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चंबल की डाउन स्ट्रीम में जान जोखिम में डाल मछली पकड़ रहे लोग

कोटा में चंबल नदी की डाउन स्ट्रीम में बच्चे, लड़कियों समेत सैकड़ों लोग जान जोखिम में डालकर मछली पकड़ते हैं. जहां पानी के बहाव से कभी भी हादसा हो सकता है. इस पर जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने शिकायत भी की है.

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Published : Sep 23, 2019, 9:00 PM IST

Chambal River News, कोटा न्यूज

कोटा. जिले में बैराज से अभी भी लाखों क्यूसेक पानी की निकासी चंबल नदी में हो रही है. डाउन स्ट्रीम में तेज गति से चंबल नदी का पानी भर रहा है. वहीं बच्चे, लड़कियों समेत सैकड़ों लोग जान जोखिम में डालकर मछली पकड़ते हैं. ये लोग अपने जाल और कांटे लेकर चंबल के किनारों पर बैठे रहते हैं.

पढ़ें- झालावाड़ में इंजन चोरी के शक में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या

जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने इनकी कई बार शिकायत की है. लेकिन अभी तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है. जिस कारण मछली पकड़ने वाले लोगों का हौसला बुलंद है. कोटा बैराज से पानी छोड़ने पर चंबल नदी की डाउन स्ट्रीम में मछलियां बहकर पहुंच जाती है. जिससे सैकड़ों की संख्या में मछलियों के शिकार करने वाले लोगों की भीड़ यहां जम जाती है.

चंबल में जान जोखिम में डाल मछली पकड़ रहे लोग

बैराज पर लगे अभियंताओं का कहना है कि वे जब भी बैराज के गेट खोलते हैं. इसके पहले सायरन बजाकर लोगों का आगह करते हैं. साथ ही पुलिस कंट्रोल रूम को भी सूचना देते हैं. लेकिन मछली पकड़ने वाले लोगों को किसी का डर नहीं है. वे बेखौफ होकर मछली पकड़ने के लिए चंबल के डाउनस्ट्रीम में पहुंच जाते हैं. जहां चट्टान के सहारे यह बैठे रहते हैं. हालात ऐसे रहते हैं कि किसी भी समय पानी के बहाव से इन्हें नुकसान हो सकता है. हादसे में इनकी जान भी जा सकती है.

कोटा. जिले में बैराज से अभी भी लाखों क्यूसेक पानी की निकासी चंबल नदी में हो रही है. डाउन स्ट्रीम में तेज गति से चंबल नदी का पानी भर रहा है. वहीं बच्चे, लड़कियों समेत सैकड़ों लोग जान जोखिम में डालकर मछली पकड़ते हैं. ये लोग अपने जाल और कांटे लेकर चंबल के किनारों पर बैठे रहते हैं.

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जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने इनकी कई बार शिकायत की है. लेकिन अभी तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है. जिस कारण मछली पकड़ने वाले लोगों का हौसला बुलंद है. कोटा बैराज से पानी छोड़ने पर चंबल नदी की डाउन स्ट्रीम में मछलियां बहकर पहुंच जाती है. जिससे सैकड़ों की संख्या में मछलियों के शिकार करने वाले लोगों की भीड़ यहां जम जाती है.

चंबल में जान जोखिम में डाल मछली पकड़ रहे लोग

बैराज पर लगे अभियंताओं का कहना है कि वे जब भी बैराज के गेट खोलते हैं. इसके पहले सायरन बजाकर लोगों का आगह करते हैं. साथ ही पुलिस कंट्रोल रूम को भी सूचना देते हैं. लेकिन मछली पकड़ने वाले लोगों को किसी का डर नहीं है. वे बेखौफ होकर मछली पकड़ने के लिए चंबल के डाउनस्ट्रीम में पहुंच जाते हैं. जहां चट्टान के सहारे यह बैठे रहते हैं. हालात ऐसे रहते हैं कि किसी भी समय पानी के बहाव से इन्हें नुकसान हो सकता है. हादसे में इनकी जान भी जा सकती है.

Intro:चंबल नदी के किनारे लोग अपने जाल और कांटे को लेकर बैठे रहते हैं. जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने इन लोगों की कई बार शिकायत की है, इसके बावजूद भी इनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है इसके चलते इन लोगों का हौसला बुलंद है और अपनी जान से खेल कर डालकर मछलियों का शिकार कर रहे हैं.


Body:कोटा.
कोटा बैराज से अभी भी लाखों क्यूसेक पानी की निकासी चंबल नदी में हो रही है. डाउन स्ट्रीम में तेज गति से चंबल नदी का पानी भरा है. इसके बावजूद मछली पकड़ने वाले सैकड़ों की संख्या में लोग वहां पर जमा रहते हैं. जिनमें 12 से 18 साल के बच्चे और लड़कियां भी शामिल हैं. यह लोग अपने जाल और कांटे को लेकर चम्बल के किनारों पर बैठे रहते हैं. जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने इन लोगों की कई बार शिकायत की है, इसके बावजूद भी इनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है इसके चलते इन लोगों का हौसला बुलंद है और अपनी जान से खेल कर डालकर मछलियों का शिकार कर रहे हैं

कोटा बैराज से पानी छोड़ने पर चम्बल नदी की डाउनस्ट्रीम सैकड़ों की संख्या में मछलियां चंबल नदी में बैठकर पहुंच जाती है. ऐसे में मछली का शिकार करने वाले लोगों के लिए यह स्वर्ग बन जाती है और सैकड़ों की संख्या में लोग यहां पर मछली पकड़ने के लिए जान जोखिम में डाल पहुंच जाते हैं.



Conclusion:बैराज पर लगे अभियंताओं का कहना है कि वे जब भी बैराज के गेट ऑपरेशन करते हैं. इसके पहले सायरन बजाकर लोगों का आगह करते हैं. साथ ही पुलिस कंट्रोल रूम को भी वह सूचना देते हैं, लेकिन यह जो लोग मछली पकड़ने के लिए नदी में उतरते हैं. इन्हें किसी का डर नहीं है. यह बेखौफ होकर मछली पकड़ने के लिए चंबल के डाउनस्ट्रीम में पहुंच जाते हैं. जहां चट्टान के सहारे यह बैठे रहते हैं. हालात ऐसे रहते हैं कि किसी भी समय पानी के बहाव से इन्हें नुकसान हो सकता है, ऐसे हादसे में इनकी जान भी जा सकती है.


बाइट-- महावीर प्रसाद मालव, बैराज अभियंता, कोटा
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