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Gehlot Cabinet Reorganization: CM गहलोत के 'जादुई गणित' से कैबिनेट पुनर्गठन में मारवाड़ को मिल सकती है ज्यादा भागीदारी - Pilot Camp

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में राजस्थान की राजनीति में हॉट केक बने रहे मारवाड़ का गहलोत कैबिनेट (Gehlot Cabinet) के पुनर्गठन में दबदबा रह सकता है.कैबिनेट के पुनर्गठन में मारवाड़ के विधायकों को ज्यादा भागीदारी मिल सकती है. मारवाड़ अंचल से सीएम गहलोत (CM Gehlot) समेत 4 मंत्री सरकार में शामिल है.

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सीएम गहलोत
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Published : Nov 20, 2021, 1:01 PM IST

Updated : Nov 20, 2021, 2:17 PM IST

जोधपुर. गहलोत कैबिनेट का पुनर्गठन होना तय हो गया है. ऐसे में अब मारवाड़ अंचल की सरकार में भागीदारी को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. कैबिनेट में मारवाड़ से अभी सीएम गहलोत (Ashok Gehlot) के अलावा तीन मंत्री शामिल हैं. इनमें राजस्व मंत्री हरीश चौधरी एक व्यक्ति एक पद को लेकर पहले से ही कह चुके हैं कि वे एक पद चाहते हैं. ऐसे में चौधरी का पद खाली होना तय माना जा रहा है.

इसके अलावा वन मंत्री सुखराम विश्नोई की छुट्टी होना तय होना माना जा रहा है. अल्पसंख्यक मंत्री सालेह मोहम्मद के मंत्री बने रहने के आसार हैं. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) जब पहली बार 1998 में सीएम बने थे तब अकेले जोधपुर जिले से ही 3 मंत्री बने थे. इसके अलावा मारवाड़ के जिलों को प्रतिनिधित्व मिला था.माना जा रहा है कि सीएम गहलोत एक बार फिर अपनी नई टीम में जोधपुर समेत और मारवाड़ के अन्य जिलों के विधायकों को मंत्री बना सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सबसे पहले 1998 में मुख्यमंत्री चुने गए थे. इनका कार्यकाल 2003 तक चला. ऐसे में मारवाड़ अंचल से कई विधायकों के मंत्री बनने की पूरी संभावना है. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सार्वजनिक मंचों पर राजनीति संकट में साथ रहने वालों को नहीं भूलने की बात कह रहे हैं. ऐसे में सिरोही से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले संयम लोढा भी मंत्री बनने की कतार में है. विधानसभा चुनाव में मारवाड़ में जोधपुर और बाड़मेर ने ही कांग्रेस की लाज बचाई थी.

पढ़ें- Gehlot Cabinet Reshuffle: मंत्री बनने की आस लगाए विधायक नहीं छोड़ रहे जयपुर, राजस्थान से बाहर जाएंगे पायलट !

विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सबसे ज्यादा विधायक चुनाव जीतने में सफल रहे थे. ऐसे में विधायक भी मंत्री बनने की आस लगाए हैं. खास तौर से जोधपुर जिले के विधायकों को मंत्री बनने की ज्यादा उम्मीद है. माना जा रहा है कि सीएम गहलोत (CM Gehlot) अगले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अहम निर्णय ले सकते हैं. उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

जैनाराम नागौरा, राजनीतिक विश्लेषक

मारवाड़ के जातीय समीकरण साधने की कवायद

मारवाड़ हमेशा से ही राजस्थान की राजनीति में अहम स्थान रखता आया है. वह चाहे बाड़मेर और जोधपुर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला हो या फिर सीएम अशोक गहलोत, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह जैसे दिग्गजों की सक्रियता. गहलोत कैबिनेट में मारवाड़ अंचल से जाट, राजपूत, विश्नोई, अल्पसंख्यक और ओबीसी वर्ग को जगह मिलती रही है. अब मारवाड़ में जाट और विश्नोई कोटे के मंत्री बदलना तय माना जा रहा है. राजस्व मंत्री हरीश चौधरी की जगह हेमाराम चौधरी मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार हैं. हेमाराम पायलट गुट (Pilot Camp) के माने जाते हैं. नागौर या अन्य जिले से किसी जाट विधायक का मंत्री बनने में नंबर आ सकता है. ऐसी स्थिति में बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. मेवाराम अपने विधानसभा क्षेत्र से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. उनका दावा मजबूत माना जा रहा है.

वनमंत्री सुखराम विश्नोई की जगह ले सकते हैं ये विधायक

सुखराम विश्नोई को मंत्री पद से हटाने पर कांग्रेस के पास विकल्प के तौर पर जोधपुर जिले से दो विश्नोई विधायक हैं. इनमें लूणी से महेंद्र सिंह विश्नोई और लोहावट से किशनाराम विश्नोई. ऐसे में अगर सुखराम विश्नोई को हटाा जाता है तो किशनाराम विश्नोई की लॉटरी खुलने की ज्यादा संभावना है. लेकिन किशनाराम पहली बार विधायक बने हैं जबकि महेंद्र सिंह विश्नोई के चचेरे भाई को अभी कांग्रेस ने जोधपुर का उपजिला प्रमुख बनाया है.

पढ़ें- राजस्थान में तीन मंत्रियों के इस्तीफे, अब होगा कैबिनेट पुनर्गठन!

कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि सरकार बनने पर जो नियम बनाया गया था उसके अनुसार पहली बार विधायक को मंत्री नहीं बनाया जा सकता. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि अब पुनर्गठन में नियमों में शिथिलता मिल सकती है. इसी तरह से जैसलमेर से विधायक रूपाराम भी मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं.

जोधपुर के विधायकों को मिल सकता है मंत्री बनने का मौका

जोधपुर से कांग्रेस के मुख्यमंत्री सहित 7 विधायक हैं. अगर विश्नोई कोटे से कोई विधायक मंत्री बनता है तो अन्य विधायकों की उम्मीदें संसदीय सचिव बनाकर एडजस्ट किया जा सकता है. इस बार मारवाड़ से कोई राजपूत प्रतिनिधित्व नहीं है. ऐसे में शेरगढ़ विधायक मीना कंवर भी मंत्री बनने की दौड़ में शामिल है. इसके अलावा बिलाडा विधायक हीराराम मेघवाल अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार है. सीएम अशोक गहलोत का निर्णय अगले लोकसभा चुनाव को लेकर होगा. जोधपुर में शेरगढ़, लोहावट, फलौदी, लूणी और जोधपुर शहर के विधानसभा क्षेत्र आते हैं. ओसियां, भोपालगढ़ और बिलाडा पाली लोकसभा सीट के अंतगर्त आते हैं. ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा की मां लीला मदेरणा को जिला प्रमुख बनाकर एडजस्ट कर दिया है. ऐसे में दिव्या मदेरणा के मंत्री बनने की संभावना नहीं है. भोपालगढ़ से रोलोपा का विधायक है. ऐसे में जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से आने वाले विधायकों के मंत्री बनने की ज्यादा संभावना है.

जोधपुर. गहलोत कैबिनेट का पुनर्गठन होना तय हो गया है. ऐसे में अब मारवाड़ अंचल की सरकार में भागीदारी को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. कैबिनेट में मारवाड़ से अभी सीएम गहलोत (Ashok Gehlot) के अलावा तीन मंत्री शामिल हैं. इनमें राजस्व मंत्री हरीश चौधरी एक व्यक्ति एक पद को लेकर पहले से ही कह चुके हैं कि वे एक पद चाहते हैं. ऐसे में चौधरी का पद खाली होना तय माना जा रहा है.

इसके अलावा वन मंत्री सुखराम विश्नोई की छुट्टी होना तय होना माना जा रहा है. अल्पसंख्यक मंत्री सालेह मोहम्मद के मंत्री बने रहने के आसार हैं. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) जब पहली बार 1998 में सीएम बने थे तब अकेले जोधपुर जिले से ही 3 मंत्री बने थे. इसके अलावा मारवाड़ के जिलों को प्रतिनिधित्व मिला था.माना जा रहा है कि सीएम गहलोत एक बार फिर अपनी नई टीम में जोधपुर समेत और मारवाड़ के अन्य जिलों के विधायकों को मंत्री बना सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सबसे पहले 1998 में मुख्यमंत्री चुने गए थे. इनका कार्यकाल 2003 तक चला. ऐसे में मारवाड़ अंचल से कई विधायकों के मंत्री बनने की पूरी संभावना है. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सार्वजनिक मंचों पर राजनीति संकट में साथ रहने वालों को नहीं भूलने की बात कह रहे हैं. ऐसे में सिरोही से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले संयम लोढा भी मंत्री बनने की कतार में है. विधानसभा चुनाव में मारवाड़ में जोधपुर और बाड़मेर ने ही कांग्रेस की लाज बचाई थी.

पढ़ें- Gehlot Cabinet Reshuffle: मंत्री बनने की आस लगाए विधायक नहीं छोड़ रहे जयपुर, राजस्थान से बाहर जाएंगे पायलट !

विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सबसे ज्यादा विधायक चुनाव जीतने में सफल रहे थे. ऐसे में विधायक भी मंत्री बनने की आस लगाए हैं. खास तौर से जोधपुर जिले के विधायकों को मंत्री बनने की ज्यादा उम्मीद है. माना जा रहा है कि सीएम गहलोत (CM Gehlot) अगले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अहम निर्णय ले सकते हैं. उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

जैनाराम नागौरा, राजनीतिक विश्लेषक

मारवाड़ के जातीय समीकरण साधने की कवायद

मारवाड़ हमेशा से ही राजस्थान की राजनीति में अहम स्थान रखता आया है. वह चाहे बाड़मेर और जोधपुर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला हो या फिर सीएम अशोक गहलोत, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह जैसे दिग्गजों की सक्रियता. गहलोत कैबिनेट में मारवाड़ अंचल से जाट, राजपूत, विश्नोई, अल्पसंख्यक और ओबीसी वर्ग को जगह मिलती रही है. अब मारवाड़ में जाट और विश्नोई कोटे के मंत्री बदलना तय माना जा रहा है. राजस्व मंत्री हरीश चौधरी की जगह हेमाराम चौधरी मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार हैं. हेमाराम पायलट गुट (Pilot Camp) के माने जाते हैं. नागौर या अन्य जिले से किसी जाट विधायक का मंत्री बनने में नंबर आ सकता है. ऐसी स्थिति में बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. मेवाराम अपने विधानसभा क्षेत्र से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. उनका दावा मजबूत माना जा रहा है.

वनमंत्री सुखराम विश्नोई की जगह ले सकते हैं ये विधायक

सुखराम विश्नोई को मंत्री पद से हटाने पर कांग्रेस के पास विकल्प के तौर पर जोधपुर जिले से दो विश्नोई विधायक हैं. इनमें लूणी से महेंद्र सिंह विश्नोई और लोहावट से किशनाराम विश्नोई. ऐसे में अगर सुखराम विश्नोई को हटाा जाता है तो किशनाराम विश्नोई की लॉटरी खुलने की ज्यादा संभावना है. लेकिन किशनाराम पहली बार विधायक बने हैं जबकि महेंद्र सिंह विश्नोई के चचेरे भाई को अभी कांग्रेस ने जोधपुर का उपजिला प्रमुख बनाया है.

पढ़ें- राजस्थान में तीन मंत्रियों के इस्तीफे, अब होगा कैबिनेट पुनर्गठन!

कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि सरकार बनने पर जो नियम बनाया गया था उसके अनुसार पहली बार विधायक को मंत्री नहीं बनाया जा सकता. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि अब पुनर्गठन में नियमों में शिथिलता मिल सकती है. इसी तरह से जैसलमेर से विधायक रूपाराम भी मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं.

जोधपुर के विधायकों को मिल सकता है मंत्री बनने का मौका

जोधपुर से कांग्रेस के मुख्यमंत्री सहित 7 विधायक हैं. अगर विश्नोई कोटे से कोई विधायक मंत्री बनता है तो अन्य विधायकों की उम्मीदें संसदीय सचिव बनाकर एडजस्ट किया जा सकता है. इस बार मारवाड़ से कोई राजपूत प्रतिनिधित्व नहीं है. ऐसे में शेरगढ़ विधायक मीना कंवर भी मंत्री बनने की दौड़ में शामिल है. इसके अलावा बिलाडा विधायक हीराराम मेघवाल अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार है. सीएम अशोक गहलोत का निर्णय अगले लोकसभा चुनाव को लेकर होगा. जोधपुर में शेरगढ़, लोहावट, फलौदी, लूणी और जोधपुर शहर के विधानसभा क्षेत्र आते हैं. ओसियां, भोपालगढ़ और बिलाडा पाली लोकसभा सीट के अंतगर्त आते हैं. ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा की मां लीला मदेरणा को जिला प्रमुख बनाकर एडजस्ट कर दिया है. ऐसे में दिव्या मदेरणा के मंत्री बनने की संभावना नहीं है. भोपालगढ़ से रोलोपा का विधायक है. ऐसे में जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से आने वाले विधायकों के मंत्री बनने की ज्यादा संभावना है.

Last Updated : Nov 20, 2021, 2:17 PM IST
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