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गजब ! मौत के 4 महीने बाद मैसेज आया कि वैक्सीन लग गई, बेटे ने सर्टिफिकेट भी डाउनलोड कर लिया...

एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके वैक्सीनेशन के सेकंड डोज लगाने की बात सामने आ रही है. हालांकि, इसका खुलासा तब हुआ जब वैक्सीनेशन लगने का मैसेज उनके बेटे के मोबाइल पर गया और उन्होंने वैक्सीनेशन की ऑथराइज वेबसाइट कोविन पर जाकर सर्टिफिकेट भी डाउनलोड कर लिया.

kota vaccination news
कोटा में मृत व्यक्ति के कैसे लगा दी गई वैक्सीन...
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Published : Oct 28, 2021, 9:05 PM IST

कोटा. देश में कोविड-19 से बचाव के टीकाकरण ने 100 करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा छू लिया है, लेकिन गड़बड़झाले के मामले में लगातार सामने आ रहे हैं. ऐसा ही मामला कोटा में भी सामने आया. जहां पर एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके वैक्सीनेशन के सेकंड डोज लगाने की बात सामने आ रही है.

हालांकि, इसका खुलासा तब हुआ, जब वैक्सीनेशन लगने का मैसेज उनके बेटे के मोबाइल पर गया और उन्होंने वैक्सीनेशन की ऑथराइज वेबसाइट कोविन पर जाकर सर्टिफिकेट भी डाउनलोड कर लिया. मामले के अनुसार गोपाल ठाकुर दादाबाड़ी विस्तार योजना निवासी थे. जिन्होंने अपनी पहली रोज 14 अप्रैल 2021 को लगवाई थी, जो कि दादाबाड़ी एरिया में ही स्थानीय स्तर पर कैंप आयोजित हुआ था, वहां लगी थी. इसके बाद जून महीने में उनकी तबियत बिगड़ गई और उन्हें बीपी कम होने की शिकायत पर झालावाड़ रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया.

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सर्टिफिकेट भी डाउनलोड किया...

जहां पर 10 जून को मल्टी ऑर्गन फैलियर होने के चलते उनकी मौत हो गई. इस समय उनकी उम्र 73 साल थी. उनके कोविड-19 की दूसरी डोज नहीं लगी थी. इसके चलते आज अचानक उनके बेटे अविनाश ठाकुर के मोबाइल पर एक मैसेज आता है. जिनमें कोविड-19 से बचाव की कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज उनके पिता गोपाल ठाकुर के लगाने की जानकारी दी जाती है.

पढ़ें : RLP सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने CM पर साधा निशाना, कहा- पुत्र मोह में गहलोत बने धृतराष्ट्र

इसके बाद उन्होंने सर्टिफिकेट भी डाउनलोड कर लिया और यह सर्टिफिकेट भी डाउनलोड हो गया है. इस सर्टिफिकेट के अनुसार उनके आज जो दूसरी डोज गायत्री शक्तिपीठ में लगना बताया जा रहा है. जबकि गोपाल ठाकुर इस दुनिया में ही नहीं है. उनके बेटे अविनाश ठाकुर का कहना है कि यह गड़बड़झाला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का है और यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार का मामला भी बनता है कि यह वैक्सीन भी अगर किसी मृत व्यक्ति के लगाना बता रहे हैं तो वैक्सीन कहां गई.

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कोटा में मृत व्यक्ति के कैसे लगा दी गई वैक्सीन...

इस मामले में कोटा के सीएमएचओ डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि तकनीकी खामी हो सकती है. आजकल एक मोबाइल नंबर की डिजिट भी अलग होने से दूसरे व्यक्ति के मैसेज चला जाता है. ऐसे में इस केस को रेक्टिफाई किया जाएगा.

कोटा. देश में कोविड-19 से बचाव के टीकाकरण ने 100 करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा छू लिया है, लेकिन गड़बड़झाले के मामले में लगातार सामने आ रहे हैं. ऐसा ही मामला कोटा में भी सामने आया. जहां पर एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके वैक्सीनेशन के सेकंड डोज लगाने की बात सामने आ रही है.

हालांकि, इसका खुलासा तब हुआ, जब वैक्सीनेशन लगने का मैसेज उनके बेटे के मोबाइल पर गया और उन्होंने वैक्सीनेशन की ऑथराइज वेबसाइट कोविन पर जाकर सर्टिफिकेट भी डाउनलोड कर लिया. मामले के अनुसार गोपाल ठाकुर दादाबाड़ी विस्तार योजना निवासी थे. जिन्होंने अपनी पहली रोज 14 अप्रैल 2021 को लगवाई थी, जो कि दादाबाड़ी एरिया में ही स्थानीय स्तर पर कैंप आयोजित हुआ था, वहां लगी थी. इसके बाद जून महीने में उनकी तबियत बिगड़ गई और उन्हें बीपी कम होने की शिकायत पर झालावाड़ रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया.

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सर्टिफिकेट भी डाउनलोड किया...

जहां पर 10 जून को मल्टी ऑर्गन फैलियर होने के चलते उनकी मौत हो गई. इस समय उनकी उम्र 73 साल थी. उनके कोविड-19 की दूसरी डोज नहीं लगी थी. इसके चलते आज अचानक उनके बेटे अविनाश ठाकुर के मोबाइल पर एक मैसेज आता है. जिनमें कोविड-19 से बचाव की कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज उनके पिता गोपाल ठाकुर के लगाने की जानकारी दी जाती है.

पढ़ें : RLP सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने CM पर साधा निशाना, कहा- पुत्र मोह में गहलोत बने धृतराष्ट्र

इसके बाद उन्होंने सर्टिफिकेट भी डाउनलोड कर लिया और यह सर्टिफिकेट भी डाउनलोड हो गया है. इस सर्टिफिकेट के अनुसार उनके आज जो दूसरी डोज गायत्री शक्तिपीठ में लगना बताया जा रहा है. जबकि गोपाल ठाकुर इस दुनिया में ही नहीं है. उनके बेटे अविनाश ठाकुर का कहना है कि यह गड़बड़झाला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का है और यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार का मामला भी बनता है कि यह वैक्सीन भी अगर किसी मृत व्यक्ति के लगाना बता रहे हैं तो वैक्सीन कहां गई.

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कोटा में मृत व्यक्ति के कैसे लगा दी गई वैक्सीन...

इस मामले में कोटा के सीएमएचओ डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि तकनीकी खामी हो सकती है. आजकल एक मोबाइल नंबर की डिजिट भी अलग होने से दूसरे व्यक्ति के मैसेज चला जाता है. ऐसे में इस केस को रेक्टिफाई किया जाएगा.

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