कोटा. कोटा मेडिकल कॉलेज के 150 इंटर्न डॉक्टरों ने आंदोलन की राह पकड़ ली. सोमवार सुबह से ही कार्य बहिष्कार किया हुआ है, जिसके चलते कोई भी डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं गया. मंगलवार को सभी इंटर्न डॉक्टर मेडिकल कॉलेज परिसर में एकत्रित होकर अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए मुख्य गेट पर जाकर मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री का पुतला जलाए.
कोरोना फ्रंट लाइन में वॉरियर के रूप में काम कर रहे इन डॉक्टर्स का कहना है कि हमारा स्टाइपेंड दिहाड़ी मजदूर के बराबर है. सरकार हमें 233 रुपए रोजाना देती है, जिससे परिवार तो छोड़ अकेले का खर्चा चलना भी मुश्किल हो रहा है. मासिक सात हजार रुपए का स्टाइपेंड आज की मंगाई के दौर में किसी के रूप में न्याय संगत नहीं है. पूरे देश में सबसे कम स्टाइपेंड राजस्थान में ही दिया जा रहा है. जबकि अन्य राज्यों में यह 15 से 30 हजार रुपए तक मिलता है.
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मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट ने बताया कि पूरे राजस्थान के इंटर्न डॉक्टर लगातार इस मुद्दे पर सरकार से मांग करते आ रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला. हमारी मांग है कि हमारा न्यूनतम स्टाइपेंड 35 हजार रुपए किया जाए, ताकि हम सम्मानजनक ढंग से जीवन निर्वहन कर पाए. उन्होंने कहा कि सरकार का रेस्पॉन्स ठीक नहीं होने पर पूरे राज्य के इंटर्न डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार जैसा कड़ा कदम उठाना पड़ा.
उन्होंने कहा कि सरकार जो हमे अभी भत्ता दे रही है, जिससे हमारा गुजरा नहीं चल सकता. इतना तो हम मजदूरी करके भी कमा सकते हैं. यूनियन प्रेजिडेंट ने कहा कि सरकार को चेताने के लिए बुधवार को चाय का ठेला लगाकर चाय बेचकर सरकार को यह बता देंगे कि दिहाड़ी में इससे ज्यादा कमा सकते हैं.