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जोधपुर : चीन के हजारों सैनिकों के सामने 120 जवानों के साथ भिड़ गए थे मेजर शैतान सिंह...तीन महीने बाद मिला था शव - tribute ceremony in jodhpur

1962 के युद्ध में चीन के हजारों सैनिकों के सामने 120 जवानों की टुकड़ी के साथ अदम्य साहस से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए मेजर शैतान सिंह का आज बलिदान दिवास है. जोधपुर के पावटा स्थित मेजर शैतान सिंह सर्किल पर सेना और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने सम्मान के साथ परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह को याद किया.

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मेजर शैतान सिंह को दी गई श्रद्धांजलि
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Published : Nov 18, 2020, 3:26 PM IST

जोधपुर. भारतीय सेना के जांबाज अफसर मेजर शैतान सिंह ने आज के दिन 18 नवंबर को देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. उनके इस बलिदान दिवस पर बुधवार को जोधपुर में पावटा स्थित मेजर शैतान सिंह सर्किल पर सेना और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने सम्मान के साथ याद किया.

मेजर शैतान सिंह को दी गई श्रद्धांजलि

साथ ही भारतीय सेना प्रतिवर्ष इस दिन यहां श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित कर वीर योद्धा को याद करती है. बता दें कि 1962 में चीनी और मेजर टूकडी के बीच हुआ युद्ध पूरी दुनिया में मशहूर है. केवल 120 सेना के साथ उन्होंने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर चीन के हजारों की संख्या में मौजूद चीनी सैनिकों का मुकाबला कर अदम्य साहस का परिचय दिया था.

वहीं मेजर शैतान सिंह अपनी 13 कुमायूं बटालियन की ‘सी’ कंपनी चुशूल सेक्टर में तैनात थे और बटालियन में 120 जवान थे. जिनके पास इस पिघला देने वाली ठंड से बचने के लिए कुछ भी नहीं था. साथ ही रेजांग ला (रेजांग पास) पर चीन की तरफ से कुछ हलचल शुरू हुई तो शैतान सिंह ने गोली चलाने का आदेश दे दिया लेकिन चीनी सेना की चाल थी भारतीय सेनाओं की गोलियां खत्म करने की.

पढ़ें: गुलाबचंद कटारिया के बयान पर संयम लोढ़ा का पलटवार, खरीद-फरोख्त की राजनीति से बाज आए भाजपा

जिसके बाद जब भारतीय सैनिकों की गोलियां खत्म हो गई उसके बाद चीन ने हमला कर दिया. इसी दौरान मेजर ने अपने अधिकारियेां से सहायता भी मांगी लेकिन उन्हें कहा गया कि पीछे हटा जाएं. बावजूद इसके मेजर को यह मंजूर नहीं था ओर वे अपने 120 जवानों के साथ चीनी सैनिकों से भिड गए और अंतिम सांस तक मेजर लडते रहे. इस युद्ध के सैनिकों के शव तीन महीने बाद बर्फ पिघलने के बाद ही मिले थे.

जोधपुर. भारतीय सेना के जांबाज अफसर मेजर शैतान सिंह ने आज के दिन 18 नवंबर को देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. उनके इस बलिदान दिवस पर बुधवार को जोधपुर में पावटा स्थित मेजर शैतान सिंह सर्किल पर सेना और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने सम्मान के साथ याद किया.

मेजर शैतान सिंह को दी गई श्रद्धांजलि

साथ ही भारतीय सेना प्रतिवर्ष इस दिन यहां श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित कर वीर योद्धा को याद करती है. बता दें कि 1962 में चीनी और मेजर टूकडी के बीच हुआ युद्ध पूरी दुनिया में मशहूर है. केवल 120 सेना के साथ उन्होंने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर चीन के हजारों की संख्या में मौजूद चीनी सैनिकों का मुकाबला कर अदम्य साहस का परिचय दिया था.

वहीं मेजर शैतान सिंह अपनी 13 कुमायूं बटालियन की ‘सी’ कंपनी चुशूल सेक्टर में तैनात थे और बटालियन में 120 जवान थे. जिनके पास इस पिघला देने वाली ठंड से बचने के लिए कुछ भी नहीं था. साथ ही रेजांग ला (रेजांग पास) पर चीन की तरफ से कुछ हलचल शुरू हुई तो शैतान सिंह ने गोली चलाने का आदेश दे दिया लेकिन चीनी सेना की चाल थी भारतीय सेनाओं की गोलियां खत्म करने की.

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जिसके बाद जब भारतीय सैनिकों की गोलियां खत्म हो गई उसके बाद चीन ने हमला कर दिया. इसी दौरान मेजर ने अपने अधिकारियेां से सहायता भी मांगी लेकिन उन्हें कहा गया कि पीछे हटा जाएं. बावजूद इसके मेजर को यह मंजूर नहीं था ओर वे अपने 120 जवानों के साथ चीनी सैनिकों से भिड गए और अंतिम सांस तक मेजर लडते रहे. इस युद्ध के सैनिकों के शव तीन महीने बाद बर्फ पिघलने के बाद ही मिले थे.

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