जोधपुर. देश में जहां एक तरफ महामारी ने अपने पैर पसार रखा है तो दूसरी तरफ लोगों के व्यापारों पर भी इस महामारी की चोट साफ दिखाई दे रही है. वहीं, शुभ कामों पर, शादी समारोह में लोग राजस्थानी साफे को काफी पसंद करते हैं, लेकिन कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन में ना ही शादी हो रही है और ना ही साफे का व्यापार. जिसके कारण साफा व्यापारियों पर भी संकट छाया हुआ है.
कोरोना संकट के चलते इस बार मारवाड़ में अक्षय तृतीया सहित अन्य महत्वपूर्ण विवाह के मुहूर्त पर इक्का दुक्का ही विवाह हुए. जिसके चलते कई कारोबार प्रभावित हुए. इनमें से एक है साफा यानी पगड़ी का कारोबार. साफा मारवाड़ की आन बान शान का प्रतीक है. इसे लगभग हर उत्सव समारोह में पहना जाता है. शादी-विवाह में इसकी रौनक अलग होती है. आज कल जो चलन बना है उसमें एक विवाह में 200 से 300 लोगों के लिए साफे बंधवाए जाते हैं. वर और वधु दोनों पक्षों में ही इसका चलन बढ़ गया है.
ऐसे में जोधपुर सहित पूरे मारवाड़ में साफा बांधने वाले और साफे की बिक्री का कारोबार लगातार बढ़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक इस कारोबार से अकेले जोधपुर में 1 हजार से अधिक लोग जुड़े हैं. जोधपुर में ही करीब प्रतिवर्ष 5 करोड़ का कारोबार होता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार इसके निर्माताओं और विक्रेताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
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हालांकि, अब 1 जून के बाद में दुकानें खुलने लगी हैं. वहीं, जून के अंतिम सप्ताह में भी शादी विवाह का बड़ा मुहूर्त है. ऐसे में विक्रेता और निर्माताओं ने साफे के साथ उसकी मैचिंग का मास्क भी लॉन्च किया है. उनका मानना है कि इससे आने वाले दिनों में होने वाले विवाह समारोह में भी साफे की डिमांड बनी रहेगी और आज का युवा साफा पसंद करता है. लेकिन अब नई जीवनशैली में मास्क अनिवार्य हो गया है तो हमने साफे की मैचिंग का मास्क भी उसके साथ देना शुरू कर दिया है और वह काफी खूबसूरत नजर आ रहा है. या यूं कहें कि साफे की नई स्टाइल बाजार में आ गई है.
नई स्टाइल के बावजूद साफा विक्रेताओं का कहना है कि सरकार ने 50 लोगों की सीमा विवाह समारोह में तय कर रखी है. इससे हमारा काम प्रभावित जरूर होगा, लेकिन हमें उम्मीद है कि धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो जाएगा.
गौरतलब है कि साल 2016 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जोधपुर का फेमस गजशाही साफा (जोधपुरी साफा) पहना था. बता दें कि गजशाही साफा जोधपुर की शान कहा जाता है. ये साफा लाल, गुलाबी, पीले और सफेद रंग की पट्टियों से मिलकर बनाया जाता है. वहीं, 15 अगस्त 2019 के मौके पर जब देश के प्रधानमंत्री ने जोधपुर का फेमस गजशाही साफा पहना था तो राजस्थानी गर्व का अनुभव कर रहे थे.