बारां. जिले के देवरी में एक 3 साल की बच्ची बिंदिया सहरिया की मौत हो गई थी ( Baran Malnourished Girl Death:). इस मामले में पहले कुपोषण की वजह से मौत की बात कही गई लेकिन फिर जिला प्रशासन ने 'कुपोषण से मौत' को सिरे से खारिज कर दिया. इसे डायरिया से मौत बताया. हालांकि इस सबके बीच बिंदिया (Bindiya Of Baran) की बड़ी बहन काजल को बारां जिला एमटीसी सेंटर (Malnutrition Treatment Center) के लिए रेफर कर दिया. उसकी बड़ी बहन कुपोषित और मां पिता टीबी से ग्रसित हैं.
पूर्व विधायक ने परिजनों से की मुलाकात: किशनगंज शाहबाद के पूर्व विधायक ललित मीणा ने बिंदिया के परिजनों से मुलाकात की (Ex MLA Lalit Meena on Malnutrition). उन्हें सांत्वना दी और प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए और पूर्व भाजपा सरकार की कोशिशों को याद दिलाया. उन्होंने कहा कि सरकार की अनदेखी व अधिकारियों की लापरवाही से बिंदिया की मौत हुई. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन में जिले में सहरिया समाज के लिए 10 एमटीसी संचालित थे, जिनमें प्रत्येक में 3 नर्सिंग कार्मिक कुपोषित बच्चों की देखभाल के लिए कार्यरत होते थे. जबकि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने 8 एमटीसी को बंद कर दिया है। विधायक मीणा ने यह भी आरोप लगाया है कि बालिका की मौत के बाद हरकत में चिकित्सा विभाग ने क्षेत्र के पठारी गांव के रहने वाले एक कुपोषित बालक को शाहाबाद एमटीसी (Malnutrition Treatment Center) में भर्ती कराया गया। जहां से मासूम को कोटा रेफर कर दिया गया. इससे पहले भी पठारी गांव के तीन बच्चे अकाल मौत का ग्रास बन चुके हैं.
आर्थिक संबल कर दिया है बंद : पूर्व विधायक मीणा ने बताया कि भाजपा शासन में एमटीसी में भर्ती कुपोषित के अभिभावकों को 200 रुपए प्रतिदिन का आर्थिक संबल, भोजन और प्रोत्साहन के लिए दिया जाता था. जिसे गरीब विरोधी गहलोत सरकार ने बंद कर दिया. ऐसे में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिवार काम छोड़कर इलाज नहीं करवा पाते हैं. बारां जिले के जनप्रतिनिधि और मंत्री इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जबकि उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग (Tribal Area Development Department) के अधिकारियों से बातचीत करके ठोस कदम उठा सकते हैं. जिले में संचालित बारां व शाहाबाद एमटीसी में पर्याप्त आहार पोषण पैकेट नहीं मिल रहे हैं.
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फाइलों में 'नया सवेरा': मीणा ने जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाएं है. उन्होंने कहा कि अडानी फाउंडेशन के सहयोग से सीएसआर फंड से लगभग 50 लाख की लागत से प्रशासन, चिकित्सा और महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से 'नया सवेरा' प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. जिसके तहत 24 मई से 15 जून तक बच्चों की स्क्रीनिंग की जानी थी और 28 जून से 6 सितंबर तक चिन्हित कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाना था. जिला प्रशासन ने मुख्य सचिव उषा शर्मा को जो प्रजेंटेशन दिया. उसकी गाइडलाइन को फॉलो नहीं किया गया, जिससे साफ है कि प्रशासन व चिकित्सा विभाग के समस्त कार्य केवल कागजों और फाइलों में किए जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि किशनगंज- शाहाबाद में 6 से 59 माह तक के प्रत्येक बच्चे की स्क्रीनिंग होने के बाद भी बालिका की मौत होना इसका प्रमाण है.
विधायक के मुताबिक अगर 'नया सवेरा' कार्यक्रम को धरातल पर किया जाता, तो मासूम को बचाया जा सकता था. सहरिया बाहुल्य क्षेत्र में 104 व 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा भी दुरुस्त नहीं है. रैफरल व्यवस्था समय पर नहीं मिलती है. नया सवेरा कार्यकम लगभग चार माह देरी से संचालित हो रहा है. जिससे मासूम कुपोषण के शिकार हो रहे हैं. स्क्रीनिंग के बाद भी अति गंभीर कुपोषित बच्चों को रेफर नहीं करना जांच का विषय है.