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राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे कुरैशी का विदाई रेफरेंस, कहा- न्यायाधीश के रूप में प्राथमिक कर्तव्य नागरिक के मौलिक और मानवाधिकारों की रक्षा करना है - Jodhpur latest news

राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अकील अब्दुल हमीद कुरैशी की सेवानिवृत्ति के अवसर पर वीसी के जरिए विदाई रेफरेंस (CJ Qureshi farewell reference) आयोजित हुआ. उन्होने कहा कि एक संवैधानिक अदालत के न्यायाधीश के रूप में, जिसका सबसे प्राथमिक कर्तव्य नागरिक के मौलिक और मानवाधिकारों की रक्षा करना है. 'मैं इसे स्वतंत्रता का प्रमाण पत्र मानता हूं'.

Rajasthan Highcourt cj qureshi farewell reference
सीजे कुरैशी का विदाई रेफरेंस
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Published : Mar 5, 2022, 11:01 PM IST

Updated : Mar 5, 2022, 11:51 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अकील अब्दुल हमीद कुरैशी की सेवानिवृत्ति के अवसर पर शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट मुख्यपीठ जोधपुर और जयपुर पीठ में वीसी के जरिए विदाई रेफरेंस (CJ Qureshi farewell reference) आयोजित हुआ. त्रिपुरा हाईकोर्ट से 12 अक्टूबर 2021 को स्थानान्तरित होकर राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे बने कुरैशी रेफरेंस को सम्बोधित करते हुए दो तीन बार भावुक हो गए.

उन्होंने युवा वकीलों को सिद्धांतों पर जीने का आह्वान करते हुए कहा कि जब आप सीधे रास्ते से अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं तो सफलता अधिक प्यारी होती है. सैद्धांतिक जीवन में असफलता समझौतों पर स्थापित सफलता से अधिक संतोषजनक होती है. उन्होंने कहा कि अदालतों के अस्तित्व का कारण नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना था. सीजे कुरैशी ने राजस्थान हाईकोर्ट के अपने कार्यकाल के बारे में बात करते हुए न्यायाधीशों की कमी का भी उल्लेख किया.

पढ़ें. बेरोजगारी के निराकरण के बिना पेपर लीक पर मृत्युदंड भी बेअसर : हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश

उन्होंने कहा कि यहां न्यायाधीशों पर बोझ बढ़ रहा है. सीजे कुरैशी ने कहा कि जब 'मैं यहां आया तो 36 जज थे, लेकिन तब से लेकर अब तक यह संख्या बढ़ी नहीं, बल्कि कम हो गई है. जबकि काम कई गुना बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि वह अपने बारे में सरकार की नकारात्मक धारणा को स्वतंत्रता का प्रमाण पत्र मानते हैं. कुरैशी ने एक पूर्व सीजेआई की आत्मकथा में उल्लेख करते हुए कही कि मध्य प्रदेश और त्रिपुरा के सीजे के लिए उनकी सिफारिशों को बदलने के संबंध में न्यायिक राय के आधार पर सरकार की उनके बारे में नकारात्मक धारणा थी. उन्होंने कहा कि 'मैंने जीवनी नहीं पढ़ी है'. लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने एमपी और त्रिपुरा के सीजे के लिए मेरी सिफारिशों को बदलने के संबंध में कुछ खुलासे किए हैं.

पढ़ें. एमएम श्रीवास्तव बने राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश

उन्होने कहा कि एक संवैधानिक अदालत के न्यायाधीश के रूप में, जिसका सबसे प्राथमिक कर्तव्य नागरिक के मौलिक और मानवाधिकारों की रक्षा करना है. 'मैं इसे स्वतंत्रता का प्रमाण पत्र मानता हूं'. उन्होने कहा कि यह देखकर आश्चर्य हुआ कि हाईकोर्ट की ओर से बैंच में नियुक्ति के लिए अनुशंसित एडवोकेट की सूची को सुप्रीम कोर्ट की ओर से भारी रूप से काटा जा रहा है. उन्होने कहा कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के बीच धारण में इस अंतर का कारण जो भी हो लेकिन उसे जल्द से जल्द हल किया जाना आवश्यक है अन्यथा हमारे लिए बैंच में शामिल होने के लिए एडवोकेट्स का होना कठित होता जाएगा.

विदाई रेफरेंस को वरिष्ठ न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव,महाधिवक्ता महेन्द्रसिंह सिंघवी,बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के चैयरमेन राजेश पंवार,सहित जोधपुर की दोनो एसोसिएशन एवं जयपुर के दो एसोसिएशन की ओर से विदाई रेफरेंस पढ़ा गया. विदाई रेफरेंस के बाद हाई टी का आयोजन करने के साथ ही गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सीजे कुरैशी को विदाई दी गई.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अकील अब्दुल हमीद कुरैशी की सेवानिवृत्ति के अवसर पर शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट मुख्यपीठ जोधपुर और जयपुर पीठ में वीसी के जरिए विदाई रेफरेंस (CJ Qureshi farewell reference) आयोजित हुआ. त्रिपुरा हाईकोर्ट से 12 अक्टूबर 2021 को स्थानान्तरित होकर राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे बने कुरैशी रेफरेंस को सम्बोधित करते हुए दो तीन बार भावुक हो गए.

उन्होंने युवा वकीलों को सिद्धांतों पर जीने का आह्वान करते हुए कहा कि जब आप सीधे रास्ते से अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं तो सफलता अधिक प्यारी होती है. सैद्धांतिक जीवन में असफलता समझौतों पर स्थापित सफलता से अधिक संतोषजनक होती है. उन्होंने कहा कि अदालतों के अस्तित्व का कारण नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना था. सीजे कुरैशी ने राजस्थान हाईकोर्ट के अपने कार्यकाल के बारे में बात करते हुए न्यायाधीशों की कमी का भी उल्लेख किया.

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उन्होंने कहा कि यहां न्यायाधीशों पर बोझ बढ़ रहा है. सीजे कुरैशी ने कहा कि जब 'मैं यहां आया तो 36 जज थे, लेकिन तब से लेकर अब तक यह संख्या बढ़ी नहीं, बल्कि कम हो गई है. जबकि काम कई गुना बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि वह अपने बारे में सरकार की नकारात्मक धारणा को स्वतंत्रता का प्रमाण पत्र मानते हैं. कुरैशी ने एक पूर्व सीजेआई की आत्मकथा में उल्लेख करते हुए कही कि मध्य प्रदेश और त्रिपुरा के सीजे के लिए उनकी सिफारिशों को बदलने के संबंध में न्यायिक राय के आधार पर सरकार की उनके बारे में नकारात्मक धारणा थी. उन्होंने कहा कि 'मैंने जीवनी नहीं पढ़ी है'. लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने एमपी और त्रिपुरा के सीजे के लिए मेरी सिफारिशों को बदलने के संबंध में कुछ खुलासे किए हैं.

पढ़ें. एमएम श्रीवास्तव बने राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश

उन्होने कहा कि एक संवैधानिक अदालत के न्यायाधीश के रूप में, जिसका सबसे प्राथमिक कर्तव्य नागरिक के मौलिक और मानवाधिकारों की रक्षा करना है. 'मैं इसे स्वतंत्रता का प्रमाण पत्र मानता हूं'. उन्होने कहा कि यह देखकर आश्चर्य हुआ कि हाईकोर्ट की ओर से बैंच में नियुक्ति के लिए अनुशंसित एडवोकेट की सूची को सुप्रीम कोर्ट की ओर से भारी रूप से काटा जा रहा है. उन्होने कहा कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के बीच धारण में इस अंतर का कारण जो भी हो लेकिन उसे जल्द से जल्द हल किया जाना आवश्यक है अन्यथा हमारे लिए बैंच में शामिल होने के लिए एडवोकेट्स का होना कठित होता जाएगा.

विदाई रेफरेंस को वरिष्ठ न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव,महाधिवक्ता महेन्द्रसिंह सिंघवी,बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के चैयरमेन राजेश पंवार,सहित जोधपुर की दोनो एसोसिएशन एवं जयपुर के दो एसोसिएशन की ओर से विदाई रेफरेंस पढ़ा गया. विदाई रेफरेंस के बाद हाई टी का आयोजन करने के साथ ही गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सीजे कुरैशी को विदाई दी गई.

Last Updated : Mar 5, 2022, 11:51 PM IST
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