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kota Mandi: मंडी में माल का उठाव नहीं होने पर किसान परेशान, हड़ताल ने और बढ़ा दी परेशानी - agricultural produce market

कोटा में कृषि उपज मंडी (agricultural produce market) में माल का उठाव न होने के कारण किसान (farmers) परेशान हैं. बारिश के कारण पहले ही किसानों को नुकसान हुआ है और अब मंडी (kota Mandi) में हड़ताल होने से उन्हें आर्थिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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मंडी में माल का उठाव नहीं होने पर किसान परेशान
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Published : Nov 22, 2021, 10:11 PM IST

कोटा. मंडी में आज एक्सीडेंट के बाद हंगामा होने के चलते अनाज की तौलाई नहीं हुई. बीते 3 दिनों से पहले ही मंडी बंद चल रही थी. वहीं किसान करीब 7 से 8 दिनों से मंडी (kota Mandi) के बाहर ही इंतजार कर रहे हैं कि फसल तौलाई हो जाए तो वे राहत की सांस ले सकें, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. इस बार किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. मंडी प्रांगण (kota Mandi) में आज भी ढाई लाख से ज्यादा बोरी माल बिखरा पड़ा है.

भामाशाह कृषि उपज मंडी (agricultural produce market) में बड़ी मात्रा में किसान (farmers) फसलों को लेकर बेचने पहुंच रहे हैं. जिसके चलते काफी परेशानियां भी उन्हें उठानी पड़ रही हैं. किसानों का 7-7 दिन में अनाज की तौलाई के लिए नंबर आ रहा है. बीच में 2 दिन मौसम खराब होने के चलते ही मंडी बंद थी, ऐसे में किसानों की फसल नहीं तौली गई. करीब 7 से 8 दिनों तक भी किसान इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में किसानों पर अब मंडी में हड़ताल हो जाना भी एक संकट बन गया है.

मंडी में माल का उठाव नहीं होने पर किसान परेशान

पढ़ें. Chittorgarh: बारिश से निंबाहेड़ा मंडी में खुले में पड़ा अनाज भीगा, किसान परेशान

किसानों का कहना है कि उन्हें ट्रकों का अतिरिक्त भाड़ा चुकाना पड़ रहा है. यहां तक कि बारिश आ जाने के चलते जो गाड़ियों में उनकी फसल थी उसका भी दाना काला पड़ गया है. इससे दाम भी उन्हें मंडी में कम मिलेंगे.

मंडी सचिव एमएल जाटव का कहना है कि वह किसानों की समस्या दूर करने में जुटे हुए हैं. वे चाहते हैं कि मंडी चले लेकिन अब हड़ताल का पत्र उन्हें दिया गया है जिससे किसान पहले ही परेशान हैं और अब उनकी समस्या बढ़ जाएगी क्योंकि कई किसान 7 से 8 दिनों से इंतजार कर रहे हैं. इन किसानों में ज्यादातर मध्य प्रदेश से आए हैं. ये श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, गुना व अशोकनगर के हैं.

इन किसानों का कहना है कि वे जिन ट्रकों में माल लेकर आए थे. वह मंडी में ही खाली करवाना है, लेकिन अब तक ट्रक बाहर ही खड़ा हुआ है. ऐसे में लगातार ट्रक का भाड़ा भी बढ़ता जा रहा है. शिवपुरी के एक किसान का कहना है कि उन्होंने 12000 अतिरिक्त भाड़ा अभी 5 दिनों में दे दिया है. इसके साथ ही ट्रक के ऊपर उसको कवर करने के लिए त्रिपाल भी किराए पर लिया गया था. जिसका भी अतिरिक्त पैसा लगा है अब फसल खुले में पड़ी है. अगर अभी भी उसके तौलाई नहीं होती है तो पहले ही दाना काला पड़ गया है और बारिश में फसल ज्यादा खराब हो जाएगी.

पढ़ें. Bikaner: मूंगफली का बम्पर उत्पादन, किसानों और व्यापारियों के खिले चेहरे

ढाई लाख से ज्यादा बोरी माल खुले में

पहले माल का उठान नहीं होने के चलते मंडी बंद थी. बाद में मौसम के चलते ऐसे में जब मंडी आज खुली है, तब रविवार से ही किसानों को एंट्री माल लेकर आने के लिए दी गई थी. नीलामी शुरू नहीं हुई इसके चलते माल खुले में ही पड़ा रहेगा. ऐसे में कोटा मंडी प्रांगण में करीब दो लाख से ज्यादा बोरी धान पड़ा हुआ है. इसके अलावा अन्य 50 हजार बोरी माल है जिसमें सोयाबीन, सरसों व लहसुन सहित अन्य जिंस हैं.

बारिश में रहने खाने का खर्चा अलग, फसल का खराबा भी

इन किसानों का कहना है कि वह अपने माल को लेकर मंडी के बाहर ही इंतजार कर रहे हैं. 5 से ज्यादा दिनों से इंतजार कर रहे हैं और बाहर से ही खाने पीने का खर्च हो रहा है. बारिश में तो रहने के लिए भी जगह नहीं थी, ऐसे में उन्हें किराया देकर रहना पड़ रहा है. इन किसानों का कहना है कि वह 300 से 400 किलोमीटर दूर से माल बेचने के लिए कोटा पहुंचे हैं. स्थानीय किसान तो अपने घर चला जाता है, लेकिन हम बाहर से आए किसान कहां जाएं.

कोटा. मंडी में आज एक्सीडेंट के बाद हंगामा होने के चलते अनाज की तौलाई नहीं हुई. बीते 3 दिनों से पहले ही मंडी बंद चल रही थी. वहीं किसान करीब 7 से 8 दिनों से मंडी (kota Mandi) के बाहर ही इंतजार कर रहे हैं कि फसल तौलाई हो जाए तो वे राहत की सांस ले सकें, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. इस बार किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. मंडी प्रांगण (kota Mandi) में आज भी ढाई लाख से ज्यादा बोरी माल बिखरा पड़ा है.

भामाशाह कृषि उपज मंडी (agricultural produce market) में बड़ी मात्रा में किसान (farmers) फसलों को लेकर बेचने पहुंच रहे हैं. जिसके चलते काफी परेशानियां भी उन्हें उठानी पड़ रही हैं. किसानों का 7-7 दिन में अनाज की तौलाई के लिए नंबर आ रहा है. बीच में 2 दिन मौसम खराब होने के चलते ही मंडी बंद थी, ऐसे में किसानों की फसल नहीं तौली गई. करीब 7 से 8 दिनों तक भी किसान इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में किसानों पर अब मंडी में हड़ताल हो जाना भी एक संकट बन गया है.

मंडी में माल का उठाव नहीं होने पर किसान परेशान

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किसानों का कहना है कि उन्हें ट्रकों का अतिरिक्त भाड़ा चुकाना पड़ रहा है. यहां तक कि बारिश आ जाने के चलते जो गाड़ियों में उनकी फसल थी उसका भी दाना काला पड़ गया है. इससे दाम भी उन्हें मंडी में कम मिलेंगे.

मंडी सचिव एमएल जाटव का कहना है कि वह किसानों की समस्या दूर करने में जुटे हुए हैं. वे चाहते हैं कि मंडी चले लेकिन अब हड़ताल का पत्र उन्हें दिया गया है जिससे किसान पहले ही परेशान हैं और अब उनकी समस्या बढ़ जाएगी क्योंकि कई किसान 7 से 8 दिनों से इंतजार कर रहे हैं. इन किसानों में ज्यादातर मध्य प्रदेश से आए हैं. ये श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, गुना व अशोकनगर के हैं.

इन किसानों का कहना है कि वे जिन ट्रकों में माल लेकर आए थे. वह मंडी में ही खाली करवाना है, लेकिन अब तक ट्रक बाहर ही खड़ा हुआ है. ऐसे में लगातार ट्रक का भाड़ा भी बढ़ता जा रहा है. शिवपुरी के एक किसान का कहना है कि उन्होंने 12000 अतिरिक्त भाड़ा अभी 5 दिनों में दे दिया है. इसके साथ ही ट्रक के ऊपर उसको कवर करने के लिए त्रिपाल भी किराए पर लिया गया था. जिसका भी अतिरिक्त पैसा लगा है अब फसल खुले में पड़ी है. अगर अभी भी उसके तौलाई नहीं होती है तो पहले ही दाना काला पड़ गया है और बारिश में फसल ज्यादा खराब हो जाएगी.

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ढाई लाख से ज्यादा बोरी माल खुले में

पहले माल का उठान नहीं होने के चलते मंडी बंद थी. बाद में मौसम के चलते ऐसे में जब मंडी आज खुली है, तब रविवार से ही किसानों को एंट्री माल लेकर आने के लिए दी गई थी. नीलामी शुरू नहीं हुई इसके चलते माल खुले में ही पड़ा रहेगा. ऐसे में कोटा मंडी प्रांगण में करीब दो लाख से ज्यादा बोरी धान पड़ा हुआ है. इसके अलावा अन्य 50 हजार बोरी माल है जिसमें सोयाबीन, सरसों व लहसुन सहित अन्य जिंस हैं.

बारिश में रहने खाने का खर्चा अलग, फसल का खराबा भी

इन किसानों का कहना है कि वह अपने माल को लेकर मंडी के बाहर ही इंतजार कर रहे हैं. 5 से ज्यादा दिनों से इंतजार कर रहे हैं और बाहर से ही खाने पीने का खर्च हो रहा है. बारिश में तो रहने के लिए भी जगह नहीं थी, ऐसे में उन्हें किराया देकर रहना पड़ रहा है. इन किसानों का कहना है कि वह 300 से 400 किलोमीटर दूर से माल बेचने के लिए कोटा पहुंचे हैं. स्थानीय किसान तो अपने घर चला जाता है, लेकिन हम बाहर से आए किसान कहां जाएं.

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