कोटा. पूरे देश भर में ऑक्सीजन की कमी से मौत की खबरें आ रही है. ऐसे में राज्य सरकार ने ऑक्सीजन की सप्लाई निर्बाध अस्पतालों को जारी रहे, इसके निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं. इसके बाद कोटा जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ ने जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और औषध नियंत्रण संगठन को निर्देशित किया है कि जिले में उत्पादित हो रही हो ऑक्सीजन पर निगरानी रखी जाए. इसके बाद उन्होंने कोटा के ऑक्सीजन प्लांटो का निरीक्षण किया है. वहां से हो रही इंडस्ट्रियल सप्लाई को फिलहाल पूरी तरह से रोक दिया है और केवल अब अस्पतालों को ही ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है.
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कोटा में अभी 1600 सिलेंडर की रोज खपत अस्पतालों में हो रही है. वहीं कोटा में जो दो प्लांट है उनका उत्पादन 2000 सिलेंडर के आसपास है. ऐसे में अगर मरीजों की संख्या और बढ़ती है, तो समस्या खड़ी हो सकती है. इसीलिए अस्पताल में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन की किसी तरह की कोई कमी नहीं आए. इसके लिए यह कदम उठाया गया है. जैसे हालात अन्य राज्यों में बन रहे हैं, उनसे निबटने की पहले ही तैयारी राजस्थान सरकार कोटा में कर रही है.
300 सिलेंडर बफर स्टॉक में रखने के निर्देश
कोटा जिला कलेक्टर के निर्देश पर सीएमएचओ डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर, एडीसी प्रहलाद मीणा, डीसीओ रोहिताश नागर, निशांत बघेरवाल और ओमप्रकाश चौधरी ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण करने पहुंचे हैं. इन्होंने कोटा ऑक्सीजन और विल्सन ऑक्सीजन एलएलपी प्लांट पर 300 सिलेंडर को रिजर्व बफर स्टॉक में रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही एक वाहन भी इनके लिए रहेगा, ताकि किसी भी तरह की इमरजेंसी होने पर सिलेंडर तुरंत अस्पतालों को पहुंचाया जा सके.
हर सिलेंडर पर रहेगी सरकार की नजर
ऑक्सीजन प्लांट के निरीक्षण करने पहुंची टीम ने मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई के विक्रय विवरण को चेक किया है. साथ ही सरकार के निर्देश पर सरकारी कार्मिकों की ड्यूटी भी सिलेंडरों की मॉनिटरिंग के लिए लगा दी है. यह लोग प्लांट में उत्पादित हो रहे सिलेंडरों का पूरा हिसाब किताब रखेंगे. साथ ही अगर प्लांट से औद्योगिक क्षेत्र में सप्लाई दी जाती है, तो उस पर भी निगरानी बनाए रखेंगे क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र में दी जाने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई को फिलहाल रोक दिया गया है और पूरी सप्लाई जो है वह मेडिकल के लिए जारी कर दी गई है. इनमें निजी और सरकारी अस्पतालों को दी जाएगी, ताकि कोविड-19 के मरीजों को ऑक्सीजन की किसी तरह की कोई कमी अस्पताल में उपचार के दौरान नहीं रहे.