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जिला परिषद पर कब्जे की जंग, कांग्रेस का परिसीमन बिगड़ सकता है भाजपा का गणित - mathematics of delimitation

जिला परिषद की सीट कब्जा करने को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दावा ठोक रही है, लेकिन हालात ये हैं कि कांग्रेस की ओर से किया गया परिसीमन भाजपा का गणित बिगाड़ सकता है.

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जिला परिषद पर कब्जे की जंग
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Published : Sep 2, 2021, 3:26 PM IST

जोधपुर. जिले में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है. शनिवार को मतगणना होनी है. अभी तक भाजपा व कांग्रेस दोनों ही जिला परिषद पर काबिज होने का दावा कर रही हैं, तो वहीं रोलोपा दोनों का गणित बिगाड़ने की बात कह रही है. हालांकि जिले के राजनीति​क हालात देखें तो इस बार भाजपा के लिए जिला परिषद पर कब्जा बरकरार रखना आसान नहीं है. कांग्रेस सरकार की ओर से जिले में पंचायत चुनाव को लेकर किया गया परिसीमन भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.

ऐसा इसलिए क्योंकि 21 पंचायत समितियों में कांग्रेस को सीधा फायदा होगा. इसके अलावा पंचायत चुनावों में मौजूदा सरकार के प्रति ग्रामीणों का झुकाव भी भाजपा के लिए नुकसान दायक होगा. गत जिला परिषद के चुनावों में जिले में भाजपा के 8 विधायक थे, जिसके चलते लोगों का रूझान भाजपा के पक्ष में था और पूनाराम चौधरी जिला प्रमुख बने. वे खुद इस बार आरएएस भर्ती में रिश्वत के मामले को लेकर आरोपों के घेरे में होने से चुनाव में सक्रिय नहीं रहे.

पढ़ें: पंचायत चुनाव 2021 : तीसरे और अंतिम चरण में हुआ 64.96 प्रतिशत मतदान, 4 सितंबर को होगी मतगणना

इसके अलावा इस बार भाजपा के सिर्फ दो विधायक हैं. इनमें भी एक सूरसागर से जो कि शहरी क्षेत्र में हैं. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में पार्टी को आगे रखने जनप्रतिनिधियों की कमी भी भाजपा के लिए नुकसानदायक होगी जो पूर्व विधायक थे. उनके और संगठन के बीच खींचतान ने भी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया. दूसरी और कांग्रेस सत्ता में है और मुख्यमंत्री सहित 7 विधायक इनके पास हैं जिसका फायदा भी मिलेगा.

पढ़ें: पंचायत चुनाव का तीसरा चरण, कई दिग्गज प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर...यहां समझिए पूरा गणित

परिसिमन बिगाड़ेगा भाजपा का खेल

कांग्रेस सरकार ने जिले में इस बार जो परिसिमन किया है वह पूरी तरह से सत्ताधारी पार्टी की गणित बनाने वाला है. भाजपा के असर वाली शेरगढ़, लोहावट फलोदी व लूणी विधानसभा में एक पंचायत समिति को दो से तीन में बांट दिया. वार्डों का पुनर्गठन भी कांग्रेस को फायदा पहुंचाने वाला है. भाजपा के नेता इसको लेकर आरोप भी लगा चुके हैं. कांग्रेस को भरोसा है कि वह 21 पंचायत समितियों में भी भाजपा पर बाजी मारेगी और ​प्रमुख पद भी उनकी प्रत्याशी बैठेगी.

कांग्रेस में गुटबाजी हावी

जिले में पंचायत चुनाव में कांग्रेस की विजय के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस में भी जिला प्रमुख पद को लेकर घमासान मचा हुआ है. पाली के पूर्व सांसद ब्रदीराम जाखड़ की पुत्री मुन्नी गोदारा जो पूर्व में कुछ समय के लिए जिला प्रमुख रह चुकी हैं, उन्हें इस बार प्रमुख बनाने के लिए तैयारी की जा रही है तो दूसरी और पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की पत्नी और विधायक दिव्या मदेरणा की मां लीला मदेरणा जो तीस सालों से जिला परिषद की सदस्य है, वह भी प्रमुख पद की दावेदार हैं. इसके अलावा कांग्रेस नेता डॉ. राजूराम चौधरी की पत्नी भी दावेदार हैं, जबकि निर्विरोध निर्वाचित हुई नेहा चौधरी भी इस दौड़ में शामिल हैं.

जोधपुर. जिले में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है. शनिवार को मतगणना होनी है. अभी तक भाजपा व कांग्रेस दोनों ही जिला परिषद पर काबिज होने का दावा कर रही हैं, तो वहीं रोलोपा दोनों का गणित बिगाड़ने की बात कह रही है. हालांकि जिले के राजनीति​क हालात देखें तो इस बार भाजपा के लिए जिला परिषद पर कब्जा बरकरार रखना आसान नहीं है. कांग्रेस सरकार की ओर से जिले में पंचायत चुनाव को लेकर किया गया परिसीमन भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.

ऐसा इसलिए क्योंकि 21 पंचायत समितियों में कांग्रेस को सीधा फायदा होगा. इसके अलावा पंचायत चुनावों में मौजूदा सरकार के प्रति ग्रामीणों का झुकाव भी भाजपा के लिए नुकसान दायक होगा. गत जिला परिषद के चुनावों में जिले में भाजपा के 8 विधायक थे, जिसके चलते लोगों का रूझान भाजपा के पक्ष में था और पूनाराम चौधरी जिला प्रमुख बने. वे खुद इस बार आरएएस भर्ती में रिश्वत के मामले को लेकर आरोपों के घेरे में होने से चुनाव में सक्रिय नहीं रहे.

पढ़ें: पंचायत चुनाव 2021 : तीसरे और अंतिम चरण में हुआ 64.96 प्रतिशत मतदान, 4 सितंबर को होगी मतगणना

इसके अलावा इस बार भाजपा के सिर्फ दो विधायक हैं. इनमें भी एक सूरसागर से जो कि शहरी क्षेत्र में हैं. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में पार्टी को आगे रखने जनप्रतिनिधियों की कमी भी भाजपा के लिए नुकसानदायक होगी जो पूर्व विधायक थे. उनके और संगठन के बीच खींचतान ने भी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया. दूसरी और कांग्रेस सत्ता में है और मुख्यमंत्री सहित 7 विधायक इनके पास हैं जिसका फायदा भी मिलेगा.

पढ़ें: पंचायत चुनाव का तीसरा चरण, कई दिग्गज प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर...यहां समझिए पूरा गणित

परिसिमन बिगाड़ेगा भाजपा का खेल

कांग्रेस सरकार ने जिले में इस बार जो परिसिमन किया है वह पूरी तरह से सत्ताधारी पार्टी की गणित बनाने वाला है. भाजपा के असर वाली शेरगढ़, लोहावट फलोदी व लूणी विधानसभा में एक पंचायत समिति को दो से तीन में बांट दिया. वार्डों का पुनर्गठन भी कांग्रेस को फायदा पहुंचाने वाला है. भाजपा के नेता इसको लेकर आरोप भी लगा चुके हैं. कांग्रेस को भरोसा है कि वह 21 पंचायत समितियों में भी भाजपा पर बाजी मारेगी और ​प्रमुख पद भी उनकी प्रत्याशी बैठेगी.

कांग्रेस में गुटबाजी हावी

जिले में पंचायत चुनाव में कांग्रेस की विजय के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस में भी जिला प्रमुख पद को लेकर घमासान मचा हुआ है. पाली के पूर्व सांसद ब्रदीराम जाखड़ की पुत्री मुन्नी गोदारा जो पूर्व में कुछ समय के लिए जिला प्रमुख रह चुकी हैं, उन्हें इस बार प्रमुख बनाने के लिए तैयारी की जा रही है तो दूसरी और पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की पत्नी और विधायक दिव्या मदेरणा की मां लीला मदेरणा जो तीस सालों से जिला परिषद की सदस्य है, वह भी प्रमुख पद की दावेदार हैं. इसके अलावा कांग्रेस नेता डॉ. राजूराम चौधरी की पत्नी भी दावेदार हैं, जबकि निर्विरोध निर्वाचित हुई नेहा चौधरी भी इस दौड़ में शामिल हैं.

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