कोटा. देख लीजिए इस तस्वीर को, जिसने भी देखा सिहर उठा. आंसू रुके नही. हर आंख को रोने पर विवश करने वाला मंजर था. एक साथ जलती 21 चिताएं इस घटना से उठे दर्द की आह के बाद तो शायद श्मशान भी चीत्कार से गूंज उठा. कहां एक तरफ ये परिवार शादी की खुशी में डूबा था, कहां ये गम का दहलाने वाला मंजर.
कोटा से सवाई माधोपुर के लिए कोटा का परिवार मायरा भरने के लिए रवाना हुआ था. पूरा परिवार बस ड्राइवर समेत निजी बस में कुल 30 लोग सवार थे. लेकिन लाखेरी के पास मेज नदी पर बनी पुलिया पर बस एकाएक अनियंत्रित हो गई और अनियंत्रित होकर नदी में जा गिरी. देखते ही देखते लोग घटना के साथ बस में फसे लोगों को निकालने पहुंचे. लेकिन उन 30 में से 24 लोग दम तोड़ चुके थे. इस बस दुर्घटना में 24 जाने काल का ग्रास बन गईं तो 5 अस्पताल में जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रही हैं.
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क्या मंजर है, दर्द की इंतहा है. एक के बाद एक 17 एम्बुलेंस और उनमें 24 शव घर से हंसी खुशी गया. परिवार पता नहीं था की हमेशा के लिए मिट जाएगा. सब कुछ काफूर हो जाएगा. कोटा के जवाहर नगर में जब ये सभी शव एक के बाद एक एम्बुलेंस से पहुंचे तो चीत्कार उठी चीख. रोने की आवाजों ने हर किसी की रूह को कपा दिया. इस परिवार के बीच न केवल परिवार के सदस्य और उनके रिश्तेदार पहुंचे. बल्कि शहर के हर इलाके से हजारों लोग इस परिवार के बीच दुःख की इस घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आए.
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इस घटना के बाद कोटा पहुंचे. मृतक परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधाया तो अंतिम संस्कार में शामिल हुए बिरला ने दुःख जताते हुए कहा कि पीएम ने भी इस घटना की जानकारी ली है. दुखः की घड़ी में परिवार के साथ पूरा संसदीय क्षेत्र खड़ा है. हर संभव मदद की कोशिश हर तरफ से होगी.
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वहीं घटना के बाद राजस्थान सरकार के दो मंत्री, जिनमें चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावस कोटा पहुंचे और परिवार को सांत्वना दी. अंतिम संस्कार में शामिल हुए मीडिया से बात करते हुए मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि दुःख की घड़ी में परिवार के साथ पूरी सरकार खड़ी है. खुद मुख्यमंत्री घटना को लेकर चिंतित हैं. इस घटना को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने सभी मृतकों को लेकर 2-2 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है. प्रभारी मंत्री ने कहा कि हर संभव मदद करेंगे. इस घटना की जांच के साथ ऐसे हादसों को रोकने के लिए कारगर कदम भी उठाए जाएंगे.
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कोटा के लिए आज का दिन काले अक्षरों से लिखा गया. शायद कोटा के इतिहास की ये सबसे बड़ी घटना थी, जिसने परिवार को तबाह कर दिया. घटना को लेकर अब जांच की बात की जा रही है. लेकिन बड़ा सवाल ये आखिर ऐसी लापरवाही की गुंजाइश क्यूं रखी जाती है, जिसके चलते ऐसे हादसे पेश आते है और दूसरा सवाल आखिर इन 24 मौतों का जवाब अब कौन देगा, कौन इनकी ज़िम्मेदारी लेगा.?