जोधपुर. शहर में हैंडीक्राफ्ट, स्टील के साथ-साथ कपड़ा उद्योग की भी अपनी अलग पहचान है. लंबे समय से इस उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे थे. लेकिन लॉकडाउन लगने से तो मानों ग्रहण ही लग गया है. अब फैक्ट्रियों में ताले लगने तक की नौबत आ गई है. कपड़ों के प्रोसेसिंग यूनिट पूरी तरह से बंद पड़े हैं. यहां तक की रंगाई और छपाई का काम भी रूक गया है.
वर्तमान में हैं 400 टेक्टाइल्स इंडस्ट्रीज
शहर में 400 से ज्यादा टेक्टाइल्स इंडस्ट्रीज हैं. जो पहले एनजीटी के सख्त आदेशों के चलते रेंग-रेंग कर चल रही थी. मार्च में होली के चलते मजूदर छुट्टियों पर चले गए. इसके बाद लौटे तो लॉकडाउन लग गया. इसके चलते इस उद्योग की कमर पूरी तरह से टूट गई.
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शहर के टेक्टसाइल्स इंडस्ट्रीज में हर दिन डेढ़ लाख मीटर कपड़े की प्रोसेसिंग होती थी. वह पूरी तरह से रूक गई है. मजदूरों के पलायन से जिस कपड़े की अधूरी प्रोसेसिंग हुई भी थी, वह भी खराब होने की कगार पर है. जो माल तैयार भी हो गया था. वह भी काम नहीं आ रहा है, क्योंकि सभी ऑर्डर रूक गए हैं.
हर महीने 50-60 करोड़ का नुकसान
कपड़ा उद्योग से जुड़े वरुण धनाडिया ने बताते हैं कि 50-60 करोड़ रुपए तक का नुकसान लॉकडाउन में हर महीने उद्योगपतियों को हो रहा है. इसके अलावा जो माल खराब हो रहा है, वह अलग. धनाडिया के मुताबिक आने वाले लंबे समय तक मजदूर नहीं आएंगे. ऐसे में तीन माह तक यह फैक्ट्रियों का संचालन नहीं हो सकेगा.
मार्च से मई तक होता है पीक सीजन
टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज में करीब 25 हजार मजदूर काम करते थे. जो अब यहां से निकल चुके हैं. परेशानी वाली बात यह भी है कि ज्यादातर मजदूर बाहर के हैं ऐसे में लंबे समय तक वह नहीं आएंगे. तो इन इकाइयों का चलना संभव नहीं है. जोधपुर में टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज में कपड़े की प्रोसेसिंग का सालाना टर्नओवर करीब 600 करोड़ रुपए का है. मार्च, अप्रेल और मई इन 3 महीनों में सर्वाधिक कपड़ा प्रोसेस होता है. क्योंकि इसके बाद बारिश की सीजन आने से काम रुक जाता है और उसके आगे ठंड में भी काम कम होता है. लेकिन इस बार जनवरी से लेकर अभी तक काम बाधित हो रखा है.
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पहले का भुगतान भी नहीं मिल रहा
लॉकडाउन पूरे देश में लागू है. ऐसे में मिलें जहां कपड़ा बनता है, वहां से प्रोसेसिंग के लिए भी कपड़ा नहीं आ पा रहा है. जब तक दिल्ली, पंजाब, गुजरात सहित अन्य पड़ोसी राज्यों में कपड़ा मिलें शुरू नहीं हो जाती. तब तक जोधपुर में टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज का शुरू होना संभव नहीं है. इतना ही नही 20 मार्च तक जो कपड़ा तैयार होकर भेजा गया था. उसका भुगतान भी लंबित हो गया है.
जोधपुर टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बाहेती बताते हैं कि एक तरफ सरकार कहती है कि उद्योग शुरू करो. दूसरी तरफ मजदूरों का पलायन रहा है. ऐसे में उद्योग धंधे चलना आसान नहीं है. हमारी मांग है सरकार से की वह हमारे लिए पैकेज घोषित करें. जिससे इस उद्योग को बचाया जा सके.