कोटा. कोटा शहर के बीचों-बीच गुजर रही चंबल नदी पर 20 फरवरी की सुबह बारात जा रही एक कार रियासत कालीन पुलिया से नीचे गिर गई थी. इसमें 9 लोग कालकल्वित हो गए थे. इनमें दूल्हा अविनाश वाल्मीकि भी शामिल था. इस कार हादसे की जांच में सामने आया था कि चंबल नदी की पुलिया पर अगर मुटाम (पिलर) लगे होते तो कार अनियंत्रित होकर पिलर से टकरा जाती और चंबल नदी में नहीं गिरती. रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था भी चंबल नदी पर नहीं थी.
इस मामले में ईटीवी भारत ने रियासत कालीन पुलिया पर जाकर रियलिटी चेक कर हकीकत जानी तो कई महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर सामने आए. मामले में एक्सपर्ट से बातचीत के साथ कोटा शहर में चल रहे विकास कार्यों का भी जायजा लिया. यहां पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी साफ दिखाई दे रही थी. यूआईटी ने वहां से गुजरने वाले लोगों के लिए राह कठिन कर दी थी.
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ईटीवी भारत का रियल्टी चेक प्रकाशित होने के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ा जिसके बाद चंबल नदी की रियासत कालीन पुलिया के हादसे के लिए जिम्मेदार यूआईटी के अधिकारियों की गलती सामने लेकर आया था. इसके बाद में अब नगर विकास न्यास (UIT started construction work on bridge in kota) ने चंबल की रियासत कालीन पुलिया पर काम शुरू करवा दिया है. चंबल की रियसत कालीन पुलिया पर कालीन पर दोनों तरफ मुटाम (पिलर) लगाए जा रहे हैं.
इसके साथ ही रोशनी की व्यवस्था करने के लिए चंबल नदी के नजदीक ब्रिज पर लाइटें लगा दी गई हैं जिससे कि पूरी पुलिया पर रोशनी होगी. रात्रि में भरपूर रोशनी होने पर पुलिया से गुजरने पर किसी वाहन सवार को असुविधा नहीं होगी. इसके साथ ही लाखों रुपए खर्च कर करीब 7 फीट लंबे पिलर लगाए जा रहे हैं. दो पिलर के बीच में डेढ़ फीट की जगह छोड़ी जा रही है ताकि कोई वाहन चंबल नदी में न गिरे. पुलिया पर ऐसे करीब 170 पिलर लगाए जाएंगे.
40 लाइट लगाई, रास्ते के गड्ढे भी भरें
हादसे के बाद ईटीवी भारत के रियल्टी चेक के बाद ही नगर विकास न्यास ने यहां पर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की गई है. इसके लिए ही यूआईटी ने 40 लाइटें यहां पर लगाई हैं. इन सभी लाइटों को हाई लेवल ब्रिज पर लगाया गया है. चंबल की रियासत कालीन पुलिया पर पिलर लगाने की जिम्मेदारी भी रिवरफ्रंट का काम कर रही कंपनी को सौंपी गई है. कंपनी के अभियंता ही चंबल की रियासत कालीन पुलिया पर मुटाम लगवा रहे हैं. कई जगह सड़क की मरम्मत भी कराई जा रही है.
लगाए गए संकेतक, भारी वाहन ही जाएं रियासत कालीन पुलिया से
हादसे के बाद बचाव करते हुए नगर विकास न्यास और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कहा था कि कार को चंबल की रियासत कालीन पुलिया की जगह हाई लेवल ब्रिज से ही गुजरना था, जहां से बारात की अन्य गाड़ी गुजरी थी. हालांकि जब ईटीवी भारत ने मौके का जायजा लिया तो खुद यूआईटी ने ही कुन्हाड़ी चौराहे पर विकास कार्य होने के चलते कोटा की तरफ जाने वाला रास्ता रियासत कालीन पुलिया की तरफ दिखाया हुआ था.
ऐसे में अब इसमें सुधार किया गया है और छोटे वाहनों के लिए ऊपर की पुलिया से ही जाने की चेतावनी लिखी गई है. हालांकि अभी भी बड़ी संख्या में छोटे वाहन भी नीचे की रियासत कालीन पुलिया से गुजर रहे हैं. चंबल नदी पर आने-जाने के लिए दो हाई लेवल ब्रिज बने हुए हैं जबकि वर्तमान में एक ब्रिज पर निर्माण कार्य चल रहा है. इसके चलते उस पर से आवागमन बंद किया हुआ है.