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यूटीबी नर्सेज भर्ती घोटाला : दो नए शिकायतकर्ता पहुंचे बयान देने, हाई कोर्ट में भी भर्ती को दी चुनौती - अर्जेंट टेंपरेरी बेस

यूटीबी नर्सेज भर्ती (UTB Nurses Recruitment) में अब एक नया मोड़ आ गया है. दो आवेदनकर्ता शिकायत लेकर सयुंक्त निदेशक के सामने पहुंच गए और अपने बयान दर्ज करवा दिए. जिसके अनुसार उन्होंने साल 2020 में आवेदन भरे और इंटरव्यू भी दिया, लेकिन उनकी मेरिट सूची जारी नहीं की गई.

यूटीबी नर्सेज भर्ती, UTB Nurses Recruitment
यूटीबी नर्सेज भर्ती में दो नए शिकायतकर्ता पहुंचे बयान देने
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Published : Jun 29, 2021, 5:12 PM IST

Updated : Jun 29, 2021, 7:49 PM IST

जोधपुर. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री के गृह नगर में की गई अर्जेंट टेंपरेरी बेस (यूटीबी) पर नर्सिंग कर्मियों की भर्ती विवादों में बनी हुई है. 90 पदों पर की गई भर्ती में किसी तरह का आरक्षण नहीं दिया गया और न ही मेरिट जारी की गई.

पढ़ेंः बीवीजी वायरल वीडियो मामला: सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर सहित दो गिरफ्तार

भर्ती की जांच शुरू होने के बावजूद सीएमएचओ (CMHO) ने रविवार को सभी को नियुक्तियां भी दे दी. इस प्रकरण में नया मोड़ आ गया. दो आवेदनकर्ता शिकायत लेकर सयुंक्त निदेशक के सामने पहुंच गए और अपने बयान दर्ज करवा दिए. इससे इस मामले ने तूल पकड़ लिया है, क्योंकि इससे पहले इस प्रकार की शिकायत करने वाले 6 अभ्यर्थी को सयुंक्त निदेशक कार्यालय की ओर से पत्र भेजे जाने के बाद भी बयान देने नहीं पहुंचे.

यूटीबी नर्सेज भर्ती में दो नए शिकायतकर्ता पहुंचे बयान देने

सीएमएचओ की ओर से उनसे यह लिखवा कर भिजवाया कि हमने शिकायत नहीं की है. जिससे यह साफ होता है कि प्रकरण में कहीं न कहीं गड़बड़ी है. खुद संयुक्त निदेशक डॉ. जागेश्वर प्रसाद ने भी यह स्वीकार किया था कि प्रथम दृष्टया इस भर्ती में गड़बड़ी हुई है.

जांच के दौरान किसी शिकायतकर्ता के नहीं आने से ऐसा माना जा रहा था कि प्रकरण का पटाक्षेप हो जाएगा, लेकिन मंगलवार को एक महिला और एक पुरुष आवेदन कर्ता की ओर से अपनी शिकायत दर्ज करवाने से प्रकरण फिर चर्चा में आ गया है. इतना ही नहीं शिकायतकर्ता मनीष कुमार ने राजस्थान हाईकोर्ट में भी इस भर्ती को चुनौती दी है.

उनकी याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और उस पर सुनवाई शुरू हो गई है. संयुक्त निदेशक डॉ. जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि दो शिकायतकर्ता के बयान हुए हैं. जल्दी प्रकरण की जांच पूरी कर जयपुर रिपोर्ट भिजवाई जाएगी.

मनमर्जी से किए फैसले

राज्य सरकार ने हाल ही में जोधपुर जिले के लिए 40 पदों के लिए यूटीबी भर्ती (UTB Recruitment) करने की अनुशंसा जारी की थी, लेकिन जोधपुर के सीएमएचओ (Jodhpur CMHO) डॉ. बलवंत मंडा ने इसकी सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की. 2020 में 50 पदों के लिए आवेदन लिए थे उसी प्रक्रिया में इसे मर्ज कर गत वर्ष लिए गए साक्षात्कार के आधार पर चयन सूची जारी कर दी. जबकि भर्ती के जो आदेश जारी किए गए थे उसमें चिकित्सा सेवा नियम 1965 के तहत भर्ती होनी थी. जिसके तहत अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता के आधार पर मेरिट बनी थी. जिसकी पालना राज्य के सभी जिलों में की गई, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह नगर में इसकी पालना नहीं कर सीएमएचओ ने कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी कमेटी के माध्यम से 90 अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी.

पहले नही पहुंचे शिकायतकर्ता

मई के अंतिम सप्ताह में सीएमएचओ ने 90 चयनित लोगों की सूची जारी की थी. जिसके बाद 6 लोगों ने इस प्रकरण की शिकायत की जिस पर संयुक्त निदेशक ने 5 सदस्य कमेटी बनाकर जांच के आदेश जारी कर दिए, लेकिन शिकायतकर्ता नहीं पहुंचे थे.

पढ़ेंः 22 साल पहले लिखा पत्र वायरल करना सोचे समझे षड्यंत्र का हिस्सा: सतीश पूनिया

सीएमएचओ कार्यालय से प्राप्त जवाब में यह स्पष्ट हो रहा था कि प्रकरण में कई खामियां हैं. चिकित्सा सेवा नियमों का पालन नहीं किया गया, लेकिन अब दो शिकायतकर्ता ऐसे पहुंच गए हैं, जिन्होंने पिछले साल आवेदन भरे और इंटरव्यू भी दिया, लेकिन उनकी मेरिट सूची जारी नहीं की गई.

1 जुलाई को अगली सुनवाई के निर्देश

राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने सीएमएचओ जोधपुर की ओर से यूटीबी जीएनएम नर्सिंग घोटाले को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को नोटिस जारी करते हुए याचिका की प्रति देने के निर्देश के साथ 01 जुलाई को अगली सुनवाई के निर्देश दिये है.

नर्सिंग घोटाले को लेकर याचिकाकर्ता मनीष परमार की ओर से अधिवक्ता दिपेश बेनीवाल ने याचिका पेश कर बताया कि कोराना काल को देखते हुए राज्य के चिकित्सा विभाग ने यूटीबी आधार पर जीएनएम नर्सिंग कर्मियों को लेने के निर्देश दिये थे. जिसके बाद जोधपुर सीएमएचओ ने बिना किसी नियम के और अपनी ही मनमर्जी और तथाकथित घोटाले को अंजाम देते हुए अपने चेहतों को लगाया.

नियमानुसार मेरिट बनाकर आरक्षण वर्गवार करते हुए लिस्ट जारी होनी थी, लेकिन ऐसे किसी नियम को नहीं अपनाया गया है. पाली और नागौर जिले की तरह नियमों का पालन नहीं किया गया है. उच्च न्यायालय ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करते हुए याचिका की प्रति देने के निर्देशो के साथ 1 जुलाई को सुनवाई मुकरर्र की है.

जोधपुर. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री के गृह नगर में की गई अर्जेंट टेंपरेरी बेस (यूटीबी) पर नर्सिंग कर्मियों की भर्ती विवादों में बनी हुई है. 90 पदों पर की गई भर्ती में किसी तरह का आरक्षण नहीं दिया गया और न ही मेरिट जारी की गई.

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भर्ती की जांच शुरू होने के बावजूद सीएमएचओ (CMHO) ने रविवार को सभी को नियुक्तियां भी दे दी. इस प्रकरण में नया मोड़ आ गया. दो आवेदनकर्ता शिकायत लेकर सयुंक्त निदेशक के सामने पहुंच गए और अपने बयान दर्ज करवा दिए. इससे इस मामले ने तूल पकड़ लिया है, क्योंकि इससे पहले इस प्रकार की शिकायत करने वाले 6 अभ्यर्थी को सयुंक्त निदेशक कार्यालय की ओर से पत्र भेजे जाने के बाद भी बयान देने नहीं पहुंचे.

यूटीबी नर्सेज भर्ती में दो नए शिकायतकर्ता पहुंचे बयान देने

सीएमएचओ की ओर से उनसे यह लिखवा कर भिजवाया कि हमने शिकायत नहीं की है. जिससे यह साफ होता है कि प्रकरण में कहीं न कहीं गड़बड़ी है. खुद संयुक्त निदेशक डॉ. जागेश्वर प्रसाद ने भी यह स्वीकार किया था कि प्रथम दृष्टया इस भर्ती में गड़बड़ी हुई है.

जांच के दौरान किसी शिकायतकर्ता के नहीं आने से ऐसा माना जा रहा था कि प्रकरण का पटाक्षेप हो जाएगा, लेकिन मंगलवार को एक महिला और एक पुरुष आवेदन कर्ता की ओर से अपनी शिकायत दर्ज करवाने से प्रकरण फिर चर्चा में आ गया है. इतना ही नहीं शिकायतकर्ता मनीष कुमार ने राजस्थान हाईकोर्ट में भी इस भर्ती को चुनौती दी है.

उनकी याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और उस पर सुनवाई शुरू हो गई है. संयुक्त निदेशक डॉ. जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि दो शिकायतकर्ता के बयान हुए हैं. जल्दी प्रकरण की जांच पूरी कर जयपुर रिपोर्ट भिजवाई जाएगी.

मनमर्जी से किए फैसले

राज्य सरकार ने हाल ही में जोधपुर जिले के लिए 40 पदों के लिए यूटीबी भर्ती (UTB Recruitment) करने की अनुशंसा जारी की थी, लेकिन जोधपुर के सीएमएचओ (Jodhpur CMHO) डॉ. बलवंत मंडा ने इसकी सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की. 2020 में 50 पदों के लिए आवेदन लिए थे उसी प्रक्रिया में इसे मर्ज कर गत वर्ष लिए गए साक्षात्कार के आधार पर चयन सूची जारी कर दी. जबकि भर्ती के जो आदेश जारी किए गए थे उसमें चिकित्सा सेवा नियम 1965 के तहत भर्ती होनी थी. जिसके तहत अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता के आधार पर मेरिट बनी थी. जिसकी पालना राज्य के सभी जिलों में की गई, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह नगर में इसकी पालना नहीं कर सीएमएचओ ने कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी कमेटी के माध्यम से 90 अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी.

पहले नही पहुंचे शिकायतकर्ता

मई के अंतिम सप्ताह में सीएमएचओ ने 90 चयनित लोगों की सूची जारी की थी. जिसके बाद 6 लोगों ने इस प्रकरण की शिकायत की जिस पर संयुक्त निदेशक ने 5 सदस्य कमेटी बनाकर जांच के आदेश जारी कर दिए, लेकिन शिकायतकर्ता नहीं पहुंचे थे.

पढ़ेंः 22 साल पहले लिखा पत्र वायरल करना सोचे समझे षड्यंत्र का हिस्सा: सतीश पूनिया

सीएमएचओ कार्यालय से प्राप्त जवाब में यह स्पष्ट हो रहा था कि प्रकरण में कई खामियां हैं. चिकित्सा सेवा नियमों का पालन नहीं किया गया, लेकिन अब दो शिकायतकर्ता ऐसे पहुंच गए हैं, जिन्होंने पिछले साल आवेदन भरे और इंटरव्यू भी दिया, लेकिन उनकी मेरिट सूची जारी नहीं की गई.

1 जुलाई को अगली सुनवाई के निर्देश

राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने सीएमएचओ जोधपुर की ओर से यूटीबी जीएनएम नर्सिंग घोटाले को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को नोटिस जारी करते हुए याचिका की प्रति देने के निर्देश के साथ 01 जुलाई को अगली सुनवाई के निर्देश दिये है.

नर्सिंग घोटाले को लेकर याचिकाकर्ता मनीष परमार की ओर से अधिवक्ता दिपेश बेनीवाल ने याचिका पेश कर बताया कि कोराना काल को देखते हुए राज्य के चिकित्सा विभाग ने यूटीबी आधार पर जीएनएम नर्सिंग कर्मियों को लेने के निर्देश दिये थे. जिसके बाद जोधपुर सीएमएचओ ने बिना किसी नियम के और अपनी ही मनमर्जी और तथाकथित घोटाले को अंजाम देते हुए अपने चेहतों को लगाया.

नियमानुसार मेरिट बनाकर आरक्षण वर्गवार करते हुए लिस्ट जारी होनी थी, लेकिन ऐसे किसी नियम को नहीं अपनाया गया है. पाली और नागौर जिले की तरह नियमों का पालन नहीं किया गया है. उच्च न्यायालय ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करते हुए याचिका की प्रति देने के निर्देशो के साथ 1 जुलाई को सुनवाई मुकरर्र की है.

Last Updated : Jun 29, 2021, 7:49 PM IST
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