जयपुर. संगीन अपराधों में कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद जेल में बंद कैदियों से काम भी कराया जाता है. जेल में किए जाने वाले काम के बदले उन्हें मेहनताना भी मिलता है. कैदियों को उनके काम के बदले मिलने वाले मेहनताने का 25 फीसदी हिस्सा पीड़ित पक्ष (25 percent remuneration of the prisoners) का होता है. हालांकि जानकारी के अभाव के चलते पीड़ित पक्ष अपनी उस 25 फीसदी की राशि को प्राप्त नहीं कर पाता. ऐसे में यह राशि जेल विभाग के पास जमा होती जाती है.
वर्ष 2018 के बाद से अब तक 10 हजार से अधिक कैदियों की मजदूरी की राशि में से 25 फीसदी के रूप में 3.90 करोड़ रुपए जेल विभाग के पास जमा हो गए हैं. जेल विभाग यह राशि बांटने को तैयार भी है, लेकिन अब तक किसी भी पीड़ित पक्ष ने इस पर अपना अधिकार नहीं जताया है. जिसे देखते हुए जेल विभाग ने अपनी वेबसाइट पर इन तमाम कैदियों की जानकारी को साझा किया है, ताकि उसे देखकर पीड़ित पक्ष अपनी 25 फीसदी राशि को प्राप्त करने के लिए विभाग से संपर्क कर हक जता सकें.
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प्रचार के अभाव में पीड़ित पक्ष तक नहीं पहुंचती राशिः जेल में बंद कैदियों को मिलने वाले मेहनताने के 25 प्रतिशत पर पीड़ित पक्ष का हक होता है. इस बारे में पीड़ित पक्ष पूरी तरह से अनभिज्ञ रहता है. इसे लेकर सरकार की ओर से भी पीड़ित पक्ष को जागरूक करने के लिए किसी तरह का कोई प्रचार नहीं किया जाता. यही कारण है करोड़ों रुपए की राशि जेल विभाग के पास जमा हो गई है. ये जमा राशि विभाग के लिए एक बड़ा सिरदर्द भी बन रही है.
जेल में कैदी करते हैं यह काम और मेहनतानाः आईजी जेल विक्रम सिंह ने बताया कि जेल में बंद कैदियों को विभिन्न तरह के काम करने होते हैं. जेल के संचालन और अन्य सुविधाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए कैदियों द्वारा जो काम किया जाता है उसे जेल सेवा कहा जाता है. इसके अतिरिक्त अन्य काम मजदूरी के रूप में किए जाते हैं. रोटेशन के तहत जेल सेवा में जुटे कैदियों को हर 3 महीने बाद मजदूरी के काम में लगाया जाता है. मजदूरी में लगे कैदियों को जेल सेवा (prisoners Jail service) में लगाया जाता है.
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जेल सेवा में कैदियों को जेल की (prisoners works in jail service) साफ-सफाई, रख-रखाव, बागवानी, खाना बनाना, शौचालय की सफाई आदि काम करने होते हैं. वहीं मजदूरी में कैदियों को दीवार बनाने, कपड़ा बनाने, फर्नीचर बनाने, कूलर बनाने, दरी बनाने आदि काम करने होते हैं. बंदियों की ओर से किए गए काम की गुणवत्ता के आधार पर उनको दो कैटेगरी में बांटा जाता है, कुशल और अकुशल. कुशल बंदियों को 249 रुपए प्रतिदिन का मेहनताना दिया जाता है और अकुशल बंदियों को 225 रुपए प्रतिदिन का मेहनताना मिलता है.
पीड़ित पक्ष ऐसे कर सकता है दावाः आईजी जेल विक्रम सिंह ने बताया कि जेल विभाग की ओर से हाल ही में 10,029 कैदियों की सूची को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. जिसमें कैदियों का संपूर्ण विवरण मौजूद है और उसे देखकर पीड़ित पक्ष अपनी राशि प्राप्त करने के लिए जेल विभाग से संपर्क कर सकता है. राशि प्राप्त करने के लिए पीड़ित पक्ष का बैंक अकाउंट होना बेहद आवश्यक है. विभाग की वेबसाइट पर अपलोड की गई कैदियों की सूची में कैदी का नाम, पता, जिला, थाना, किस थाने में एफआईहआर दर्ज है. उसे किस धारा में सजा सुनाई गई है व अब तक कुल कितनी राशि जमा हुई है, इन तमाम चीजों का उल्लेख किया गया है. सूची को देखने के बाद पीड़ित पक्ष राशि पर अपना हक जताने के लिए संबंधित जेल के अधीक्षक से संपर्क कर सकता है.
वारिस घोषित करता है जेल विभागः आईजी जेल विक्रम सिंह ने बताया कि राशि पर हक जताने वाले लोगों में उस राशि को प्राप्त करने का असली हकदार कौन है, इसका निर्णय जेल विभाग करता है. इसके लिए बकायदा जेल आईजी की अध्यक्षता में एक समिति बनी हुई है जो राशि पर हक जताने के लिए आवेदन करने वाले लोगों की पड़ताल करती है. आवेदन करने वाले व्यक्ति का पीड़ित से क्या रिश्ता है?, इसकी पड़ताल करने के बाद उसे पीड़ित का वारिस घोषित किया जाता है. इसके बाद उस वारिस की तमाम जानकारी संबंधित जेल अधीक्षक को भेजी जाती है और उसे उसकी राशि का भुगतान करने के निर्देश दिए जाते हैं.