जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के सचिव, आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा विभाग के संयुक्त सचिव और आयुर्वेद विभाग के निदेशक को नोटिस जारी किया है.
याचिका के माध्यम से बताया गया कि कोविड-19 के संकट में जहां सरकार चिकित्सकों की रिटायरमेंट की अवधि को बढ़ा रही है और रिटायर्ड चिकित्सकों की सेवा ले रही है. वहीं, पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में आयुर्वेद चिकित्सक विभिन्न पंचायत समितियों में विकास अधिकारियों के पदों पर प्रतिनियुक्ति पर सेवाएं दे रहे हैं.
पढ़ें- Corona काल में पाक विस्थापितों को आई समस्याओं पर राजस्थान हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
याचिकाकर्ता घेवर चंद और अन्य की ओर से अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने जनहित याचिका दायर कर कोर्ट को बताया, कि भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण की महामारी से जूझ रही है. बड़ी संख्या में लोग इससे पीड़ित है. इस महामारी से निपटने के लिए चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की भी कमी है. महामारी पर नियंत्रण के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी गत 28 मार्च 2020 को प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए थे, कि अर्जेंट टेम्परेररी बेसिस पर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को नियुक्त करें. मेडिकल स्टाफ, जो रिटायमेंट होने वाले थे, उनकी सेवाएं भी 6 महीने के लिए बढ़ाई गई.
पढ़ें- हाईकोर्ट: हनुमानगढ़ जिला फुटबॉल एसोसिएशन के चुनाव पर रोक लगाने से इनकार
अधिवक्ता पालीवाल ने कहा, कि ऐसे हालात में भी कई आयुर्वेद चिकित्सक है, जो प्रतिनियुक्ति पर पंचायत समितियों में विकास अधिकारियों के पद पर सेवाएं दे रहे हैं. यह अनुचित है. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया, प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत ऐसे आयुर्वेद चिकित्सकों को उनके मूल विभाग पर वापस भेजने के संबंध में आदेश दिया जाए. कोर्ट ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. वहीं मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को मुकर्रर की है.