जयपुर. राजधानी जयपुर में ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Nagar Nigam) की पॉलिटिक्स में एक नया मामला सामने आया है. जयपुर ग्रेटर नगर निगम से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो रहा है. वीडियो निवर्तमान महापौर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) के पति राजाराम गुर्जर (Rajaram Gurjar) का बताया जा रहा है. हालांकि ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो (Viral Video) की पुष्टि नहीं करता है.
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वायरल वीडियो में बीवीजी के अधिकारियों से 20 करोड़ रुपए के कमीशन पर बात हो रही है. बीवीजी कंपनी का करीब 276 करोड़ रुपए का पेमेंट बताया जा रहा है. वायरल वीडियो में बकाया पेमेंट रिलीज कराने के लिए राजाराम गुर्जर और बीवीजी (BVG कंपनी) के अधिकारियों के बीच बात हो रही है. पेमेंट के बदले 20 करोड़ रुपए रिश्वत की डील हो रही है.
20 अप्रैल की बताई जा रही वीडियो
वहीं, वीडियो में तारीख भी लिखी हुई आ रही है, जो कि 20 अप्रैल 2021 का बताया जा रहा है. ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) में चल रही पॉलिटिक्स के बीच एक नया मामला उजागर हुआ है. वीडियो को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं. सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो रहे वीडियो को लेकर लोगों में भी कई तरह की चर्चाएं हो रही है.
बता दें, राजाराम गुर्जर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) के पति हैं. पिछले दिनों बीवीजी कंपनी (BVG Company) का बकाया भुगतान नहीं होने की वजह से कंपनी के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे, जिसकी वजह से शहर में सफाई व्यवस्था चरमरा गई थी.
वहीं, हाल ही में राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) की ओर से निवर्तमान महापौर सौम्या गुर्जर और अन्य तीन पार्षदों को निलंबित किया गया था. जिस पर ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर के साथ मारपीट का भी आरोप लगा है. महापौर और बीजेपी पार्षदों के निलंबन को लेकर भाजपा (Rajasthan BJP) की ओर से लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
इसी बीच गहलोत सरकार (Gehlot Government) की ओर से बीजेपी की पार्षद शील धाभाई (Sheel Dhabhai) को कार्यवाहक महापौर बना दिया गया. सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) की ओर से हाईकोर्ट (Rajasthan High court) में याचिका भी दायर की गई है, जिसपर शुक्रवार को सुनवाई होगी.
क्या है पूरा मामला
साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.
BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.
बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं.