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CM गहलोत का महिमामंडन करते-करते क्या बोल गए नेताजी! बेटे वैभव की मौजूदगी में दिया आपत्तिजनक बयान

CM अशोक गहलोत की तारीफ में नेताजी इतना आगे बढ़ गए कि भरी सभा में जुबान की मर्यादा लांघ गए. जिला परिषद सदस्य प्रत्याशी मुन्नी गोदारा की कैम्पेनिंग के दौरान उन्होंने ऐसा कुछ कह दिया जो चर्चा का विषय बन गया.

controversial remark on CM Gehlot
CM गहलोत पर ये कैसा बयान?
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Published : Aug 31, 2021, 7:43 AM IST

Updated : Aug 31, 2021, 8:15 AM IST

जोधपुर: प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सब कुछ लेकर भाग गए हैं अब उनके पास कुछ नहीं बचा है. यह बात कोई और नहीं बल्कि जोधपुर जिले में अशोक गहलोत समर्थक जिला युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व जिला परिषद सदस्य कांशी राम विश्नोई ने सोमवार को कही.

CM गहलोत का महिमामंडन करते-करते क्या बोल गए नेताजी

कांग्रेस राज में पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे लोग, बिजली कटौती से मचा हाहाकार : हमीर सिंह भायल

उन्होंने ये बात पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ की पुत्री एवं कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य प्रत्याशी मुन्नी गोदारा के लिए खेजड़ला में आयोजित चुनावी सभा में कही. कांशीराम ने कहा कि मैंने इसी खेजड़ला गांव में राजेंद्र चौधरी के साथ मंच पर कई भाषण दिए हैं हमने उन्हें जिताया. अशोक जी के हाथ मजबूत करने के लिए लेकिन वो गड़बड़ हो गए अशोक जी का वह सब लेकर भाग गए.

दरअसल काशी राम विश्नोई ने यह पीड़ा इसलिए जाहिर की क्योंकि राजेंद्र चौधरी कभी अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में कैबिनेट में शामिल हुआ करते थे, लेकिन आपसी विवाद के चलते वह गहलोत विरोधी गुट में चले गए. गहलोत की खिलाफत भी की. खेजड़ला की सभा में मुख्यमंत्री के पुत्र और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत भी मौजूद थे.

'गहलोत से बैर पड़ा महंगा'

मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए विश्नोई बोले- मारवाड़ में राजेंद्र चौधरी गहलोत विरोधी जाट नेता के रूप में जाने जाने लगे. इसकी उन्हें कीमत भी चुकानी पड़ी क्योंकि अशोक गहलोत से बैर रखकर कोई मारवाड़ की राजनीति में आगे नहीं बढ़ सकता. यही कारण है कि बीते 17 सालों से वह मुख्यधारा की राजनीति में नहीं आ पाए हैं.

सचिन पायलट पर भी दिया विरोधी बयान

सार्वजनिक मंच से विश्नोई ने ऐसा बयान दिया जो जताता है कि कांग्रेस जबरदस्त तरीके से खेमों में बंटी हुई है. उन्होंने बताया कि कैसे सचिन पायलट ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के साथ ही गहलोत विरोधियों को अहमियत दी. उन्होंने पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी का नाम ले कहा- अध्यक्ष बनने के साथ ही पायलट ने उन्हें अपनी कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष बनाया और वर्तमान में भी वह डोटासरा की कार्यकारिणी में पायलट समर्थक खेमे से ही उपाध्यक्ष हैं.

चौधरी कभी गहलोत के थे खास

अशोक गहलोत पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे तब बिलाड़ा विधानसभा सीट से राजेंद्र चौधरी कांग्रेस के एमएलए (MLA) बने. तब गहलोत ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिलाया. उन्हें महत्वपूर्ण विभाग भी दिए. लेकिन गहलोत सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही दोनों के बीच विवाद पनपा. जिसके बाद चौधरी का पोर्टफोलियो बदल कर उन्हें श्रममंत्री बना दिया गया. 2003 में भी राजेंद्र चौधरी को कांग्रेस ने टिकट दिया लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.

इसके बाद 2008 के चुनाव में बिलाड़ा विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया. 2003 के बाद कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी नही बनाया.

मारवाड़ में उदाहरण है चौधरी

कांग्रेस का एक धड़ा यह मानता है कि अशोक गहलोत जाट विरोधी हैं. यही कारण है कि राजेंद्र चौधरी भी विरोधी खेमे के माने जाते रहे हैं. नौबत एक बार यहां तक पहुंची की अशोक गहलोत के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन भी किया गया. पहले गहलोत सरकार के बाद भी चौधरी 2003 से बिलाड़ा से टिकट तो लेकर आ गए लेकिन उस समय ही यह साफ हो गया था कि वह चुनाव नहीं जीत पाएंगे, उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. क्योंकि मारवाड़ की राजनीति में यह माना जाता है कि गहलोत का काटा कभी दोबारा आगे नही बढ़ता.

चौधरी ने उसके बाद लूणी विधानसभा से टिकट प्राप्त करने का भरसक प्रयास किया लेकिन सफल नही हुए. अब उनकी पहुंच सिर्फ संगठन तक है जिसमे में गहलोत विरोधी माना जाता है.

जोधपुर: प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सब कुछ लेकर भाग गए हैं अब उनके पास कुछ नहीं बचा है. यह बात कोई और नहीं बल्कि जोधपुर जिले में अशोक गहलोत समर्थक जिला युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व जिला परिषद सदस्य कांशी राम विश्नोई ने सोमवार को कही.

CM गहलोत का महिमामंडन करते-करते क्या बोल गए नेताजी

कांग्रेस राज में पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे लोग, बिजली कटौती से मचा हाहाकार : हमीर सिंह भायल

उन्होंने ये बात पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ की पुत्री एवं कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य प्रत्याशी मुन्नी गोदारा के लिए खेजड़ला में आयोजित चुनावी सभा में कही. कांशीराम ने कहा कि मैंने इसी खेजड़ला गांव में राजेंद्र चौधरी के साथ मंच पर कई भाषण दिए हैं हमने उन्हें जिताया. अशोक जी के हाथ मजबूत करने के लिए लेकिन वो गड़बड़ हो गए अशोक जी का वह सब लेकर भाग गए.

दरअसल काशी राम विश्नोई ने यह पीड़ा इसलिए जाहिर की क्योंकि राजेंद्र चौधरी कभी अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में कैबिनेट में शामिल हुआ करते थे, लेकिन आपसी विवाद के चलते वह गहलोत विरोधी गुट में चले गए. गहलोत की खिलाफत भी की. खेजड़ला की सभा में मुख्यमंत्री के पुत्र और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत भी मौजूद थे.

'गहलोत से बैर पड़ा महंगा'

मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए विश्नोई बोले- मारवाड़ में राजेंद्र चौधरी गहलोत विरोधी जाट नेता के रूप में जाने जाने लगे. इसकी उन्हें कीमत भी चुकानी पड़ी क्योंकि अशोक गहलोत से बैर रखकर कोई मारवाड़ की राजनीति में आगे नहीं बढ़ सकता. यही कारण है कि बीते 17 सालों से वह मुख्यधारा की राजनीति में नहीं आ पाए हैं.

सचिन पायलट पर भी दिया विरोधी बयान

सार्वजनिक मंच से विश्नोई ने ऐसा बयान दिया जो जताता है कि कांग्रेस जबरदस्त तरीके से खेमों में बंटी हुई है. उन्होंने बताया कि कैसे सचिन पायलट ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के साथ ही गहलोत विरोधियों को अहमियत दी. उन्होंने पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी का नाम ले कहा- अध्यक्ष बनने के साथ ही पायलट ने उन्हें अपनी कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष बनाया और वर्तमान में भी वह डोटासरा की कार्यकारिणी में पायलट समर्थक खेमे से ही उपाध्यक्ष हैं.

चौधरी कभी गहलोत के थे खास

अशोक गहलोत पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे तब बिलाड़ा विधानसभा सीट से राजेंद्र चौधरी कांग्रेस के एमएलए (MLA) बने. तब गहलोत ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिलाया. उन्हें महत्वपूर्ण विभाग भी दिए. लेकिन गहलोत सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही दोनों के बीच विवाद पनपा. जिसके बाद चौधरी का पोर्टफोलियो बदल कर उन्हें श्रममंत्री बना दिया गया. 2003 में भी राजेंद्र चौधरी को कांग्रेस ने टिकट दिया लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.

इसके बाद 2008 के चुनाव में बिलाड़ा विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया. 2003 के बाद कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी नही बनाया.

मारवाड़ में उदाहरण है चौधरी

कांग्रेस का एक धड़ा यह मानता है कि अशोक गहलोत जाट विरोधी हैं. यही कारण है कि राजेंद्र चौधरी भी विरोधी खेमे के माने जाते रहे हैं. नौबत एक बार यहां तक पहुंची की अशोक गहलोत के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन भी किया गया. पहले गहलोत सरकार के बाद भी चौधरी 2003 से बिलाड़ा से टिकट तो लेकर आ गए लेकिन उस समय ही यह साफ हो गया था कि वह चुनाव नहीं जीत पाएंगे, उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. क्योंकि मारवाड़ की राजनीति में यह माना जाता है कि गहलोत का काटा कभी दोबारा आगे नही बढ़ता.

चौधरी ने उसके बाद लूणी विधानसभा से टिकट प्राप्त करने का भरसक प्रयास किया लेकिन सफल नही हुए. अब उनकी पहुंच सिर्फ संगठन तक है जिसमे में गहलोत विरोधी माना जाता है.

Last Updated : Aug 31, 2021, 8:15 AM IST
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