कोटा. कोरोना संक्रमण के कारण लोग घरों में कैद है. वहीं दिवंगतों की अस्थियों को मुक्तिधामों के लॉकरों और पीपों में रखा गया है. लॉकडाउन के कारण मृतक के परिजन इन अस्थियों का विसर्जन नहीं कर पा रहे है. ज्यादातर लोग हरिद्वार जाकर गंगा में अस्थि विसर्जन करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा संभव नहीं है. ऐसे में कोटा शहर के मुक्तिधामों के लॉकरों में करीब 500 से ज्यादा अस्थियां रखी हुई हैं. वहीं लॉकरों के भर जाने के बाद अस्थियों को पीपों में रखना पड़ रहा है.
किशोरपुरा मुक्तिधाम में लगी इलेक्ट्रिक भट्टी के ऑपरेटर ने बताया कि यहां सिर्फ 55 ही लॉकर बने हूए है. ऐसे में ज्यादा अस्थियां आने पर इनको पीपों में रखवाया गया है. उस पर नाम और मोबाइल नंबर लिखवा दिया गया है. जिससे अस्थियां इधर उधर न हो.
वहीं, दादाबाड़ी निवासी हरि सिंह का कहना है कि, मेरी पत्नी गीता देवी का निधन 13 मई को हो गया था. इस पर उसके पार्थिक देह को किशोरपुरा मुक्तिधाम लेकर गए. जहां तीसरे की रस्म करने के बाद लॉकर खाली नहीं होने कारण उसकी अस्थियों को पीपा में रखा गया है. हरि सिंह का कहना है कि लॉकडाउन के बाद बसें और ट्रेन चलने का इंतजार है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि, इनकी विसर्जन की व्यवस्था की जाए.
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गौरतलब है कि कोटा से अधिकांश लोग देहरादुन एक्सप्रेस और नंदा देवी एक्सप्रेस से हरिद्वार जाते है. कुछ लोग बसों से भी जाते है. अभी एक जून से ट्रेन चलाई जा रही है, परंतु इसमें यह दोनों ट्रेनें शामिल नहीं है. वहीं बसों की भी कोई तारीख निश्चित नहीं है. ऐसे में अभी तक अस्थियों के विसर्जन की कोई उम्मीद नहीं है.