कोटा. जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो चिकित्सा विभाग की नाकामी को दर्शाता हैं. रेबीज (हाइड्रोफोबिया) की शिकार हुई पांच वर्षीय बच्ची को भर्ती कराने के लिए शनिवार को उसका पिता 8 घंटे तक कोटा मेडिकल कॉलेज के तीनों अस्पतालों में भटकता रहा. आखिरकार रविवार को इलाज के अभाव में बच्ची ने दम तोड़ दिया. इसके बाद परिजनों ने मोर्चरी के बाहर हंगामा खड़ा कर दिया, जिसे पुलिस ने समझाइश कर शांत कराया.
बता दें कि चिकित्सकों ने पहले तो उनको एमबीएस अस्पताल भेजा, वहां से उनको जेकेलोन अस्पताल में भेजा गया, जहां शनिवार की शाम को बच्ची को भर्ती किया गया. इसके बाद इलाज के दौरान रविवार की सुबह बच्ची ने दम तोड़ दिया. इस दौरान जैसे ही बच्ची को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में लाया गया, परिजनों ने जमकर हंगामा खड़ा कर दिया. इसके बाद मौके पर पहुंचे पुलिस जाब्ते ने समझाइश कर मामला शांत कराया.
मृतका के पिता सुरेश ने बताया कि मेरी पांच वर्षीय बच्ची सावित्री को दो माह पहले पागल कुत्ते ने काटा था. जब उसकी ज्यादा तबीयत बिगड़ने लगी तो उसको पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया, वहां से उसे एमबीएस अस्पताल भेज दिया गया, जहां चिकित्सकों ने इलाज करने से मना कर दिया. इसके बाद पूरे दिन भटकने के बाद शाम को जेकेलोन अस्पताल में भर्ती किया गया, फिर घर ले आने के बाद बच्ची ने रविवार को आखिरी सांस ली.
इस दौरान मृतका के पिता ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर इन अस्पतालों में इलाज नहीं हो सकता तो अस्पताल खोल क्यों रखा है. इसके साथ ही परिजनों ने चिकित्सकों पर आरोप लगाते हुए मुआवजे की मांग की.