जोधपुर. जस्टिस संगीत लोढ़ा और विनीत माथुर की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजवेंद्र सारस्वत ने अपना पक्ष रखा. सारस्वत ने खंडपीठ को बताया कि पिछले डेढ़ सालों में राज्य सरकार की ओर से उद्यान की हालात को सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं.
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट खंडपीठ ने जिला कलेक्टर और जेडीए आयुक्त को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि शहर के तीन-चार मुख्य गार्डन हैं. यदि इन गार्डेनों का रख-रखाव नहीं किया जा सकता है तो जेडीए, नगर निगम सहित अन्य एजेंसियों की क्या आवश्यकता है. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि एक तरफ फंड नहीं मिलने की बात कही जा रही है. वहीं दूसरी तरफ सभी ब्यूरोक्रेट्स पॉलीटिशियन के निवास पर बने गार्डन मेंटेन हो रहे हैं. लेकिन पब्लिक गार्डन को मेंटेन करने के लिए फंड नहीं है.
पिछले तीन सालों से शहर गार्डन सुप्रिडेंट का पद रिक्त होने पर भी कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित से पूछा कि डेढ़ साल पहले यह पीआईएल दर्ज हुई थी. पीआईएल दर्ज होने के बाद अब तक किस तरह से मंडोर उद्यान की हालात को सुधारने के लिए प्रयास किए गए. इसकी विस्तृत रिपोर्ट दी जाए, जिस पर जिला कलेक्टर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए. कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर की.
कोर्ट में मौखिक टिप्पणी करते हुए जेडीए की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि जेडीए का काम चौराहे को तोड़ना और वापस बनाने का ही रह गया है. जनता की कमाई का पैसा इस तरह से खर्च किया जाना कहां तक उचित है. हाईकोर्ट खंडपीठ ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को प्राथमिकता तय करने की बात कही. हाईकोर्ट खंडपीठ 20 जुलाई को इस याचिका पर विस्तृत निर्देश जारी करेगा. हाइकोर्ट खंडपीठ ने कहा कि यदि यही हालात रहे तो मुख्य सचिव को कोर्ट में तलब किया जाएगा. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता करण सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा.