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BJP OBC Meet: शाह के स्वागत की तैयारी, जोधपुर में दिखी पोस्टर पॉलिटिक्स - पूनिया और शेखावत के बीच खटपट

जोधपुर में भाजपा की ओबीसी मोर्चा की बैठक शुरू हो गई है. अमित शाह इस मीटिंग (Poster Politics in Jodhpur) में शामिल होने के लिए जोधपुर आएंगे. इस सूचना के बाद शहर में पोस्टर पॉलिटिक्स भी हो रही है. किसी पोस्टर में राजे हैं तो शेखावत नदारद, तो किसी पोस्टर में पूनिया को भी जगह नहीं मिली.

BJP OBC Meet
जोधपुर में पोस्टर पॉलिटिक्स
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Published : Sep 9, 2022, 5:04 PM IST

जोधपुर. भारतीय जनता पार्टी के ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुक्रवार को शुरू (Bjp Obc Wing Meet In Jodhpur) हुई. इस बैठक को संबोधित करने व बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने गृहमंत्री अमित शाह जोधपुर आएंगे. शाह के स्वागत को लेकर शहर में जबरदस्त पोस्टर पॉलिटिक्स नजर आ रही है. जो साफ तौर पर गुटबाजी भी दिखा रही है. एयरपोर्ट से रावण का चबूतरा और कायालाना स्थित होटल तक सबसे ज्यादा पोस्टर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजर आ रहे हैं. लेकिन राजे के पोस्टर से शेखावत गायब हैं.

दूसरी तरफ शेखावत के समर्थकों के पोस्टर में तो प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया तक नदारद हैं. महापौर वनीता सेठ (Poster Politics in Jodhpur) के पोस्टर में महापौर के साथ सिर्फ शेखावत और अमित शाह के फोटो नजर आ रहे हैं. इसी तरह से वसुंधरा समर्थकों के पोस्टर में शेखावत नहीं हैं तो कुछ में पूनिया को भी जगह नहीं मिली. इससे सभी के बीच वर्चस्व की साफ लड़ाई नजर आ रही है. सतीश पूनिया प्रदेशाध्यक्ष हैं, इसलिए उनको स्थानीय संगठन के सभी पोस्टर में जगह दी गई. रामदेवरा पैदल यात्रा निरस्त होने के बाद से पूनिया और शेखावत के बीच खटपट चल रही है. यह माना जा रहा है कि पूनिया की इस यात्रा को रोकने में शेखावत की बड़ी भूमिका थी. जबकि पूनिया ने अपने साथ शेखावत व कैलाश चौधरी को भी यात्रा में शामिल किया था.

जोधपुर में पोस्टर पॉलिटिक्स

महापौर गईं शेखावत की शरण में: भाजपा के इस आयोजन से कई स्थानीय नेताओं का पाला बदलने का दृश्य पोस्टर पॉलिटिक्स में साफ नजर आ रहा है. महापौर वनीता सेठ वसुंधरा समर्थित विधायक सूर्यकांता व्यास की शागिर्द हुआ करती थीं. लेकिन महापौर बनने के बाद वह शेखावत के पाले में चली गईं. इसको लेकर अब तक सिर्फ कयास थे, लेकिन आज लगे पोस्टर में ये साफ नजर आ गया. जबकि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें महापौर का टिकट दिया. फिर भी महापौर के पोस्टर में प्रदेशाध्यक्ष तक को जगह नहीं मिली. इसी तरह से यूआईटी के पूर्व सदस्य रहे कमलेश पुरोहित भी वसुंधरा खेमे की जगह शेखावत समर्थक हो गए हैं. पूर्व पार्षद राजेंद्र इंदा ने तो पूनिया व शेखावत दोनों को ही अपने पोस्टर में जगह नहीं देते हुए सिर्फ वसुंधरा राजे का फोटो लगाया.

पढ़ें. BJP OBC Meet: मारवाड़ के गांधी को 'घर में ही घेरेंगे' भाजपा के चाणक्य!

पढ़ें. BJP OBC Meet : भाजपा ओबीसी मोर्चा राष्ट्रीय कार्य समिति बैठक शुरू, उद्घाटन कल

प्रदेश मंत्री ने भी दिखाई वसुंधरा भक्ति: भाजपा में खींचतान हर स्तर पर है. मोर्चा की बैठक से पहले महामंत्री (Politics in Rajasthan) भजनलाल के कहने के बावजूद भी प्रेस कांफ्रेंस के लिए पूनिया का इंतजार नहीं किया गया. वहीं शुक्रवार सुबह प्रदेश मंत्री केके विश्नोई ने जो अमित शाह के स्वागत के लिए जो पोस्टर लगाए, उसमें बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे ही थीं. शेखावत को जगह नहीं दी गई. इसी तरह से पूर्व देहात अध्यक्ष भोपालसिंह बडला ने प्रदेश स्तर पर अपने स्वागत पोस्टर में वसुंधरा राजे को ही जगह दी है.

यात्रा होती तो पूनिया का पलड़ा होता भारी: अगर 6 सितंबर को पूनिया पोकरण से रामदेवरा की पैदल यात्रा करते तो उस क्षेत्र से पूरे पश्चिमी राजस्थान में संदेश जाता. पूनिया के समर्थन में जाट नेता तो सक्रिय हुए ही थे, इसके अलावा संगठन भी सक्रिय हो गया था. जिसने कई नेताओं की चिंता बढ़ा दी थी. खास तौर से शेखावत की. क्योंकि इससे पूनिया का तो प्रभाव बढ़ता ही. साथ ही मारवाड़ में शेखावत को भी एक चुनौती मिलती. बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व को यह डर बताया गया कि अगर पूनिया पदयात्रा करेंगे, इस दौरान वसुंधरा राजे कोई यात्रा करेंगी तो उन्हें कैसे रोक पाएंगे? जिसके बाद पूनिया को यात्रा रोकनी पड़ी.

जोधपुर. भारतीय जनता पार्टी के ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुक्रवार को शुरू (Bjp Obc Wing Meet In Jodhpur) हुई. इस बैठक को संबोधित करने व बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने गृहमंत्री अमित शाह जोधपुर आएंगे. शाह के स्वागत को लेकर शहर में जबरदस्त पोस्टर पॉलिटिक्स नजर आ रही है. जो साफ तौर पर गुटबाजी भी दिखा रही है. एयरपोर्ट से रावण का चबूतरा और कायालाना स्थित होटल तक सबसे ज्यादा पोस्टर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजर आ रहे हैं. लेकिन राजे के पोस्टर से शेखावत गायब हैं.

दूसरी तरफ शेखावत के समर्थकों के पोस्टर में तो प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया तक नदारद हैं. महापौर वनीता सेठ (Poster Politics in Jodhpur) के पोस्टर में महापौर के साथ सिर्फ शेखावत और अमित शाह के फोटो नजर आ रहे हैं. इसी तरह से वसुंधरा समर्थकों के पोस्टर में शेखावत नहीं हैं तो कुछ में पूनिया को भी जगह नहीं मिली. इससे सभी के बीच वर्चस्व की साफ लड़ाई नजर आ रही है. सतीश पूनिया प्रदेशाध्यक्ष हैं, इसलिए उनको स्थानीय संगठन के सभी पोस्टर में जगह दी गई. रामदेवरा पैदल यात्रा निरस्त होने के बाद से पूनिया और शेखावत के बीच खटपट चल रही है. यह माना जा रहा है कि पूनिया की इस यात्रा को रोकने में शेखावत की बड़ी भूमिका थी. जबकि पूनिया ने अपने साथ शेखावत व कैलाश चौधरी को भी यात्रा में शामिल किया था.

जोधपुर में पोस्टर पॉलिटिक्स

महापौर गईं शेखावत की शरण में: भाजपा के इस आयोजन से कई स्थानीय नेताओं का पाला बदलने का दृश्य पोस्टर पॉलिटिक्स में साफ नजर आ रहा है. महापौर वनीता सेठ वसुंधरा समर्थित विधायक सूर्यकांता व्यास की शागिर्द हुआ करती थीं. लेकिन महापौर बनने के बाद वह शेखावत के पाले में चली गईं. इसको लेकर अब तक सिर्फ कयास थे, लेकिन आज लगे पोस्टर में ये साफ नजर आ गया. जबकि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें महापौर का टिकट दिया. फिर भी महापौर के पोस्टर में प्रदेशाध्यक्ष तक को जगह नहीं मिली. इसी तरह से यूआईटी के पूर्व सदस्य रहे कमलेश पुरोहित भी वसुंधरा खेमे की जगह शेखावत समर्थक हो गए हैं. पूर्व पार्षद राजेंद्र इंदा ने तो पूनिया व शेखावत दोनों को ही अपने पोस्टर में जगह नहीं देते हुए सिर्फ वसुंधरा राजे का फोटो लगाया.

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प्रदेश मंत्री ने भी दिखाई वसुंधरा भक्ति: भाजपा में खींचतान हर स्तर पर है. मोर्चा की बैठक से पहले महामंत्री (Politics in Rajasthan) भजनलाल के कहने के बावजूद भी प्रेस कांफ्रेंस के लिए पूनिया का इंतजार नहीं किया गया. वहीं शुक्रवार सुबह प्रदेश मंत्री केके विश्नोई ने जो अमित शाह के स्वागत के लिए जो पोस्टर लगाए, उसमें बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे ही थीं. शेखावत को जगह नहीं दी गई. इसी तरह से पूर्व देहात अध्यक्ष भोपालसिंह बडला ने प्रदेश स्तर पर अपने स्वागत पोस्टर में वसुंधरा राजे को ही जगह दी है.

यात्रा होती तो पूनिया का पलड़ा होता भारी: अगर 6 सितंबर को पूनिया पोकरण से रामदेवरा की पैदल यात्रा करते तो उस क्षेत्र से पूरे पश्चिमी राजस्थान में संदेश जाता. पूनिया के समर्थन में जाट नेता तो सक्रिय हुए ही थे, इसके अलावा संगठन भी सक्रिय हो गया था. जिसने कई नेताओं की चिंता बढ़ा दी थी. खास तौर से शेखावत की. क्योंकि इससे पूनिया का तो प्रभाव बढ़ता ही. साथ ही मारवाड़ में शेखावत को भी एक चुनौती मिलती. बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व को यह डर बताया गया कि अगर पूनिया पदयात्रा करेंगे, इस दौरान वसुंधरा राजे कोई यात्रा करेंगी तो उन्हें कैसे रोक पाएंगे? जिसके बाद पूनिया को यात्रा रोकनी पड़ी.

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