ETV Bharat / city

अडानी ग्रुप को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ा झटका, 1500 बीघा जमीन का आवंटन किया निरस्त

राजस्थान हाईकोर्ट ने अडानी ग्रुप को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने आदेश जारी कर जैसलमेर के पोकरण में सोलर प्लांट के लिए अडानी ग्रुप को आंवटित 6115.6 बीघा में से 1500 बीघा जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया.

author img

By

Published : Jun 29, 2021, 6:41 PM IST

Updated : Jun 30, 2021, 6:59 AM IST

राजस्थान हाईकोर्ट,  सोलर प्लांट , अडानी ग्रुप,  आवंटन निरस्त , जोधपुर समाचार , Rajasthan High Court , solar plant,  Adani Group , allotment canceled , jodhpur news
राजस्थान हाईकोर्ट का अडानी ग्रुप को झटका

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने जैसलमेर की पोकरण तहसील के नैदान गांव में बनने वाले सोलर प्लांट को लेकर दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए अहम आदेश पारित किया है. उच्च न्यायालय ने अडानी रिन्यूएबल एनर्जी के सोलर प्लांट के लिए पोकरण तहसील के नैदान गांव में आवंटित 6115.6 बीघा में से 1500 बीघा जमीन के आवंटन को निरस्त कर दिया है.

4500 बीघा के रिव्यू का निर्देश

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सरकार को शेष बची करीब 4500 बीघा के रिव्यू का निर्देश दिया है. एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपीलकर्ता बरकत खान व अन्य की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित के जरिये विशेष अपीलें पेश की गईं थीं जिस पर वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व जस्टिस रामेश्वर लोढ़ा की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए पूर्व में आदेश सुरक्षित रखा था. मंगलवार को वरिष्ठ न्यायाधीश लोढ़ा की खंडपीठ ने विस्तृत आदेश पारित करते हुए अडानी ग्रुप को बड़ा झटका दिया है.

पढ़ें: हाईकोर्ट: 28 जून से 3 खंडपीठ और 8 एकलपीठ करेगी सुनवाई

आदेश में सरकार को कहा गया है कि जो भी वहां रह रहे हैं, उनकी ढाणियों और जमीन तक रास्ते की व्यवस्था किए बिना कोई भी किसी प्रकार का आवंटन बहाल न करे. उच्च न्यायालय ने पूरे क्षेत्र का विस्तृत सर्वे करने और वहां के लोगों की व्यवस्था को देखने के निर्देश दिए हैं. उसके बाद वहां कोई जमीन रहती है तो डिटेल रिव्यू कर आवंटन किया जाए. आवंटित सरकारी जमीन में से ढाणियों के रास्तों के लिए विस्तृत सर्वे हो.

वर्ष 2006 में जमीन आवंटन के विज्ञापन जारी किया था

गौरतलब है कि अपीलकर्ता बरकत खान की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने अपील याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि एसडीओ पोकरण ने वर्ष 2006 में जमीन आवंटित करने के लिए राजस्थान भूमि राजस्व (कृषि उद्देश्य के लिए जमीन आवंटन) नियम 1970 के तहत योग्य काश्तकारों के लिए विज्ञापन जारी किया था. चूंकि यह जमीन न तो बंजर है और न ही खराब, इसलिए यह जमीन केवल कृषि उद्देश्य के उपयोग में आ सकती है. इसके बावजूद वर्ष 2015 में अडाणी रिनेवेबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड को सोलर प्लांट के लिए 6115.6 बीघा जमीन आवंटित करने के लिए अनुशंसा भेज दी गई.

पढ़ें: डिस्ट्रिक्ट प्रोगाम कोऑर्डिनेटर पद के आवेदन के लिए पात्र हैं बीडीएस व एमबीए डिग्रीधारक: राजस्थान हाईकोर्ट

इसके बाद 30 मई 2017 को राजस्व विभाग ने आदेश जारी कर सोलर प्लांट के लिए अडाणी ग्रुप को आवंटन के लिए जमीन की बारानी किस्म को बदल दिया. इसके बाद राज्य सरकार की स्वीकृति पर जिला कलेक्टर ने 11 जनवरी 2018 को 6115.6 बीघा जमीन अडाणी ग्रुप को आवंटित कर दी गई. अधिवक्ता ने कहा कि इसे एकलपीठ में चुनौती दी गई, लेकिन 27 नवंबर 2019 को याचिका खारिज कर दी गई.

एकलपीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील दायर की गई थी. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता रेखा बोराणा ने पक्ष रखने के साथ ही अंडरटेकिंग दिए जाने के बाद यथास्थिति रखने के आदेश जारी किए थे. सुनवाई में अन्य प्रार्थीगण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर एन माथुर, कुलदीप माथुर, धीरेन्द्र सिंह सोडा, श्रेयांस मरडिया व विपुल धारणिया ने पैरवी की.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने जैसलमेर की पोकरण तहसील के नैदान गांव में बनने वाले सोलर प्लांट को लेकर दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए अहम आदेश पारित किया है. उच्च न्यायालय ने अडानी रिन्यूएबल एनर्जी के सोलर प्लांट के लिए पोकरण तहसील के नैदान गांव में आवंटित 6115.6 बीघा में से 1500 बीघा जमीन के आवंटन को निरस्त कर दिया है.

4500 बीघा के रिव्यू का निर्देश

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सरकार को शेष बची करीब 4500 बीघा के रिव्यू का निर्देश दिया है. एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपीलकर्ता बरकत खान व अन्य की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित के जरिये विशेष अपीलें पेश की गईं थीं जिस पर वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व जस्टिस रामेश्वर लोढ़ा की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए पूर्व में आदेश सुरक्षित रखा था. मंगलवार को वरिष्ठ न्यायाधीश लोढ़ा की खंडपीठ ने विस्तृत आदेश पारित करते हुए अडानी ग्रुप को बड़ा झटका दिया है.

पढ़ें: हाईकोर्ट: 28 जून से 3 खंडपीठ और 8 एकलपीठ करेगी सुनवाई

आदेश में सरकार को कहा गया है कि जो भी वहां रह रहे हैं, उनकी ढाणियों और जमीन तक रास्ते की व्यवस्था किए बिना कोई भी किसी प्रकार का आवंटन बहाल न करे. उच्च न्यायालय ने पूरे क्षेत्र का विस्तृत सर्वे करने और वहां के लोगों की व्यवस्था को देखने के निर्देश दिए हैं. उसके बाद वहां कोई जमीन रहती है तो डिटेल रिव्यू कर आवंटन किया जाए. आवंटित सरकारी जमीन में से ढाणियों के रास्तों के लिए विस्तृत सर्वे हो.

वर्ष 2006 में जमीन आवंटन के विज्ञापन जारी किया था

गौरतलब है कि अपीलकर्ता बरकत खान की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने अपील याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि एसडीओ पोकरण ने वर्ष 2006 में जमीन आवंटित करने के लिए राजस्थान भूमि राजस्व (कृषि उद्देश्य के लिए जमीन आवंटन) नियम 1970 के तहत योग्य काश्तकारों के लिए विज्ञापन जारी किया था. चूंकि यह जमीन न तो बंजर है और न ही खराब, इसलिए यह जमीन केवल कृषि उद्देश्य के उपयोग में आ सकती है. इसके बावजूद वर्ष 2015 में अडाणी रिनेवेबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड को सोलर प्लांट के लिए 6115.6 बीघा जमीन आवंटित करने के लिए अनुशंसा भेज दी गई.

पढ़ें: डिस्ट्रिक्ट प्रोगाम कोऑर्डिनेटर पद के आवेदन के लिए पात्र हैं बीडीएस व एमबीए डिग्रीधारक: राजस्थान हाईकोर्ट

इसके बाद 30 मई 2017 को राजस्व विभाग ने आदेश जारी कर सोलर प्लांट के लिए अडाणी ग्रुप को आवंटन के लिए जमीन की बारानी किस्म को बदल दिया. इसके बाद राज्य सरकार की स्वीकृति पर जिला कलेक्टर ने 11 जनवरी 2018 को 6115.6 बीघा जमीन अडाणी ग्रुप को आवंटित कर दी गई. अधिवक्ता ने कहा कि इसे एकलपीठ में चुनौती दी गई, लेकिन 27 नवंबर 2019 को याचिका खारिज कर दी गई.

एकलपीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील दायर की गई थी. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता रेखा बोराणा ने पक्ष रखने के साथ ही अंडरटेकिंग दिए जाने के बाद यथास्थिति रखने के आदेश जारी किए थे. सुनवाई में अन्य प्रार्थीगण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर एन माथुर, कुलदीप माथुर, धीरेन्द्र सिंह सोडा, श्रेयांस मरडिया व विपुल धारणिया ने पैरवी की.

Last Updated : Jun 30, 2021, 6:59 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.