ETV Bharat / city

लॉकडाउनः बिहार से कोटा पहुंचे मजदूर, कहा- वहां पर भूखे मरने की थी नौबत - Kota News

कोटा से करीब 30 हजार मजदूरों ने अपने गृह राज्य जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. हालांकि, मंगलवार को कोटा में इससे उलटा देखने को आया कि बिहार से ही मजदूरों को कोटा लाया जा रहा है. दो बसों में मंगलवार को बिहार के मधेपुरा और सहरसा से मजदूर कोटा पहुंचे हैं, जो कि भामाशाह कृषि उपज मंडी में काम करेंगे. इन लोगों की स्क्रीनिंग के बाद इन्हें कैथून रोड के एक वेयरहाउस में क्वॉरेंटाइन किया गया है.

बिहार से कोटा पहुंचे मजदूर, Lockdown , Kota News
बिहार से कोटा पहुंचे मजदूर
author img

By

Published : May 27, 2020, 12:01 AM IST

कोटा. लॉकडाउन की अवधि में मजदूरों को कामकाज नहीं मिलने के कारण वह अपने गृह राज्यों को लौट रहे हैं. इसका क्रम अभी भी जारी है. कोटा से करीब 30 हजार मजदूरों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है, जो अपने गृह राज्य जाना चाहते हैं. हालांकि इससे उलट कोटा में देखने को आया है कि बिहार से ही मजदूरों को कोटा लाया जा रहा है.

बिहार से कोटा पहुंचे मजदूर

बता दें कि दो बसों में मंगलवार को बिहार के मधेपुरा और सहरसा से लेबर कोटा पहुंची है, जो कि भामाशाह कृषि उपज मंडी में कामकाज संभालेगी. इन लोगों की स्क्रीनिंग के बाद इन्हें कैथून रोड के एक वेयरहाउस में क्वॉरेंटाइन किया गया है. जहां पर इनके रहने खाने की सुविधा की गई है. इन लोगों को 14 दिन का क्वॉरेंटाइन पीरियड पूरा होने के बाद मंडी में काम करवाया जाएगा.

बिहार से कोटा पहुंचे मजदूर, Lockdown , Kota News
बिहारी मजदूर

पढ़ें- अजमेरः नर्सेज यूनियन ने काली पट्टी बांधकर किया विरोध-प्रर्दशन

बिहार से कोटा पहुंचे मजदूरों का साफ कहना है कि बिहार में उन्हें किसी तरह का कोई काम नहीं मिल रहा था. गांव में भूखे मरने की नौबत आ रही थी. वहां पर रोजगार नहीं है, इसलिए वह कोटा आना चाहते थे. लेकिन लॉकडाउन लग गया था. इसके चलते वहीं अटक गए और पूरे लॉकडाउन की अवधि में उन्हें समस्याएं झेलनी पड़ी है.

लेबर नहीं होने से नहीं हो रहा उपज का उठाव

भामाशाह कृषि उपज मंडी में लाखों बोरियों की रोज आवक हो रही है. पहले मंडी बंद थी और आगे मंडी सुचारू चालू रखनी है, ऐसे में मजदूर नहीं होने के चलते माल का उठाव नहीं हो रहा है. मंडी में जहां पर 7 से 8 हजार हम्मालों की जरूरत है. वर्तमान स्थिति में 2 हजार से भी कम हम्माल मौजूद हैं. इसके चलते लगातार मंडी में माल की आवक बढ़ती जा रही है, लेकिन माल का उठाव नहीं हो पा रहा है.

व्यापारियों की एसोसिएशन अपने खर्चे पर लेकर आई

कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन ने निर्णय लेते हुए बिहार से प्रवासी मजदूरों को लाने की तैयारी की. इसके लिए बाकायदा उन्होंने जिला प्रशासन से अनुमति ली है. साथ ही मजदूरों को क्वॉरेंटाइन रखने और पूरी स्क्रीनिंग के बाद काम में लेने की बात कही है. ऐसे में दो बसों से 50 के आसपास श्रमिक कोटा पहुंच गए हैं, जो कि कृषि उपज मंडी में हम्माली करेंगे. साथ ही इन लोगों की अगली खेप में 10 बसें कोटा आएगी, जो कि बिहार के अलग-अलग जिलों से कोटा पहुंचेगी. इन सब का खर्चा कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन ने उठाया है. साथ ही इन लोगों को जो क्वॉरेंटाइन करने के दौरान खर्चा होगा वह भी एसोसिएशन ही वहन करेगी.

3 की जगह 7 रुपए पड़ रहा खर्चा

मंडी में माल की लोडिंग-अनलोडिंग के लिए 3 रुपए 10 पैसे तय किए हुए हैं. हालांकि मजदूरों के नहीं होने के चलते लोडिंग-अनलोडिंग के काम में खर्चा बढ़कर 7 रुपए पहुंच गया है. यह सारा का सारा पैसा किसानों को ही चुकाना पड़ रहा है. जबकि बिहार की लेबर की कार्यक्षमता भी ज्यादा है. वहीं हाड़ौती की लेबर से पूरा काम भी मंडी में नहीं चल पाता है. ऐसे में जब बिहारी लेबर आएगी, तो यह दाम भी कम हो जाएंगे.

कोटा. लॉकडाउन की अवधि में मजदूरों को कामकाज नहीं मिलने के कारण वह अपने गृह राज्यों को लौट रहे हैं. इसका क्रम अभी भी जारी है. कोटा से करीब 30 हजार मजदूरों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है, जो अपने गृह राज्य जाना चाहते हैं. हालांकि इससे उलट कोटा में देखने को आया है कि बिहार से ही मजदूरों को कोटा लाया जा रहा है.

बिहार से कोटा पहुंचे मजदूर

बता दें कि दो बसों में मंगलवार को बिहार के मधेपुरा और सहरसा से लेबर कोटा पहुंची है, जो कि भामाशाह कृषि उपज मंडी में कामकाज संभालेगी. इन लोगों की स्क्रीनिंग के बाद इन्हें कैथून रोड के एक वेयरहाउस में क्वॉरेंटाइन किया गया है. जहां पर इनके रहने खाने की सुविधा की गई है. इन लोगों को 14 दिन का क्वॉरेंटाइन पीरियड पूरा होने के बाद मंडी में काम करवाया जाएगा.

बिहार से कोटा पहुंचे मजदूर, Lockdown , Kota News
बिहारी मजदूर

पढ़ें- अजमेरः नर्सेज यूनियन ने काली पट्टी बांधकर किया विरोध-प्रर्दशन

बिहार से कोटा पहुंचे मजदूरों का साफ कहना है कि बिहार में उन्हें किसी तरह का कोई काम नहीं मिल रहा था. गांव में भूखे मरने की नौबत आ रही थी. वहां पर रोजगार नहीं है, इसलिए वह कोटा आना चाहते थे. लेकिन लॉकडाउन लग गया था. इसके चलते वहीं अटक गए और पूरे लॉकडाउन की अवधि में उन्हें समस्याएं झेलनी पड़ी है.

लेबर नहीं होने से नहीं हो रहा उपज का उठाव

भामाशाह कृषि उपज मंडी में लाखों बोरियों की रोज आवक हो रही है. पहले मंडी बंद थी और आगे मंडी सुचारू चालू रखनी है, ऐसे में मजदूर नहीं होने के चलते माल का उठाव नहीं हो रहा है. मंडी में जहां पर 7 से 8 हजार हम्मालों की जरूरत है. वर्तमान स्थिति में 2 हजार से भी कम हम्माल मौजूद हैं. इसके चलते लगातार मंडी में माल की आवक बढ़ती जा रही है, लेकिन माल का उठाव नहीं हो पा रहा है.

व्यापारियों की एसोसिएशन अपने खर्चे पर लेकर आई

कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन ने निर्णय लेते हुए बिहार से प्रवासी मजदूरों को लाने की तैयारी की. इसके लिए बाकायदा उन्होंने जिला प्रशासन से अनुमति ली है. साथ ही मजदूरों को क्वॉरेंटाइन रखने और पूरी स्क्रीनिंग के बाद काम में लेने की बात कही है. ऐसे में दो बसों से 50 के आसपास श्रमिक कोटा पहुंच गए हैं, जो कि कृषि उपज मंडी में हम्माली करेंगे. साथ ही इन लोगों की अगली खेप में 10 बसें कोटा आएगी, जो कि बिहार के अलग-अलग जिलों से कोटा पहुंचेगी. इन सब का खर्चा कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन ने उठाया है. साथ ही इन लोगों को जो क्वॉरेंटाइन करने के दौरान खर्चा होगा वह भी एसोसिएशन ही वहन करेगी.

3 की जगह 7 रुपए पड़ रहा खर्चा

मंडी में माल की लोडिंग-अनलोडिंग के लिए 3 रुपए 10 पैसे तय किए हुए हैं. हालांकि मजदूरों के नहीं होने के चलते लोडिंग-अनलोडिंग के काम में खर्चा बढ़कर 7 रुपए पहुंच गया है. यह सारा का सारा पैसा किसानों को ही चुकाना पड़ रहा है. जबकि बिहार की लेबर की कार्यक्षमता भी ज्यादा है. वहीं हाड़ौती की लेबर से पूरा काम भी मंडी में नहीं चल पाता है. ऐसे में जब बिहारी लेबर आएगी, तो यह दाम भी कम हो जाएंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.