जोधपुर. जिले के शेरगढ़ थाना अंतर्गत भालू राजपुरा गांव में एक लोमहर्षक घटना सामने आई है जिसमें एक नवजात बालिका को उसके परिजन रेतीले धोरों में जिंदा होते हुए भी आधा दफना कर चले गए. गनीमत रही कि धोरों के आसपास बकरियां चराते हुए कुछ बच्चों ने उस बालिका का रुन्दन सुन लिया जिसके चलते उसकी जान बच गई. हालांकि समय से पहले जन्मी बालिका की स्वास्थ्य स्थिति नाजुक है फिलहाल उसका जोधपुर के उमेद अस्पताल में उपचार चल रहा है.
जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने इस संदर्भ अस्पताल के डॉक्टरों से बात कर समुचित उपचार की बात कही है. इधर शेरगढ़ थाना पुलिस ने भी इस प्रकरण में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. थाना अधिकारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि थाना क्षेत्र के भालू राजवा गांव से गुरुवार शाम को सूचना मिली थी कि धोरों में दबी एक बच्ची मिली. जिसे ग्रामीणों ने निकाल कर तुरन्त केतू कलां अस्पताल पहुंचाया था. बताया जा रहा है कि बच्ची जब मिली थी उससे कुछ घंटे पहले ही उसका जन्म हुआ था. अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद नवजात को उम्मेद अस्पताल जोधपुर भेज दिया गया जहां उसका उपचार चल रहा है.
भालू राजवा गांव के पास स्थित एक नाड़ी के पास खेत में मिट्टी के टीलों में नवजात आधी दफनाई हुई मिली थी. ऐसा लग रहा था कि उसे हाथों से गड्ढा खोदकर उसमें डाला गया था. उसके गले को छोड़कर बाकी पूरा शरीर मिट्टी में दबा हुआ मिला था. बकरियां चराते हुए बच्चों को जब उसकी रोने की आवाज सुनाई दी तो उन्होंने आसपास के लोगों को सूचना दी जिस पर कुछ महिलाएं व पुरुष मौके पर पहुंचे और नवजात को गड्ढे से निकालकर साफ किया उसके बाद अस्पताल लेकर गए.