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SPECIAL: आयुर्वेद के खजाने से मिला Corona का इलाज, इस टेबलेट से Positive मरीज हो रहे Negative

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से 74 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं. वहीं, 4 लाख से ज्यादा की मौत हो चुकी है और अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं है, जो इलाज में कारगर साबित हो. लेकिन भारत में आर्युर्वेद के खजाने से कोरोना के लिए कारगर इलाज ढूंढ़ने का दावा किया जा रहा है. जिसका क्लीनिकल ट्रायल पूरे देश में चल रहा है. राजस्थान के जोधपुर में भी आयुर्वेदिक औषधियों का परीक्षण मरीजों पर किया जा रहा है और इसके क्या परिणाम सामने आए, देखें इस स्पेशल रिपोर्ट में...

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
जोधपुर के डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय में दवा का हो रहा क्लीनिकल ट्रायल
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Published : Jun 12, 2020, 10:34 AM IST

Updated : Jun 12, 2020, 4:41 PM IST

जोधपुर. कोरोना वायरस लाख कोशिशों के बावजूद काबू में नहीं आ रहा है. भारत में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 2 लाख 86 हजार के पार पहुंच गई है. अब तक 8 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. सबसे ज्यादा मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट का दावा है कि यह जानलेवा वायरस उन लोगों को चपेट में जल्दी लेता है, जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं है. यदि आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग हो तो यह रोग आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. भारत में कई ऐसी औषधियां हैं जो इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करती हैं.

आयुर्वेद के खजाने से मिला Corona का इलाज

अब इस चीनी वायरस पर भारतीय उपचार पद्धति कारगर साबित हो रही है. तकनीक के अलावा, आयुर्वेद भी अब कोरोना के खिलाफ एक बेहतर हथियार के रूप में उभर कर आया है. चक्रपाणि की चरक सहिंता जैसे ग्रथों में वर्णित उपचार की पद्धति से कोरोना के मरीज ठीक हो रहे हैं. यही कारण है कि अब पूरे देश में आयुर्वेद की दवाइयों से कोरोना मरीजों के उपचार का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया है. देश में 19 केंद्रों पर यह ट्रायल शुरू हुआ है. इसमें जोधपुर का डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय भी शामिल है.

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
जोधपुर के डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय में दवा का हो रहा क्लीनिकल ट्रायल

4 से 7 दिनों में मरीज हो रहे ठीक...

विश्वविद्यालय के डॉक्टर और रीसर्च स्कॉलर जोधपुर के बोरानाडा स्थित प्रदेश के सबसे बड़े कोविड सेंटर में कोरोना मरीजों का उपचार कर रहे हैं. इस दौरान ऐसे मरीजों को अंग्रेजी दवाइयां बिल्कुल नहीं दी जा रही है और इसके परिणाम भी उत्साहजनक हैं. मरीज 4 से 7 दिनों में दोबारा टेस्ट करने पर नेगेटिव आ रहे हैं. अब तक 42 मरीजों पर आयुर्वेदिक औषधि गिलोय घनवटी का सफलतापूर्वक ट्रायल किया जा चुका है और यह सभी मरीज नेगेटिव आ चुके हैं.

यह भी पढ़ें- SPECIAL: 87 साल के बुजुर्ग ऐसे दे रहे हैं कोरोना को चुनौती..

गिलोय एक प्राकृतिक औषधि है. जिससे आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने टेबलेट तैयार की है और यह टेबलेट एसिंप्टोमेटिक मरीजों को दी जा रही है. टेबलेट लेने से 4 से 7 दिनों में मरीज नेगेटिव आ रहे हैं.

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
गिलोय के सत्व से बनी टेबलेट

कौन है एसिंप्टोमेटिक मरीज...

एसिंप्टोमेटिक ऐसे मरीजों को कहते हैं, जिनमें शुरुआती दौर में कोरोना का कोई लक्षण नजर नहीं आता है. ये मरीज सबसे ज्यादा संख्या में दूसरे लोगों तक वायरस पहुंचाने का काम करते हैं.

गिलोय का किन चीजों में होता है इस्तेमाल...

गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं. इन्हीं गुणों की वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि से आराम दिलाता है और अब यह कोरोना का इलाज करने में भी कारगर साबित हो रहा है.

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
गिलोय की पत्तियों की मदद से बनाई जा रही टेबलेट

स्वाइन फ्लू के दौर में भी चर्चा में आया था गिलोय...

पिछले दिनों जब स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ा तो लोग आयुर्वेद की शरण में पंहुचे थे. तब भी इलाज के रूप में गिलोय का नाम खासा चर्चा में आया था. गिलोय या गुडुची, जिसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया है, इसका आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान है. इसके खास गुणों के कारण इसे अमृत के समान समझा जाता है और इसी कारण इसे अमृता भी कहा जाता है. प्राचीन काल से ही इन पत्तियों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाइयों में एक खास तत्व के रुप में किया जाता है.

यह भी पढ़ें- कीटनाशकों पर बैन : फैसला अच्छा, लेकिन बढ़ जाएगी फसलों की लागत

जोधपुर कोविड वार्ड के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार बिष्ट का कहना है कि आयुर्वेदिक विभाग के साथ मिलकर गिलोय का जो क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया है, उसके परिणाम काफी उत्साहजनक है. कोरोना मरीजों के आयुर्वेदिक क्लिनिकल ट्रायल के लिए विश्वविद्यालय ने अपने डॉक्टर और रिसर्च स्कॉलर्स को यहां नियुक्त किया है. जो हर दिन मरीजों को सुबह-शाम 250 मिलीग्राम की टेबलेट देते हैं. साथ ही उनको ऑब्सर्व करने का काम भी करते हैं.

पत्तियों से रस निकालकर बनाई जा रही टेबलेट...

गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर इस्तेमाल में लाया जाता है. गिलोय को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है. यह तैलीय होने के साथ-साथ स्वाद में कड़वा और हल्की झनझनाहट लाने वाला होता है. यह टेबलेट गिलोय की पत्तियों से निकाले गए सत्व से ही बनाई जा रही है.

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
कोरोना मरीजों का आयुर्वेद से हो रहा उपचार

कोविड अस्पताल के प्रभारी डॉ. मोहन दान देथा ने बताया कि हमारे इस केंद्र में 1 हजार से ज्यादा मरीज आ चुके हैं. आयुर्वेदिक उपचार को मरीज भी काफी पसंद कर रहे हैं. अभी तक जिन मरीजों के परीक्षण रजिस्टर्ड किए जा रहे हैं, उनके 2 एंटीबॉडी टेस्ट भी किए जा रहे हैं. इन मरीजों के इम्यूनोग्लोबिन और इंटरलिक्यूलिन-6 जैसे टेस्ट किए जा रहे हैं. इनसे शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी और बदलाव पर नजर रखी जा रही है.

30 दिन तक चलेगी टेबलेट...

जो मरीज इस टेबलेट को खाने के बाद नेगेटिव पाए गए हैं, उन्हें छुट्टी मिलने के बाद भी अगले 30 दिनों तक की इस टेबलेट का सेवन करना होगा. जिससे आने वाले दिनों में अन्य मरीजों के उपचार में और आसानी हो.

जोधपुर. कोरोना वायरस लाख कोशिशों के बावजूद काबू में नहीं आ रहा है. भारत में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 2 लाख 86 हजार के पार पहुंच गई है. अब तक 8 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. सबसे ज्यादा मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट का दावा है कि यह जानलेवा वायरस उन लोगों को चपेट में जल्दी लेता है, जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं है. यदि आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग हो तो यह रोग आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. भारत में कई ऐसी औषधियां हैं जो इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करती हैं.

आयुर्वेद के खजाने से मिला Corona का इलाज

अब इस चीनी वायरस पर भारतीय उपचार पद्धति कारगर साबित हो रही है. तकनीक के अलावा, आयुर्वेद भी अब कोरोना के खिलाफ एक बेहतर हथियार के रूप में उभर कर आया है. चक्रपाणि की चरक सहिंता जैसे ग्रथों में वर्णित उपचार की पद्धति से कोरोना के मरीज ठीक हो रहे हैं. यही कारण है कि अब पूरे देश में आयुर्वेद की दवाइयों से कोरोना मरीजों के उपचार का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया है. देश में 19 केंद्रों पर यह ट्रायल शुरू हुआ है. इसमें जोधपुर का डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय भी शामिल है.

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
जोधपुर के डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय में दवा का हो रहा क्लीनिकल ट्रायल

4 से 7 दिनों में मरीज हो रहे ठीक...

विश्वविद्यालय के डॉक्टर और रीसर्च स्कॉलर जोधपुर के बोरानाडा स्थित प्रदेश के सबसे बड़े कोविड सेंटर में कोरोना मरीजों का उपचार कर रहे हैं. इस दौरान ऐसे मरीजों को अंग्रेजी दवाइयां बिल्कुल नहीं दी जा रही है और इसके परिणाम भी उत्साहजनक हैं. मरीज 4 से 7 दिनों में दोबारा टेस्ट करने पर नेगेटिव आ रहे हैं. अब तक 42 मरीजों पर आयुर्वेदिक औषधि गिलोय घनवटी का सफलतापूर्वक ट्रायल किया जा चुका है और यह सभी मरीज नेगेटिव आ चुके हैं.

यह भी पढ़ें- SPECIAL: 87 साल के बुजुर्ग ऐसे दे रहे हैं कोरोना को चुनौती..

गिलोय एक प्राकृतिक औषधि है. जिससे आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने टेबलेट तैयार की है और यह टेबलेट एसिंप्टोमेटिक मरीजों को दी जा रही है. टेबलेट लेने से 4 से 7 दिनों में मरीज नेगेटिव आ रहे हैं.

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
गिलोय के सत्व से बनी टेबलेट

कौन है एसिंप्टोमेटिक मरीज...

एसिंप्टोमेटिक ऐसे मरीजों को कहते हैं, जिनमें शुरुआती दौर में कोरोना का कोई लक्षण नजर नहीं आता है. ये मरीज सबसे ज्यादा संख्या में दूसरे लोगों तक वायरस पहुंचाने का काम करते हैं.

गिलोय का किन चीजों में होता है इस्तेमाल...

गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं. इन्हीं गुणों की वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि से आराम दिलाता है और अब यह कोरोना का इलाज करने में भी कारगर साबित हो रहा है.

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
गिलोय की पत्तियों की मदद से बनाई जा रही टेबलेट

स्वाइन फ्लू के दौर में भी चर्चा में आया था गिलोय...

पिछले दिनों जब स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ा तो लोग आयुर्वेद की शरण में पंहुचे थे. तब भी इलाज के रूप में गिलोय का नाम खासा चर्चा में आया था. गिलोय या गुडुची, जिसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया है, इसका आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान है. इसके खास गुणों के कारण इसे अमृत के समान समझा जाता है और इसी कारण इसे अमृता भी कहा जाता है. प्राचीन काल से ही इन पत्तियों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाइयों में एक खास तत्व के रुप में किया जाता है.

यह भी पढ़ें- कीटनाशकों पर बैन : फैसला अच्छा, लेकिन बढ़ जाएगी फसलों की लागत

जोधपुर कोविड वार्ड के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार बिष्ट का कहना है कि आयुर्वेदिक विभाग के साथ मिलकर गिलोय का जो क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया है, उसके परिणाम काफी उत्साहजनक है. कोरोना मरीजों के आयुर्वेदिक क्लिनिकल ट्रायल के लिए विश्वविद्यालय ने अपने डॉक्टर और रिसर्च स्कॉलर्स को यहां नियुक्त किया है. जो हर दिन मरीजों को सुबह-शाम 250 मिलीग्राम की टेबलेट देते हैं. साथ ही उनको ऑब्सर्व करने का काम भी करते हैं.

पत्तियों से रस निकालकर बनाई जा रही टेबलेट...

गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर इस्तेमाल में लाया जाता है. गिलोय को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है. यह तैलीय होने के साथ-साथ स्वाद में कड़वा और हल्की झनझनाहट लाने वाला होता है. यह टेबलेट गिलोय की पत्तियों से निकाले गए सत्व से ही बनाई जा रही है.

आयुर्वेद से कोरोना का इलाज संभव, कोरोना का इलाज, treatment of corona by ayurved, corona virus treatment
कोरोना मरीजों का आयुर्वेद से हो रहा उपचार

कोविड अस्पताल के प्रभारी डॉ. मोहन दान देथा ने बताया कि हमारे इस केंद्र में 1 हजार से ज्यादा मरीज आ चुके हैं. आयुर्वेदिक उपचार को मरीज भी काफी पसंद कर रहे हैं. अभी तक जिन मरीजों के परीक्षण रजिस्टर्ड किए जा रहे हैं, उनके 2 एंटीबॉडी टेस्ट भी किए जा रहे हैं. इन मरीजों के इम्यूनोग्लोबिन और इंटरलिक्यूलिन-6 जैसे टेस्ट किए जा रहे हैं. इनसे शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी और बदलाव पर नजर रखी जा रही है.

30 दिन तक चलेगी टेबलेट...

जो मरीज इस टेबलेट को खाने के बाद नेगेटिव पाए गए हैं, उन्हें छुट्टी मिलने के बाद भी अगले 30 दिनों तक की इस टेबलेट का सेवन करना होगा. जिससे आने वाले दिनों में अन्य मरीजों के उपचार में और आसानी हो.

Last Updated : Jun 12, 2020, 4:41 PM IST
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