जोधपुर. पर्यटन की दृष्टि से जोधपुर पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है. जोधपुर की स्थापना वर्ष 1459 में महाराजा राम जोधा सिंह ने की थी. जोधपुर में ऐसे कई प्राचीन मंदिर है जो देवस्थान विभाग के अधीन हैं. इनमें से कई मंदिर 500 साल से भी ज्यादा पुराने हैं. देखिये ये रिपोर्ट
कई प्राचीन मंदिरों की देखरेख देवस्थान विभाग कर रहा है. जोधपुर शहर में ऐसे चार प्राचीन मंदिर हैं जो देवस्थान विभाग के अधीन आते हैं. इनमें राजा रणछोड़ दास जी मंदिर, घनश्याम जी मंदिर, कुंज बिहारी मंदिर शामिल हैं. इन मंदिरों में होने वाली व्यवस्था और खर्च देवस्थान विभाग वहन करता है. इन मंदिरों से आने वाली आय और चढ़ावा भी देवस्थान विभाग के पास ही जाता है.
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जोधपुर में देवस्थान विभाग के अधीन मंदिरों की आय की बात की जाए तो श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया गया चढ़ावा ही आय का प्रमुख स्रोत है. कुछ मंदिरों के अधीन दुकाने और कटला भी आ रहा है जिसका हिसाब-किताब और किराया भी देवस्थान विभाग में ही जमा होता है. किसी भी मंदिर के पास कृषि भूमि नहीं है. मंदिर से आने वाले पैसे से देवस्थान विभाग मंदिर की जरूरतों को पूरा करने के साथ साथ मंदिर की मरम्मत का काम भी करता है.
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शिवरात्रि, कृष्ण जन्माष्टमी और गणगौर जैसे उत्सवों मेलों पर ही इन मंदिरों में ज्यादा चढ़ावा आता है. देवस्थान विभाग की ओर से मंदिरों की सुरक्षा का खर्च भी वहन किया जा रहा है. इसके लिए विभाग की ओर से अधीन सभी मंदिरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. हर मंदिर में सिक्योरिटी गार्ड नियुक्त किया गया है.
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जोधपुर शहर के इन प्राचीन मंदिरों में राजा और राजपरिवार के लोग पूजा पाठ करते रहे हैं. रणछोड़ दासजी मंदिर में सेवा पूजा करने वाले पुजारी भुवनेश काकड़ कहते हैं कि उनकी 7 पीढ़ियां इसी मंदिर में सेवा पूजा करती आई हैं. देवस्थान विभाग ने पुजारी के रहने की व्यवस्था भी मंदिर में ही की है.
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जोधपुर शहर में कई ऐसे और भी मंदिर है जो देवस्थान विभाग के अंतर्गत नहीं आते. लेकिन वे प्राचीन मंदिर हैं. बाबा रामदेव मंदिर, चामुंडा माता मंदिर, अचलनाथ मंदिर ऐसे ही मंदिर हैं. इन मंदिरों में ट्रस्ट बनाकर सारी व्यवस्था की जा रही है. इन मंदिरों में आने वाले चढ़ावे और भामाशाहों द्वारा दी गई भेंट से मंदिर में सभी तरह के प्रबंध किए जाते हैं.
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जोधपुर के ग्रामीण इलाकों में मंदिरों की जमीन पर भू माफियाओं की ओर से अतिक्रमण करने के कई मामले सामने आए थे. कई मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं. कुछ मामलों में पुलिस में रिपोर्ट कर रखी है और जांच चल रही है. ऐसे में देवस्थान विभाग के अधीन जो मंदिर हैं उनके पुजारी इन प्राचीन धरोहरों को सुरक्षित महसूस करते हैं.
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मंदिरों में कार्यरत पुजारियों का कहना है कि मंदिर में किसी प्रकार का कोई मरम्मत का कार्य या अन्य कार्य करवाना होता है तो वे इस संबंध में देवस्थान विभाग को लिखित में पत्र भेजते हैं. देवस्थान विभाग का मुख्य कार्यालय उदयपुर में है. सुविधानुसार देवस्थान विभाग उनकी समस्याओं को दूर करवाया है. हाल ही में जोधपुर के कुंज बिहारी मंदिर में देवस्थान विभाग ने मरम्मत का काम करवाया था.