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पटाखों का Side Effect: बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक झुलसे, कई की रोशनी गई

दिवाली पर पटाखे फोड़ते वक्त भले ही सबके चेहरे पर हंसी रहती हो, लेकिन वहीं पटाखे कई बार नुकसानदायक साबित होते हैं. राजस्थान के कोटा में इस साल पटाखों से कई लोग झुलस गए. करीब 6 लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

bursting firecrackers , Diwali 2021
पटाखों का साइड इफेक्ट
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Published : Nov 5, 2021, 11:02 AM IST

कोटा. दिवाली के अवसर पर पटाखे हर घर के बाहर जलाए जाते हैं, लेकिन कई जगह पर हादसों का शिकार भी हो जाते हैं. जिनमें कम उम्र के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक भी घायल होते हैं. ऐसा ही इस बार कोटा में भी करीब 20 से अधिक इस तरह के हादसे होने की बात सामने आ रही है. जिसमें कई लोग झुलस गए और कई लोगों के आंखों में भी चोटें आई हैं.

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कई लोगों की रोशनी नहीं आएगी वापस

कोटा (Kota) के तलवंडी स्थित निजी अस्पताल में भी ऐसे कई लोग पहुंचे. जिनकी आंखों में पटाखे की रोशनी (Firecracker Light) जाने से नुकसान हुआ है. ऐसे कई लोग हैं जिनकी रोशनी तो वापस नहीं आएगी. साथ ही कुछ ऐसे लोग हैं, जिनका लंबा उपचार चलेगा और रोशनी वापस लौट आएगी. इसी तरह से एमबीएस (MBS) और नए अस्पताल की इमरजेंसी में भी कई लोग झुलसने के बाद में उपचार के लिए पहुंचे है. जिनमें से करीब 6 को अस्पताल में भर्ती भी किया गया है.

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बूंदी में भी झुलसे कई लोग

बूंदी जिले के तालेड़ा के कैथूदा निवासी 9 वर्षीय नव्या भी पटाखे से झुलस गई है. उसके चेहरे पर मुंह के पास में चोट लगी है. ऐसे में उसे एमबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया है. निजी नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश कुमार पांडे का कहना है कि बोरखेड़ा निवासी 14 वर्षीय सोनू सिंह चाइनीस फायरक्रैकर्स गन (Chinese Firecrackers Gun) से पटाखा चला रहा था. इसी दौरान एक पटाखा अचानक उसकी दाईं आंख में जाकर घुस गया. जिससे गंभीर चोट लगी है. आंख में चोट के चलते उसे दिखाई देना अभी बंद हो गया है. उसकी जांच में कोर्नियल थर्मल बर्न (Corneal Thermal Burn), आंख में खून भरना और चोट लगने के कारण काला पानी होना पाया गया है.

साथ ही रोटेना कापरेन निवासी 4 वर्षीय हर्षिता की भी दाईं आंख की पारदर्शी पुतली में चोट लगी है. दरअसल, वह पटाखा चलाने के लिए जा रही थी, तभी किसी दूसरे बच्चे ने पटाखा चला दिया जो कि उसकी दाईं आंख में जाकर लगा. अब उसकी आंख भी नहीं खुल पा रही है. बता दें कि आंख को एनेस्थीसिया (Anaesthesia) देकर बारूद निकाला गया है. उसकी रोशनी आने में अभी 10 से 15 दिन का समय लग सकता है. इसी तरह से एक बच्ची अगरबत्ती लेकर जा रही थी और उसके भी आंख में रोशनी चली गई है.

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शहर में एक भी जगह नहीं लगी आग, मुस्तैद रहा फायर कर्मियों का दल

राज्य सरकार (Gehlot Government) ने इस बार केवल ग्रीन पटाखों को ही अनुमति दी थी, लेकिन ग्रीन पटाखों (Green Crackers) की आड़ में दूसरे पटाखे भी बड़ी मात्रा में जलाए गए. हालांकि गनीमत यह रही कि एक भी जगह पर आग लगने का मामला सामने नहीं आया. इस बार दिवाली पर रिकॉर्ड कायम हुआ है. जबकि इसके पहले दिवाली पर कई जगह पर आग लगने की बात सामने आती थी. ऐसे में फायर ब्रिगेड (Fire Brigade) की टीमें मुस्तैद की जाती थी. इस बार भी ऐसा ही हुआ.

सहायक अग्निशमन अधिकारी देवेंद्र गौतम (Assistant Fire Officer Devendra Gautam) ने बताया कि रात भर उनकी पूरी टीम मुस्तैद रही, लेकिन कहीं भी आग नहीं लगी है. साथ ही उन्होंने बताया कि 2020 में कोविड-19 का असर ज्यादा था, तब भी एक हादसा ही हुआ था. वहीं 2019 में एक जगह पर कचरे में आग लगी थी, केवल जबकि 2018 में 2 दर्जन जगह पर आगजनी हुई थी.

कोटा. दिवाली के अवसर पर पटाखे हर घर के बाहर जलाए जाते हैं, लेकिन कई जगह पर हादसों का शिकार भी हो जाते हैं. जिनमें कम उम्र के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक भी घायल होते हैं. ऐसा ही इस बार कोटा में भी करीब 20 से अधिक इस तरह के हादसे होने की बात सामने आ रही है. जिसमें कई लोग झुलस गए और कई लोगों के आंखों में भी चोटें आई हैं.

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कई लोगों की रोशनी नहीं आएगी वापस

कोटा (Kota) के तलवंडी स्थित निजी अस्पताल में भी ऐसे कई लोग पहुंचे. जिनकी आंखों में पटाखे की रोशनी (Firecracker Light) जाने से नुकसान हुआ है. ऐसे कई लोग हैं जिनकी रोशनी तो वापस नहीं आएगी. साथ ही कुछ ऐसे लोग हैं, जिनका लंबा उपचार चलेगा और रोशनी वापस लौट आएगी. इसी तरह से एमबीएस (MBS) और नए अस्पताल की इमरजेंसी में भी कई लोग झुलसने के बाद में उपचार के लिए पहुंचे है. जिनमें से करीब 6 को अस्पताल में भर्ती भी किया गया है.

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बूंदी में भी झुलसे कई लोग

बूंदी जिले के तालेड़ा के कैथूदा निवासी 9 वर्षीय नव्या भी पटाखे से झुलस गई है. उसके चेहरे पर मुंह के पास में चोट लगी है. ऐसे में उसे एमबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया है. निजी नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश कुमार पांडे का कहना है कि बोरखेड़ा निवासी 14 वर्षीय सोनू सिंह चाइनीस फायरक्रैकर्स गन (Chinese Firecrackers Gun) से पटाखा चला रहा था. इसी दौरान एक पटाखा अचानक उसकी दाईं आंख में जाकर घुस गया. जिससे गंभीर चोट लगी है. आंख में चोट के चलते उसे दिखाई देना अभी बंद हो गया है. उसकी जांच में कोर्नियल थर्मल बर्न (Corneal Thermal Burn), आंख में खून भरना और चोट लगने के कारण काला पानी होना पाया गया है.

साथ ही रोटेना कापरेन निवासी 4 वर्षीय हर्षिता की भी दाईं आंख की पारदर्शी पुतली में चोट लगी है. दरअसल, वह पटाखा चलाने के लिए जा रही थी, तभी किसी दूसरे बच्चे ने पटाखा चला दिया जो कि उसकी दाईं आंख में जाकर लगा. अब उसकी आंख भी नहीं खुल पा रही है. बता दें कि आंख को एनेस्थीसिया (Anaesthesia) देकर बारूद निकाला गया है. उसकी रोशनी आने में अभी 10 से 15 दिन का समय लग सकता है. इसी तरह से एक बच्ची अगरबत्ती लेकर जा रही थी और उसके भी आंख में रोशनी चली गई है.

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शहर में एक भी जगह नहीं लगी आग, मुस्तैद रहा फायर कर्मियों का दल

राज्य सरकार (Gehlot Government) ने इस बार केवल ग्रीन पटाखों को ही अनुमति दी थी, लेकिन ग्रीन पटाखों (Green Crackers) की आड़ में दूसरे पटाखे भी बड़ी मात्रा में जलाए गए. हालांकि गनीमत यह रही कि एक भी जगह पर आग लगने का मामला सामने नहीं आया. इस बार दिवाली पर रिकॉर्ड कायम हुआ है. जबकि इसके पहले दिवाली पर कई जगह पर आग लगने की बात सामने आती थी. ऐसे में फायर ब्रिगेड (Fire Brigade) की टीमें मुस्तैद की जाती थी. इस बार भी ऐसा ही हुआ.

सहायक अग्निशमन अधिकारी देवेंद्र गौतम (Assistant Fire Officer Devendra Gautam) ने बताया कि रात भर उनकी पूरी टीम मुस्तैद रही, लेकिन कहीं भी आग नहीं लगी है. साथ ही उन्होंने बताया कि 2020 में कोविड-19 का असर ज्यादा था, तब भी एक हादसा ही हुआ था. वहीं 2019 में एक जगह पर कचरे में आग लगी थी, केवल जबकि 2018 में 2 दर्जन जगह पर आगजनी हुई थी.

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