कोटा. कोरोना संक्रमण के तहत किए गए लॉकडाऊन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है, जिससे कोटा में कई राज्यों के कोचिंग स्टूडेंट फंसे हुए हैं. राज्य सरकारों की आपसी खींचतान ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है. राजस्थान सरकार की ओर से तो उन्हें घर लौटने के लिए पास जारी किए जा रहे हैं, लेकिन बिहार सहित दूसरे राज्य उन्हें बॉर्डर पर ही रोक रहे हैं. उन राज्यों का तर्क है कि कोटा में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 90 हो गई है. इसलिए वे इन स्टूडेंट्स और उनके परिजनों को एंट्री की इजाजत नहीं दे सकते हैं.
बिहार ने तो राजस्थान सरकार के रवैए पर नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है. ऐसे में बिहार से कोटा आकर कोचिंग कर रहे छात्रों ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे इस पूरे मामले में दखल करें और उन्हें सुरक्षित घरों तक पहुंचाया जाए.
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दरअसल, लॉकडाऊन के बाद से स्टूडेंट का घर लौटने का सिलसिला जारी था, लेकिन अभी भी करीब 30 हज़ार स्टूडेंट्स यही फंसे हुए हैं. इनमें करीब 7 हज़ार बिहार के हैं. फिर भी बिहार सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वहां से लौटने वाले स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स को एंट्री से पहले बॉर्डर पर ही क्वॉरेंटाइन किया जाएगा.
खाली हैं हॉस्टल, पूरी बिल्डिंग में 4 से 5 बच्चे...
लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से ही स्टूडेंटस के घर लौटने का सिलसिला जारी है. इस कारण हॉस्टल खाली हो गए हैं, जो स्टूडेंट्स यहां अटके हुए हैं. उनके सामने कुछ परेशानियां खड़ी हो गई हैं. उन्हें दोस्तों की कमी खटक रही है. इन हॉस्टल्स में करीब 12-13 हजार लड़कियां हैं. उनका कहना है कि हॉस्टल्स में चुनिंदा स्टूडेंट्स बचे हैं. ऐसे में कई फ्लोर पर एक-एक स्टूडेंट्स ही है.
खाने की आ रही है समस्या, पेरेंट्स भी परेशान...
छात्रों का कहना है कि उनके खाने की क्वालिटी कमजोर हो गई है. अब वह ऐसा खाना खाने से बीमार भी हो सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मेस संचालक को भी पर्याप्त राशन नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते वह अच्छा खाना हमें नहीं दे पा रहे हैं. क्वालिटी फूड नहीं मिलने के चलते हमें भी वीकनेस हो रही है. अब नींद ज्यादा आती है. ऐसे में हमारी पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है. कमजोरी के कारण हमारे पैरंट्स भी चिंतित हैं. वह भी लगातार हमें वापस आने के लिए दबाव बना रहे हैं. बिहार में रख रहे सरकारी स्कूलों के क्वॉरेंटाइन सेंटर में इन छात्रों ने मांग की कि हमें जांच करवाकर अपने घरों पर ही भेजा जाए, न कि सरकारी स्कूलों के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रखा जाए.
बच्चों का कहना है कि कोटा से अनुमति लेकर बिहार गए बच्चों को क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रख दिया गया है. जहां पर अच्छी सुविधाएं उन्हें नहीं मिल रही हैं. क्योंकि कोई भी स्वस्थ बच्चा, जहां पर सफाई नहीं वहां रहेगा तो वैसे ही बीमार हो जाएगा.
छात्रों ने कहा- केंद्र सरकार करे दखल...
बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश सहित कई राज्य ऐसे हैं. जहां के अधिकारियों ने कोटा के कोचिंग छात्रों के गृह राज्यों में लौटने का विरोध दर्ज करवा दिया. नतीजा हजारों विद्यार्थी रास्ते में ही अटक गए. विभिन्न राज्यों की सीमा पर स्टूडेंट की जांच करने के बाद भी उन्हें घर तक जाने के लिए अनुमति नहीं दी जा रही है. ऐसे में इन छात्रों ने अपील की है कि केंद्र सरकार इस पूरे मामले में दखल दे. उन्होंने मांग की है कि हमारे सरकार ने लेने से मना कर रहे हैं, तो हमारी व्यवस्था की जाए. हमें कुछ खर्चे के लिए पैसा भी दिया जाए. क्योंकि हमारे पास पैसा नहीं है. माता-पिता खेती-बाड़ी करते हैं या मजदूरी और पैसा नहीं भेज पा रहे हैं. छात्रों का कहना है कि उनसे लगातार किराया भी हॉस्टल संचालक ले रहे हैं. ऐसे में अब उनके पास खर्चे का पैसा नहीं है. उन्हें किराए में रियायत मिलनी चाहिए.
हॉस्टल में नहीं रहा पढ़ाई का माहौल...
छात्रों का कहना है कि लॉकडाउन पीरियड में पढ़ाई के लिए समय जरूर मिल रहा है. लेकिन बंदिश में पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है. वह कोटा में फंस गए हैं. टेस्ट सीरीज कोचिंग में चलती थी, वह भी बंद हो गई है. फिर भी हम यहां के माहौल को देखते हुए पढ़ाई करने के लिए रुक गए. लेकिन अब पढ़ाई का माहौल हॉस्टल में नहीं रहा है. हम लोगों की गुजारिश है कि हमारा कोरोना टेस्ट करवा दिया जाए. इसके बाद हमें भेज दिया जाए, ताकि हमें अनुमति मिल जाए और जो भी बच्चे निगेटिव रहेंगे. उन्हें अपने घरों पर पहुंचने में भी इससे मदद मिलेगी.