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Rajasthan High court: नि:शक्तजन प्रमाण पत्र पर कोर्ट सख्त, फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों पर भी होगी कार्रवाई

निःशक्तजन प्रमाण पत्र को लेकर हो रहे फर्जीवाड़े (Disability certificate question raised) पर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है. शुक्रवार को कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने पशुधन सहायक भर्ती 2018 में तय नियमों के विरुद्ध नियुक्ति का आरोप लगाया था. क्या है पूरा मामला और कोर्ट ने क्या दिए निर्देश? आइए जानते हैं.

Rajasthan High court
नि:शक्त जन प्रमाण पत्र पर कोर्ट सख्त
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Published : Jul 2, 2022, 7:25 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ की जज रेखा बोराणा ने पशुधन सहायक भर्ती 2018 में नि:शक्तजन अभ्यर्थियों की ओर से चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टिया प्रमाण पत्रों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है (Disability certificate question raised) तो उसकी जांच करवाई जाए और यदि साबित हो जाए की प्रमाण पत्र फर्जी है तो याचिकाकर्ताओं को भर्ती से बाहर करते हुए 3 साल के लिए सभी भर्तियों से बाहर रखते हुए प्रतिबंध लगाया जाए.

कोर्ट ने फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी एक्शन लेने का निर्देश दिया. दरअसल, नेमाराम व अन्य की ओर से यह कहते हुए याचिकाएं पेश की गई थीं कि वो 40 प्रतिशत से अधिक नि:शक्त हैं. Disability के तय पैमाने को पूरा करने के बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है. इस पर ही एएजी अनिल गौड़ ने पक्ष रखते हुए कहा कि 40 प्रतिशत से कम Disable किसी भी शख्स को नियुक्ति नहीं दी गई है जबकि याचिकाकर्ताओं ने जो प्रमाण पत्र पेश किया वो गलत है.

पढ़ें-HC On Medical Seats: जोधपुर हाईकोर्ट से मेडिकल कॉलेजों को नहीं मिली राहत, अंतरिम आदेश से जिन छात्रों को प्रवेश दिया वो करेंगे अध्ययन

गौड़ ने कहा- एसएमएस जयपुर के मेडिकल बोर्ड जांच में भी प्रमाण पत्र फर्जी साबित हो चुके हैं. इस परिस्थिति में भी याचिकाकर्ता फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करना चाहते हैं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि एक बार फिर से निःशक्तता जांच करा ली जाए. अगर इस परीक्षण के बाद रिकॉर्ड में पेश किया गया प्रमाण पत्र में भिन्नता हुई तो याचिकाकर्ताओं को तीन साल के लिए प्रतिबंधित करते हुए भर्ती से बाहर किया जाएगा. वहीं प्रमाण पत्र जारी करने वाले चिकित्सको की भी जांच की जाए जो कि अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य विभाग के स्तर के अधिकारी से होनी चाहिए. दोनो ही मामलो में 30 सितम्बर 2022 तक जांच पूरी करें.11 अक्टूबर 2022 को जांच रिपोर्ट और एक्शन रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ की जज रेखा बोराणा ने पशुधन सहायक भर्ती 2018 में नि:शक्तजन अभ्यर्थियों की ओर से चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टिया प्रमाण पत्रों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है (Disability certificate question raised) तो उसकी जांच करवाई जाए और यदि साबित हो जाए की प्रमाण पत्र फर्जी है तो याचिकाकर्ताओं को भर्ती से बाहर करते हुए 3 साल के लिए सभी भर्तियों से बाहर रखते हुए प्रतिबंध लगाया जाए.

कोर्ट ने फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी एक्शन लेने का निर्देश दिया. दरअसल, नेमाराम व अन्य की ओर से यह कहते हुए याचिकाएं पेश की गई थीं कि वो 40 प्रतिशत से अधिक नि:शक्त हैं. Disability के तय पैमाने को पूरा करने के बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है. इस पर ही एएजी अनिल गौड़ ने पक्ष रखते हुए कहा कि 40 प्रतिशत से कम Disable किसी भी शख्स को नियुक्ति नहीं दी गई है जबकि याचिकाकर्ताओं ने जो प्रमाण पत्र पेश किया वो गलत है.

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गौड़ ने कहा- एसएमएस जयपुर के मेडिकल बोर्ड जांच में भी प्रमाण पत्र फर्जी साबित हो चुके हैं. इस परिस्थिति में भी याचिकाकर्ता फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करना चाहते हैं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि एक बार फिर से निःशक्तता जांच करा ली जाए. अगर इस परीक्षण के बाद रिकॉर्ड में पेश किया गया प्रमाण पत्र में भिन्नता हुई तो याचिकाकर्ताओं को तीन साल के लिए प्रतिबंधित करते हुए भर्ती से बाहर किया जाएगा. वहीं प्रमाण पत्र जारी करने वाले चिकित्सको की भी जांच की जाए जो कि अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य विभाग के स्तर के अधिकारी से होनी चाहिए. दोनो ही मामलो में 30 सितम्बर 2022 तक जांच पूरी करें.11 अक्टूबर 2022 को जांच रिपोर्ट और एक्शन रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया.

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