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विश्वविद्यालयीन शिक्षा विद्यार्थियों को नया सोचने के लिए प्रेरित करे : राज्यपाल - राज्यपाल कलराज मिश्र

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयीन शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो विद्यार्थियों में जिज्ञासा और सर्जनात्मकता का संचार कर उन्हें नया सोचने के लिए प्रेरित करे. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को विचारों की शक्ति और कल्पना की उड़ान देने वाली शिक्षा से ही राष्ट्र और समाज का भला हो सकता है.

governor Kalraj Mishra ,राजस्थान राज्यपाल कलराज मिश्र
विश्वविद्यालयीन शिक्षा विद्यार्थियों को नया सोचने के लिए प्रेरित करे
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Published : Mar 10, 2021, 6:27 PM IST

जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयीन शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो विद्यार्थियों में जिज्ञासा और सर्जनात्मकता का संचार कर उन्हें नया सोचने के लिए प्रेरित करे. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को विचारों की शक्ति और कल्पना की उड़ान देने वाली शिक्षा से ही राष्ट्र और समाज का भला हो सकता है. राज्यपाल मिश्र बुधवार को राजभवन से महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के द्वितीय दीक्षांत समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे.

विश्वविद्यालयीन शिक्षा विद्यार्थियों को नया सोचने के लिए प्रेरित करे...

उन्होंने कहा कि शिक्षक सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रह कर अपने आपको अपडेट रखें. तभी स्वयं के और शिक्षार्थी दोनों के ज्ञान को विकसित कर पाएंगे. राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान कायम करें. उन्होंने कहा कि इसके लिए भारतीय कला, संस्कृति, इतिहास, परम्परा और प्राचीन साहित्य को नये विषयों से जोड़कर मौलिक शोध की परम्परा विकसित करने की जरूरत है. उन्होंने आह्वान किया कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के अनुरूप अपने पाठ्यक्रमों को युगानुकूल करते हुए विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के संवाहक बनें.

पढ़ें: प्रदेश में इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति लागू करें मत्री जी, नहीं तो सोनिया गांधी से शिकायत कर दूंगाः अशोक लाहोटी

राज्यपाल मिश्र ने इस अवसर पर महाराजा सूरजमल को नमन करते हुए कहा कि वे वीर शिरोमणि ही नहीं, बल्कि मेल-मिलाप, सह-अस्तित्व तथा समावेशी सोच को आत्मसात करने वाली भारतीयता के सच्चे प्रतिनिधि थे. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी संविधान की मूल भावना से जुड़ सकें, इसके लिए उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क की स्थापना की पहल की है. भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ के पूर्व निदेशक प्रो. (डाॅ.) देवीसिंह ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उददेश्य सिर्फ पाठ्य सामग्री का शिक्षण ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में अन्वेषण और प्रयोगधर्मिता की दृष्टि विकसित कर उन्हें भावी जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करना है.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय उद्यमिता और नवाचार के विचारों को पनपने के सही अवसर देने के लिए अपने यहां उचित मंच विकसित करें. कुलपति प्रो. आरकेएस धाकरे ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कर्तव्य का वाचन करवाया. समारोह में विभिन्न संकायों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को कुलाधिपति पदक और एण्डोमेन्ट गोल्ड मेडल प्रदान किए गए. समारोह के दौरान राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल सहित अधिकारीगण, शिक्षकगण, शोधार्थी तथा विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित थे.

जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयीन शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो विद्यार्थियों में जिज्ञासा और सर्जनात्मकता का संचार कर उन्हें नया सोचने के लिए प्रेरित करे. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को विचारों की शक्ति और कल्पना की उड़ान देने वाली शिक्षा से ही राष्ट्र और समाज का भला हो सकता है. राज्यपाल मिश्र बुधवार को राजभवन से महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के द्वितीय दीक्षांत समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे.

विश्वविद्यालयीन शिक्षा विद्यार्थियों को नया सोचने के लिए प्रेरित करे...

उन्होंने कहा कि शिक्षक सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रह कर अपने आपको अपडेट रखें. तभी स्वयं के और शिक्षार्थी दोनों के ज्ञान को विकसित कर पाएंगे. राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान कायम करें. उन्होंने कहा कि इसके लिए भारतीय कला, संस्कृति, इतिहास, परम्परा और प्राचीन साहित्य को नये विषयों से जोड़कर मौलिक शोध की परम्परा विकसित करने की जरूरत है. उन्होंने आह्वान किया कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के अनुरूप अपने पाठ्यक्रमों को युगानुकूल करते हुए विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के संवाहक बनें.

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राज्यपाल मिश्र ने इस अवसर पर महाराजा सूरजमल को नमन करते हुए कहा कि वे वीर शिरोमणि ही नहीं, बल्कि मेल-मिलाप, सह-अस्तित्व तथा समावेशी सोच को आत्मसात करने वाली भारतीयता के सच्चे प्रतिनिधि थे. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी संविधान की मूल भावना से जुड़ सकें, इसके लिए उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क की स्थापना की पहल की है. भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ के पूर्व निदेशक प्रो. (डाॅ.) देवीसिंह ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उददेश्य सिर्फ पाठ्य सामग्री का शिक्षण ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में अन्वेषण और प्रयोगधर्मिता की दृष्टि विकसित कर उन्हें भावी जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करना है.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय उद्यमिता और नवाचार के विचारों को पनपने के सही अवसर देने के लिए अपने यहां उचित मंच विकसित करें. कुलपति प्रो. आरकेएस धाकरे ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कर्तव्य का वाचन करवाया. समारोह में विभिन्न संकायों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को कुलाधिपति पदक और एण्डोमेन्ट गोल्ड मेडल प्रदान किए गए. समारोह के दौरान राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल सहित अधिकारीगण, शिक्षकगण, शोधार्थी तथा विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित थे.

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