जयपुर. 31 मई विश्व भर में तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. लोगों को तंबाकू के सेवन करने से रोकने और इससे स्वास्थ्य पर होने वाले नुकसान को लेकर जागरुक करने के लिए ये दिवस मनाया जाता है. विश्व विख्यात लैंसेट जर्नल में छपे शोध के अनुसार 15 से 24 वर्ष की उम्र के तंबाकू के सेवन करने वालों की संख्या में पूरे विश्व में भारत दूसरे नंबर पर है. ऐसे में वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. निधि पाटनी ने तंबाकू से होने वाले नुकसान और रोगों के बारे में विस्तार से चर्चा की.
डॉ. निधि पाटनी कहती हैं कि भारत में तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या 2 करोड़ है. साल 2019 में हदयघात से 17 लाख, फेफड़ों की बीमारी से 16 लाख और तंबाकू जनित कैंसर से 10 लाख लोग मृत्यु का शिकार हुए. 1990 के बाद 2019 तक युवा सर्वाधिक भारत में तंबाकू का सेवन करते हैं. साल 2019 में हदयघात से 17 लाख, फेफड़ों की बीमारी से 16 लाख और तंबाकू जनित कैंसर से 10 लाख लोग मृत्यु का शिकार हुए.
30 फीसदी युवा करते हैं तंबाकू का सेवन
डॉ. निधि ने बताया कि बदलती जीवनशैली और वातावरण में मौजूद विषाक्त कणों के कारण आज के समय में कैंसर जैसी बीमारी तेजी से सामने आ रही है. कैंसर के कई कारण हैं. इनमें से एक प्रमुख कारक तंबाकू है. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (NICPR) के अनुसार भारत में करीब 35 फीसदी वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं. वहीं युवा वर्ग में भी इसका आकंड़ा 30 फीसदी तक पहुंच चुका है.
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बता दें कि तंबाकू में चार हजार तरह के कैमिकल मौजूद होते हैं. जिसमें कई कैंसर कारक केमिकल भी शामिल है. इन कैमिकल में निकोटिन नामक मुख्य कैमिकल मौजूद होता है. जिसका सेवन करने पर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक तौर पर इस केमिकल का आदी हो जाता है.
तंबाकू कई प्रकार के कैंसर के बना कारण
NICPR के अनुसार भारत में मौजूद कैंसर रोगियों में से पुरूषों में 45 फीसदी और महिलाओं में 17 फीसदी कैंसर तंबाकू की वजह से होते हैं. इनमें भी मुंह के कैंसर के रोगियों में 80 फीसदी तंबाकू की आदत के चलते इस रोग की गिरफ्त में आते हैं. गुटखा और तंबाकू सेवन बहुत की कम समय में मुंह, गले, जीभ आदि का कैंसर करते हैं. राजस्थान राज्य में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो तंबाकू का सेवन करता है.
कैंसर का प्रभाव
कैंसर के बाद शारीरिक कष्ट के साथ ही मानसिक और आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इलाज लंबा और महंगा होने के कारण रोगी इलाज ना करनवाने का निर्णय भी ले लेता है. बीमारी से पहले नशे पर पैसा खर्च होता है और बीमारी के बाद उससे कई गुना खर्च इलाज पर होता है. रोगी के साथ-साथ पूरा परिवार इस रोग की पीड़ा को झेलता है.
जीवनशैली में लाए यह बदलाव
- तंबाकू और इसके अन्य उत्पादों से दूरी बनाए रखें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- भोजन में फल और सब्जियों की मात्रा को बढाएं
- बाजार का खाना कम से कम खाएं
- अगर आपके परिवार का कोई भी सदस्य या साथी ध्रुमपान करता है तो उसकी आदत को छुड़वाएं वरना उस व्यक्ति के ध्रुमपान का नकारात्मक प्रभाव उसके साथ-साथ आप पर भी पड़ेगा.