ETV Bharat / city

बाल विवाह के नाम पर पुलिस ने पिता को उठाया, हो रही थी सगाई तो कोर्ट ने खारिज किया केस

author img

By

Published : Apr 29, 2022, 11:48 AM IST

Updated : Apr 29, 2022, 12:21 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ बाल विवाह के मामले में एफआईआर सहित संपूर्ण क्रिमिनल प्रॉसीडिंग को रद्द करने के आदेश (Rajasthan Highcourt Order) जारी किए हैं. इस सरकारी कर्मचारी ने अपने पुत्र की शादी नहीं करके सिर्फ सगाई की थी.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ के जस्टिस दिनेश मेहता ने बाल विवाह के मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. हाईकोर्ट ने आदेश पारित करते हुए ट्रायल कोर्ट के समक्ष विचाराधीन मुकदमे को निरस्त करने का आदेश (Rajasthan Highcourt Order) दिया है.

अधिवक्ता हरिसिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखते हुए बताया कि याचिकाकर्ता अनूपसिंह (सरकारी कर्मचारी) के घर पर 25 फरवरी 2020 को उसके बेटे की सगाई का समारोह चल रहा था. इसी बीच किसी ने शिकायत दर्ज कराई कि बाल विवाह हो रहा है. इसके बाद ओसियां पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज हुई. शिकायत का सत्यापन करने के लिए जिला विधिक प्राधिकरण के अधिकारी और पुलिस भी मौके पर पहुंचे थे. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी को 26 जून 2020 को लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने अपनी चार्जशीट में भी यह लिखा कि आरोपी ने अपने पुत्र की सगाई की थी न कि शादी. वहीं, दो-तीन दिन बाद उसकी जमानत भी हो गई. इसके बाद आरोपी अनूपसिंह की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में 482 के तहत विविध अपराधी की याचिका अपने अधिवक्ता हरिसिंह राजपुरोहित के मार्फत प्रस्तुत की.

पढ़ें- पिता बनने के लिए कैदी को मिली 15 दिन की पैरोल

मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने एफआईआर दर्ज कराई और रिकॉर्ड पर भी देखा गया कि केवल सगाई हो रही थी. ऐसे में केवल चेतावनी दी जा सकती थी कि वे शादी नहीं करे. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने मामले की सुनवाई के बाद इस संपूर्ण कार्यवाही को अवैध करार दिया. साथ ही चाइल्ड मैरिज एक्ट का दुरुपयोग हुए आरोपी को चाइल्ड मैरिज एक्ट का आरोपी नहीं मान एफआईआर सहित संपूर्ण क्रिमिनल प्रोसिडिंग को रद्द करने के आदेश दिए. इसके साथ ही न्यायालय ने उक्त आदेश की प्रतिलिपि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को भेजते हुए इस कार्यवाही को मूल अधिकारों का हनन माना.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ के जस्टिस दिनेश मेहता ने बाल विवाह के मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. हाईकोर्ट ने आदेश पारित करते हुए ट्रायल कोर्ट के समक्ष विचाराधीन मुकदमे को निरस्त करने का आदेश (Rajasthan Highcourt Order) दिया है.

अधिवक्ता हरिसिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखते हुए बताया कि याचिकाकर्ता अनूपसिंह (सरकारी कर्मचारी) के घर पर 25 फरवरी 2020 को उसके बेटे की सगाई का समारोह चल रहा था. इसी बीच किसी ने शिकायत दर्ज कराई कि बाल विवाह हो रहा है. इसके बाद ओसियां पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज हुई. शिकायत का सत्यापन करने के लिए जिला विधिक प्राधिकरण के अधिकारी और पुलिस भी मौके पर पहुंचे थे. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी को 26 जून 2020 को लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने अपनी चार्जशीट में भी यह लिखा कि आरोपी ने अपने पुत्र की सगाई की थी न कि शादी. वहीं, दो-तीन दिन बाद उसकी जमानत भी हो गई. इसके बाद आरोपी अनूपसिंह की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में 482 के तहत विविध अपराधी की याचिका अपने अधिवक्ता हरिसिंह राजपुरोहित के मार्फत प्रस्तुत की.

पढ़ें- पिता बनने के लिए कैदी को मिली 15 दिन की पैरोल

मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने एफआईआर दर्ज कराई और रिकॉर्ड पर भी देखा गया कि केवल सगाई हो रही थी. ऐसे में केवल चेतावनी दी जा सकती थी कि वे शादी नहीं करे. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने मामले की सुनवाई के बाद इस संपूर्ण कार्यवाही को अवैध करार दिया. साथ ही चाइल्ड मैरिज एक्ट का दुरुपयोग हुए आरोपी को चाइल्ड मैरिज एक्ट का आरोपी नहीं मान एफआईआर सहित संपूर्ण क्रिमिनल प्रोसिडिंग को रद्द करने के आदेश दिए. इसके साथ ही न्यायालय ने उक्त आदेश की प्रतिलिपि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को भेजते हुए इस कार्यवाही को मूल अधिकारों का हनन माना.

Last Updated : Apr 29, 2022, 12:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.