्मा ने बताया कि प्रवासी मजदूर भी लाखों की तादाद में अपने गृह राज्यों को लौटे हैं. इनमें से कई मरीज कोरोना संक्रमित सामने आए हैं, जबकि 2 महीने तक पैदल चले हैं. इनमें काफी संख्या में भूखे, प्यासे और थकान में भी थे, लेकिन शायद ही किसी शख्स की कोरोना से मौत हुई है. सबसे ज्यादा मौत भूख और प्यास से हुई होगी, लेकिन अधिकांश मजदूर जो 50 साल से कम और इनमें कोमोरबिडिटीज नहीं होने से कोरोना के चलते मौत नहीं हुई.

पढ़ेंः मजदूरों को लेकर संवेदनहीन है केंद्र...राजनीतिक द्वेष भुलाकर विपक्ष की बात सुने मोदी सरकारः गहलोत


50 साल से कम के लोगों में 0.01% डेथ रेशो

डॉ. निर्मल कुमार शर्मा का कहना है कि सामान्य उम्र 45-50 से कम है और अन्य बीमारियां नहीं है. उनमें केस फर्टिलिटी रेट 0.01% से कम है. इसीलिए बहुत ज्यादा घबराने की बात नहीं है. इसके अलावा जो भी लोग संक्रमित हुए है, उनमें से अधिकांश 5 से 7 दिन के भीतर ठीक भी हो रहे हैं.

वैक्सीन में लगेगा समय

अभी वैक्सीन आने की बात बहुत दूर है, अब तक जितनी बीमारियों में पहले वैक्सीन आई है उसमें साढ़े तीन साल लग गए थे. इसकी उम्मीद कम है कि इस साल को कोरोना की वैक्सीन आ जाए.

पढ़ेंः COVID अस्पताल में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया मरीज, पास खड़ा व्यक्ति बनाता रहा Video


बुजुर्गों की ज्यादा हो रही है मौत

कोटा जिले के सैंपल कलेक्शन प्रभारी डॉ. सौरभ शर्मा का कहना है कि 6 अप्रैल से अब तक 422 संक्रमित हुए हैं. उनमें से 269 पुरुष और 153 महिलाएं संक्रमित हुई है. नीचे से लेकर 10-10 साल की उम्र में जब हम बढ़ते हैं, तो संक्रमितो की संख्या बढ़ती जा रही है. 40 साल के बाद इसी क्रम में कम हो रही है. इससे साफ हैं कि जिनका एक्सपोर्ट ज्यादा हो रहा है. वह संक्रमित ज्यादा हो रहे हैं, लेकिन मौत की बात की जाए तो उल्टा हो रहा है.

Last Updated : May 30, 2020, 4:28 PM IST
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