जोधपुर. विश्वव्यापी कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन जारी हैं. जिस वजह से रोजगार के सारे साधन ठप्प पड़े हैं तो, वहीं स्कूल कॉलेज भी बंद हैं. जिस वजह से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस की शुरुआत की है. जिससे बच्चे घर बैठ कर ही अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे. अभी तक तो ऑनलाइन क्लासेस सिर्फ शहरों तक था, लेकिन धीरे-धीरे अब यह ग्रामिण क्षेत्रों में भी बढ़ रहा है.
लॉकडाउन में शिक्षा विभाग भी अपने सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए सभी तरह के जतन कर रहा है. प्रोजेक्ट स्माइल के तहत व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस के लिंक भेजे जा रहें हैं. लेकिन कुछ ग्रामिण इलाकों में नेटवर्क की समस्या भी काफी है. ऐसे विद्यार्थियों के लिए अब रेडियो पर शिक्षावाणी कार्यक्रम शुरू किया गया है. जिसमें प्रतिदन आकाशवाणी पर 11 बजे से 55 मिनट तक पांचवी कक्षा के बच्चों को प्रेरक कहानियां सुनाई जा रही हैं. उसके बाद बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों को हर दिन एक पाठ समझाया जाता है. वर्तमान में किताबें भी बाजार में उपलब्ध नहीं है. ऐसे में बच्चों के लिए यह कार्यक्रम काफी सहायक भी सिद्ध हो रहा है.
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जोधपुर से सटे दईजर गांव में ऐसे कई घर है जहां आस-पास के बच्चे के साथ सरकार की व्यवस्था का बड़े भी लाभ उठाते नजर आते हैं. मोबाइल के साथ-साथ लैपटाप पर भी यहां बच्चे पढ़ने लगे हैं. हालांकि इसके बावजूद कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास रेडियाे टीवी नहीं है. उनके बच्चे आज भी पढ़ाई से वंचित हैं. दईजर के पास टूंट की बाड़ी की रहनेवाली रचना इसका एक उदाहरण हैं. रचना आठवीं में आ गई है लेकिन उसके घर में रेडियो तक नहीं है. दईजर स्कूल की प्रिंसिपल लक्ष्मी कन्नौजिया बताती हैं कि प्रोजेक्ट स्माइल के तहत व्हाट्सएप ग्रुप पर लिंक भेजे जा रहे है उसका उपयोग भी हो रहा है.
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11वीं की छात्रा उर्मिला बताती है कि अब परीक्षा होने की उम्मीद नहीं है इसलिए सीधे 12वीं कक्षा में ही बैठना है. ऐसे में जो लिंक आ रहे हैं उससे 12वीं की तैयारी कर रही हूं. जोधपुर से शिक्षावाणी के कार्यक्रम के लिए अपनी आवाज में पाठ रिकार्ड करने वाली डॉ. मीना जांगिड़ का कहना है कि यह नवाचार बच्चों को लॉकडाउन में पढ़ाई जोडे़ रखेगा. बता दे की रेडियो पर प्रसारित होने वाली कंटेट पहले एसआईआरटी तय करती है जिससे कोई कमी नहीं रहे.