जोधपुर. हिंदू धर्म के अनुसार किसी की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है और अंतिम संस्कार में लकड़ियां काफी महत्वपूर्ण होती है. वर्तमान समय में वैश्विक महामारी का प्रकोप जोधपुर शहर में भयंकर देखने को मिल रहा है. शहर में प्रतिदिन 25 से 30 संक्रमित मरीजों की मौतें हो रही है, जो कि काफी भयवाहक हैं.
जोधपुर में भी अलग-अलग श्मशान घाट पर प्रतिदिन कई लोगों के अंतिम संस्कार हो रहे हैं. श्मशान घाट की बात कर रहे, तो कुछ श्मशान घाट पर लगभग 15 दिन पहले अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां भरपूर थी, लेकिन अब धीरे-धीरे श्मशान घाट में लकड़ियां खत्म होने लगी है और अलग-अलग सामाजिक संगठनों की ओर से लकड़ियां उपलब्ध करवाई जा रही है.
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ऐसे में जोधपुर की चौपासनी हाउसिंग बोर्ड इलाके में अशोक उद्यान के पीछे रहने वाले एक युवक शेर सिंह गहलोत में श्मशान घाट में निशुल्क लकड़ियां पहुंचाने का जिम्मा उठाया है. शेर सिंह गहलोत बताते हैं कि उनका अशोक उद्यान के पीछे एक कृषि फार्म है, जहां आंधी तूफान आने से कुछ पेड़ गिरे हुए थे, जोकि कई सालों में पड़े-पड़े सूख गए. ऐसे में उनके कृषि फॉर्म में कई टन सुखी लकड़ियां ऐसे ही पड़ी थी, उन्होंने इन लकड़ियां को खुद ही काटना शुरू किया और फिर शमशान घाट पर पहुंचाने लगे. कृषि फार्म मालिक ने बताया कि उन्होंने इसकी शुरुआत अकेले ही कि थी, लेकिन जैसे-जैसे आस पास रहने वाले लोगों को इस बारे में पता लगा, तो वो दिन मदद के लिए आगे आए और उन्होंने भी हाथ बंटाना शुरू कर दिया.
दोस्त के परिवार में हुई डेथ के बाद आया दिमाग में
समाजसेवी शेर सिंह गहलोत ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके किसी दोस्त के घर में कोरोना से मौत हो गई थी. जिसके पश्चात वे श्मशान घाट गए, जहां पर उन्होंने देखा कि कई उधना से अंतिम संस्कार के लिए आई हुई है, लेकिन लकड़ियों की काफी कमी दिख रही थी. जिसके पश्चात वे जब अपने कृषि फार्म पर वापस लौटे, तो उन्होंने अपने खेत में पड़ी सूखी लकड़ियों को सभी श्मशान घाट में निशुल्क देने का फैसला किया.
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रोज भेजते है 4 गाड़ियां
समाजसेवी शेर सिंह गहलोत ने बताया कि कई सालों से सूखे पड़े बड़े-बड़े पेड़ों को वे खुद और अपने आसपास के क्षेत्रों से आए लोगों की मदद से काटते हैं और फिर एक पिकअप गाड़ी में होना भरकर रोज की 4 गाड़ियां जोधपुर के अलग-अलग श्मशान घाट पर वह छोड़ कर आते हैं. जिससे कि ऐसे समय में अंतिम संस्कार के वक्त किसी को भी लकड़ियों की कमी महसूस ना हो.
देखा जाए तो एक तरफ जहां मेडिकल स्टाफ, पुलिस कर्मी, नगर निगम कर्मचारी, सफाई कर्मी वैश्विक महामारी के इस दौर में सामने आकर अपना योगदान दे रहे हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस तरह की सेवा करके इस वैश्विक महामारी के दौर में अपनी छोटी सी सेवा देने में पीछे नहीं हट रहे.