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सोशल मीडिया को लेकर सरकार की ओर से जारी सर्कुलर फॉलो नहीं करने पर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी - जोधपुर हाई कोर्ट न्यूज

न्यायिक अधिकारियों, हाईकोर्ट, अधीनस्थ अदालतों, ट्रिब्यूनल्स व स्पेशल कोर्ट्स के स्टाफ को प्रशासन की ओर से सोशल मीडिया के प्रयोग को लेकर जारी सर्कुलर का ईमानदारी  के साथ अनुसरण नहीं करने पर राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल निर्मल सिंह मेडतवाल ने सोमवार को एक स्टेंडिंग ऑर्डर जारी करते हुए नाराजगी जताई है.

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सोशल मीडिया के उपयोग के संबंध में उच्च न्यायालय का स्थायी आदेश
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Published : Jun 15, 2020, 10:34 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल निर्मल सिंह मेडतवाल ने सोमवार को एक स्टैंडिंग ऑर्डर जारी करते हुए न्यायिक अधिकारियों, हाईकोर्ट, अधीनस्थ अदालतों, ट्रिब्यूनल्स व स्पेशल कोर्ट्स के स्टाफ को प्रशासन की ओर से सोशल मीडिया के प्रयोग को लेकर जारी सर्कुलर का ईमानदारी के साथ अनुसरण नहीं करने पर नाराजगी जताई है.

सोशल मीडिया के उपयोग के संबंध में उच्च न्यायालय का स्थायी आदेश

आदेश में न्यायिक अधिकारियों व कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि वे इंटरनेट और सोशल मीडिया का जिम्मेदारी के साथ प्रयोग करें. सरकारी नीतियों और हाईकोर्ट प्रशासन के खिलाफ डाली गई पोस्ट को फॉरवर्ड करने, लाइक या डिस्लाइक करने अथवा कमेंट्स करने से परहेज करें. अन्यथा नियमानुसार उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें- पति और पत्नी के आपसी झगड़े ने ले ली बेटी की जान...आरोपी पिता गिरफ्तार

आदेश में कहा गया है कि ऐसा देखा गया है कि न्यायिक अधिकारीगण व कोर्ट स्टाफ कार्यालय समय के दौरान सोशल मीडिया का प्रयोग करते रहते हैं. इससे ना केवल कार्य प्रभावित होता है, बल्कि संपूर्ण सिस्टम के गौरव व प्रतिष्ठा का ह्रास होता है. यह भी देखा गया है कि न्यायिक अधिकारी व कोर्ट स्टाफ ऐसी पोस्ट को फॉरवर्ड, लाइक, डिस्लाइक व कमेंट आदि करते हैं, जो न केवल लज्जाजनक, अपमानजनक, बल्कि संवेदनात्मक भी होती है.

वे सोशल मीडिया पर ऐसे मामलों में अपनी रॉय भी प्रकट करते हैं, जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं होता. ऐसे में सरकार की पॉलिसी व हाईकोर्ट प्रशासन पर भी टिप्पणियां की जाती हैं. यहां तक कि अनाधिकृत तरीके से ऑफिशियल कम्युनिकेशन्स भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फॉरवर्ड कर दिए जाते हैं, जो कि नियम विरुद्ध हैं. ऐसा किए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

पत्नी की क्रियाकर्म के लिए जमानत पर रिहा करने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार को जस्टिस कुमारी प्रभा शर्मा के अवकाशकालीन कोर्ट में एक अंतरिम जमानत के मामले में उस समय माहौल भावनापूर्ण हो गया, जब याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि उसकी पत्नी के इलाज के मद्देनजर अंतरिम जमानत दिए जाने की गुहार लगाई गई थी. लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी पत्नी का सोमवार को तड़के 2 बजे निधन हो गया.

याचिकाकर्ता प्रतापगढ़ जेल में बंद गुलाब चंद पुत्र धनराज की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता रमेश पुरोहित ने बताया कि यह अंतरिम जमानत आवेदन याची की पत्नी के इलाज के लिए मई माह के अंतिम सप्ताह में पेश किया गया था, लेकिन अब उसकी पत्नी का निधन हो गया है. अतः याचिकाकर्ता को उसका अंतिम संस्कार करने के लिए एक माह की अंतरिम जमानत प्रदान करने के आदेश करावें.

पढ़ें- 14 साल से जंजीरों में जकड़ी 'जिंदगी', सरकार से मदद की गुहार

याचिकाकर्ता के इस कथन की पुष्टि लोक अभियोजक लक्ष्मण सिंह सोलंकी ने भी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी का डेथ सर्टिफिकेट और तथ्यात्मक रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया जाए. इस पर वेकेशन कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उसकी पत्नी के अंतिम संस्कार व क्रियाकर्म आदि निपटाने के लिए एक माह की अंतरिम जमानत स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि अनुसार 1 लाख के बेलबॉड और 50-50 हजार के दो मुचलके पेश करने पर एक माह के लिए जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए.

जानलेवा हमले के आरोपी की जमानत खारिज

जिला एवं सेशन न्यायाधीश जोधपुर महानगर नर सिंह दास व्यास ने जानलेवा हमले के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है. प्रार्थी हरीश चन्द्र सिंह की ओर से अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत आवेदन पेश करते हुए बताया कि परिवादी हिमांशु सिंह ने 29 नवम्बर 2019 को रातानाडा थाने में रिपोर्ट दी थी. जिसमें बताया था कि हरीश चंद्र ने होटल इण्डाना पैलेसे में शादी समारोह के दौरान परिवादी पर तलवार से जानलेवा हमला कर घायल कर दिया.

पढ़ें- जोधपुर: 10वीं के पुराने और 12वीं के नए प्रश्नपत्रों से होगी परीक्षा

जबकि दोनों पक्षों की ओर से इसमें क्रॉस केस दर्ज करवाया गया है. प्रार्थी के खिलाफ धारा 307 का अपराध नहीं बनता है, लेकिन पुलिस ने धारा जोड़ दी है. वहीं ऐसी चोटें भी नहीं हैं, इसके अलावा धारा 323 व 324 का मामला है, जो जमानतीय अपराध है. ऐसे में अग्रिम जमानत मंजूर की जाए. इस पर लोक अभियोजक केशर सिंह नरूका व परिवादी के अधिवक्ता सुनील पटेल ने अग्रिम जमानत आवेदन का विरोध करते हुए अधिवक्ता के तर्कों का खंडन भी किया. सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल निर्मल सिंह मेडतवाल ने सोमवार को एक स्टैंडिंग ऑर्डर जारी करते हुए न्यायिक अधिकारियों, हाईकोर्ट, अधीनस्थ अदालतों, ट्रिब्यूनल्स व स्पेशल कोर्ट्स के स्टाफ को प्रशासन की ओर से सोशल मीडिया के प्रयोग को लेकर जारी सर्कुलर का ईमानदारी के साथ अनुसरण नहीं करने पर नाराजगी जताई है.

सोशल मीडिया के उपयोग के संबंध में उच्च न्यायालय का स्थायी आदेश

आदेश में न्यायिक अधिकारियों व कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि वे इंटरनेट और सोशल मीडिया का जिम्मेदारी के साथ प्रयोग करें. सरकारी नीतियों और हाईकोर्ट प्रशासन के खिलाफ डाली गई पोस्ट को फॉरवर्ड करने, लाइक या डिस्लाइक करने अथवा कमेंट्स करने से परहेज करें. अन्यथा नियमानुसार उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें- पति और पत्नी के आपसी झगड़े ने ले ली बेटी की जान...आरोपी पिता गिरफ्तार

आदेश में कहा गया है कि ऐसा देखा गया है कि न्यायिक अधिकारीगण व कोर्ट स्टाफ कार्यालय समय के दौरान सोशल मीडिया का प्रयोग करते रहते हैं. इससे ना केवल कार्य प्रभावित होता है, बल्कि संपूर्ण सिस्टम के गौरव व प्रतिष्ठा का ह्रास होता है. यह भी देखा गया है कि न्यायिक अधिकारी व कोर्ट स्टाफ ऐसी पोस्ट को फॉरवर्ड, लाइक, डिस्लाइक व कमेंट आदि करते हैं, जो न केवल लज्जाजनक, अपमानजनक, बल्कि संवेदनात्मक भी होती है.

वे सोशल मीडिया पर ऐसे मामलों में अपनी रॉय भी प्रकट करते हैं, जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं होता. ऐसे में सरकार की पॉलिसी व हाईकोर्ट प्रशासन पर भी टिप्पणियां की जाती हैं. यहां तक कि अनाधिकृत तरीके से ऑफिशियल कम्युनिकेशन्स भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फॉरवर्ड कर दिए जाते हैं, जो कि नियम विरुद्ध हैं. ऐसा किए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

पत्नी की क्रियाकर्म के लिए जमानत पर रिहा करने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार को जस्टिस कुमारी प्रभा शर्मा के अवकाशकालीन कोर्ट में एक अंतरिम जमानत के मामले में उस समय माहौल भावनापूर्ण हो गया, जब याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि उसकी पत्नी के इलाज के मद्देनजर अंतरिम जमानत दिए जाने की गुहार लगाई गई थी. लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी पत्नी का सोमवार को तड़के 2 बजे निधन हो गया.

याचिकाकर्ता प्रतापगढ़ जेल में बंद गुलाब चंद पुत्र धनराज की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता रमेश पुरोहित ने बताया कि यह अंतरिम जमानत आवेदन याची की पत्नी के इलाज के लिए मई माह के अंतिम सप्ताह में पेश किया गया था, लेकिन अब उसकी पत्नी का निधन हो गया है. अतः याचिकाकर्ता को उसका अंतिम संस्कार करने के लिए एक माह की अंतरिम जमानत प्रदान करने के आदेश करावें.

पढ़ें- 14 साल से जंजीरों में जकड़ी 'जिंदगी', सरकार से मदद की गुहार

याचिकाकर्ता के इस कथन की पुष्टि लोक अभियोजक लक्ष्मण सिंह सोलंकी ने भी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी का डेथ सर्टिफिकेट और तथ्यात्मक रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया जाए. इस पर वेकेशन कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उसकी पत्नी के अंतिम संस्कार व क्रियाकर्म आदि निपटाने के लिए एक माह की अंतरिम जमानत स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि अनुसार 1 लाख के बेलबॉड और 50-50 हजार के दो मुचलके पेश करने पर एक माह के लिए जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए.

जानलेवा हमले के आरोपी की जमानत खारिज

जिला एवं सेशन न्यायाधीश जोधपुर महानगर नर सिंह दास व्यास ने जानलेवा हमले के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है. प्रार्थी हरीश चन्द्र सिंह की ओर से अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत आवेदन पेश करते हुए बताया कि परिवादी हिमांशु सिंह ने 29 नवम्बर 2019 को रातानाडा थाने में रिपोर्ट दी थी. जिसमें बताया था कि हरीश चंद्र ने होटल इण्डाना पैलेसे में शादी समारोह के दौरान परिवादी पर तलवार से जानलेवा हमला कर घायल कर दिया.

पढ़ें- जोधपुर: 10वीं के पुराने और 12वीं के नए प्रश्नपत्रों से होगी परीक्षा

जबकि दोनों पक्षों की ओर से इसमें क्रॉस केस दर्ज करवाया गया है. प्रार्थी के खिलाफ धारा 307 का अपराध नहीं बनता है, लेकिन पुलिस ने धारा जोड़ दी है. वहीं ऐसी चोटें भी नहीं हैं, इसके अलावा धारा 323 व 324 का मामला है, जो जमानतीय अपराध है. ऐसे में अग्रिम जमानत मंजूर की जाए. इस पर लोक अभियोजक केशर सिंह नरूका व परिवादी के अधिवक्ता सुनील पटेल ने अग्रिम जमानत आवेदन का विरोध करते हुए अधिवक्ता के तर्कों का खंडन भी किया. सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है.

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