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अश्लील वीडियो भेजने वाले हेड कांस्टेबल की याचिका खारिज, अनुशासनात्मक कार्रवाई को दी थी चुनौती

राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से अश्लील वीडियो भेजने के मामले में हेड कांस्टेबल की याचिका को खारिज कर दिया गया है. कोर्ट ने विभागीय जांच में दखल से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी.

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Published : Sep 22, 2021, 6:59 PM IST

राजस्थान उच्च न्यायालय , अश्लील वीडियो प्रकरण , हेड कांस्टेबल याचिका खारिज, Rajasthan High Court , porn video matter, head constable petition dismissed
हेड कांस्टेबल की याचिका खारिज

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के जस्टिस दिनेश मेहता ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों और नियमों की उपेक्षा न करे जो कि अनुशासनात्मक जंच के संबंध में बनाए गए हैं.

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने बताया कि याचिकाकर्ता प्रवीण गोदारा हेड कांस्टेबल सीआईडी विशा जोन गंगानगर में कार्यरत था. उसने वर्ष 2019 में एक महिला कांस्टेबल को अपने मोबाइल से अश्लील चित्र व धमकी भरे संदेश भेज दिये थे जिसकी महिला कांस्टेबल ने विभाग में शिकायत करने के साथ ही स्थानीय थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी.

पढ़ें: वरीयता के बावजूद RTE के तहत प्रवेश नहीं देने पर सरकार और निजी स्कूल से राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

विभाग ने पुलिस जैसे अनुशासित बल के सदस्य होने के नाते ऐसा कृत्य करने पर तत्काल निलम्बित करते हुए मुख्यालय बीकानेर कर दिया था और विभागीय नियमों के तहत 27 फरवरी 2020 को अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी, जिसे याचिका के जरिये चुनोती दी गई थी. प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायालय ने 13 जनवरी 2021 को अंतरिम आदेश पारित करते हुए स्थगन जारी किया था.

सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर उस कृत्य के लिए पीड़िता की ओर से दी गई है जबकि पुलिस जैसे अनुशासित बल में ऐसा कृत्य करने पर विभागीय जांच आवश्यक है. न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद विभागीय जांच में दखल से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के जस्टिस दिनेश मेहता ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों और नियमों की उपेक्षा न करे जो कि अनुशासनात्मक जंच के संबंध में बनाए गए हैं.

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने बताया कि याचिकाकर्ता प्रवीण गोदारा हेड कांस्टेबल सीआईडी विशा जोन गंगानगर में कार्यरत था. उसने वर्ष 2019 में एक महिला कांस्टेबल को अपने मोबाइल से अश्लील चित्र व धमकी भरे संदेश भेज दिये थे जिसकी महिला कांस्टेबल ने विभाग में शिकायत करने के साथ ही स्थानीय थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी.

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विभाग ने पुलिस जैसे अनुशासित बल के सदस्य होने के नाते ऐसा कृत्य करने पर तत्काल निलम्बित करते हुए मुख्यालय बीकानेर कर दिया था और विभागीय नियमों के तहत 27 फरवरी 2020 को अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी, जिसे याचिका के जरिये चुनोती दी गई थी. प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायालय ने 13 जनवरी 2021 को अंतरिम आदेश पारित करते हुए स्थगन जारी किया था.

सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर उस कृत्य के लिए पीड़िता की ओर से दी गई है जबकि पुलिस जैसे अनुशासित बल में ऐसा कृत्य करने पर विभागीय जांच आवश्यक है. न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद विभागीय जांच में दखल से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी.

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